फिरोजपुर: अपने आप को आने वाला दिन के दौरान काम शुरू करने के लिए तैयार करते हुए गिल ने अपने स्नीकर्स (दौड़ने वाले जूते) के फीतों को कस लिया है. एक गहरे हरे रंग की सलवार-कमीज़ के ऊपर डाले गए एक काले ओवरकोट के साथ उन्होंने एक आम महिला की भूमिका निभाने वाले कपड़े पहने हुए हैं, हालांकि, कुछ लोगों की नजर में उनका मेकअप इस ‘भूमिका’ के लिए थोड़ा ज्यादा ही ‘परफेक्ट’ लग सकता है. हालांकि, इन सर्दियों की सुबह में वह मुंबई और गोवा स्थित अपने घरों से बहुत दूर हैं: और उनका सबसे नया बॉलीवुड सेट यानि की चुनाव प्रचार का एक लंबा, कठिन दिन, उनके सामने खड़ा है.
अनुराग कश्यप की ‘देव.डी’ और तिग्मांशु धूलिया की ‘साहेब, बीवी और गैंगस्टर’ जैसी प्रशंसित फिल्मों के लिए कई पुरस्कार जीतने वाली स्टार कलाकार गिल ने परदे पर तो राजनेता की भूमिका निभाई है, लेकिन वह अब वास्तविक जीवन में एक राजनेता के रूप में पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए चुनाव प्रचार करके अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने जा रही हैं.
और यह कोई आसान रोल भी नहीं है. चुनाव अभियान के दौरान ही एक स्थानीय कृषि संगठन के गुस्साए हुए प्रदर्शनकारियों ने उसकी कार को टक्कर मार दी, और फिर दोनों पक्षों में हाथापाई शुरू हो गई. हालांकि, गिल इन सबसे बेफिक्र दिखते हुए फ़िरोज़पुर के बाज़ार के बीचों-बीच में खड़ी होकर स्थानीय महिलाओं से वादा करती है कि भाजपा ‘गैंगस्टरों’ और नशीली दवाओं की लत के खतरे को हमेशा के लिए ख़त्म कर देगी.
वह कहती हैं, ‘इक्क मौका तो दो…’.
उनके साथ सेल्फी लेने के महिलाओं की लाइन सी लग जाती है – और जैसे ही कुछ लोगों को पता चलता है कि यह ‘प्रचारक’ कौन है, भीड़ बढ़ जाती है. फिर वह बाज़ार में चली जाती है और स्थानीय निवासियों से बात करने के लिए दुकानों और गली के कोनों पर रुकती है. एक समय यह महसूस करते हुए कि वह केवल पार्टी के पुरुष कार्यकर्ताओं से घिरी हुई है, वह रुक जाती है और कई महिलाओं को अपने साथ चलने के लिए इकट्ठा कर लेती है. जाहिर तौर पर गिल ‘दिखाई देने वाली राजनीति’ की ताकत को बखूबी समझतीं हैं.
यह भी पढ़ें: इतिहास के गड़े मुर्दे उखाड़े और ‘गोअन’ सांचे में ढलने की कोशिश- गोवा के मतदाताओं को कैसे लुभा रहे राजनीतिक दल
एक अपरंपरागत यात्रा
छियालीस वर्षीय गिल चंडीगढ़ के एक पारंपरिक जाट सिख किसान परिवार से आती हैं. हालांकि, उनके अब तक के सफर में बहुत कम ऐसी चीजें हैं जिन्हें ‘पारंपरिक’ कहा जा सकता है. पंजाब विश्वविद्यालय से स्वर्ण पदक विजेता रहीं गिल ने सिविल सेवा परीक्षा में भाग लिया. फिर, उन्होंने तांबरम में सेना के प्रशिक्षण केंद्र में एक सैनिक बनने के लिए प्रशिक्षण भी लिया. हालांकि, एक पैराशूट जंप वाली दुर्घटना ने उन्हें लंबे समय तक अस्पताल में रहने पर मजबूर कर दिया. इसके बाद, गिल ने अपने माता-पिता से कहा कि वह अपने जीवन में एक विषम चौराहे पर आ खड़ी हुई हैं और फिर उन्होंने थिएटर (नाट्य कल) में मास्टर डिग्री के लिए अपना नामांकन करवाया.
साल 2004 में जब वह अभिनेत्री बनने के लिए मुंबई गईं, तब गिल 30 साल की थीं. फिल्मों की दुनिया में कोई सीधा संबंध नहीं होने के कारण, वह चार साल तक संघर्ष करती रहीं. वे याद करती हैं कि कैसे 2004 में उन्हें एक फिल्म निर्देशक के साथ अपनी बैठक से पहले अपने बाल सुखाने वाले ड्रायर को 600 रुपये में बेचना पड़ा था. वह बताती हैं, ‘उस दिन मेरे पास अपने खाने लायक पैसे भी नहीं थे.’
उसके बाद उन्हें सबसे बड़ा ब्रेक (मौका) मिला देव.डी फिल्म में, जिसके लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के रूप में फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड और अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फिल्म अकादमी (आइफा) की सर्वश्रेष्ठ पदार्पण वाले कलाकार का ख़िताब जीता. ये दोनों अवार्ड उन्हें साल 2010 में हीं मिले. गिल का कहना है कि वह भाग्य के प्रति बहुत आस्था रखती हैं – लेकिन यह भी स्पष्ट है कि कड़ी मेहनत और दृढ़ता का उनकी सफलता में कोई कम योगदान नहीं था.
चार साल तक संघर्ष करने के बावजूद, गिल को इस बात पर बहुत गर्व है कि उन्होंने अपने माता-पिता से एक पैसा भी नहीं लिया है और वह एक स्व-निर्मित स्टार है. इसका श्रेय वह अपनी शिक्षा को देती हैं और कहती हैं कि भले ही वह अभिनेत्री नहीं बन पातीं मगर फिर भी उनके पास अपनी शिक्षा का सहारा लेने का विकल्प था और वह एक शिक्षक बन सकती थी या फिर कोई अन्य पेशा भी अपना सकती थीं.
गिल कहती हैं, ‘मैं चाहती हूं कि अधिक संख्या में महिलाएं भी पढ़ाई करें और काम करे. यह मेरी शिक्षा ही थी जिसके कारण है कि मैं मुंबई में ड्रग्स या अवसाद के चक्कर में नहीं पड़ी.’
अपने भाइयों के संयुक्त राज्य अमेरिका में ( एक कैलिफ़ोर्निया में और दूसरा न्यूयॉर्क में) बसे होने के साथ ही गिल अपने परिवार में एकमात्र ऐसी सदस्य है जिनके पास अभी भी अपना भारतीय पासपोर्ट है. उनके माता-पिता भी अमेरिका में रहते हैं और उनके पास अमेरिकी पासपोर्ट हैं.
वे कहती हैं, ‘मैं भारत के अलावा कहीं और नहीं रह सकती. यही मेरा घर है और इसलिए मुझे बस यहीं का पासपोर्ट चाहिए.’ वह दावा करती हैं कि उनका परिवार उनके द्वारा पसंद की गयी पार्टी और राजनीति में प्रवेश करने के उनके फैसले से बहुत खुश है.
यह अभिनेत्री अब अपनी पांच साल की बेटी वेरोनिका, जिसके बारे में वह बहुत सारी बातें करती हैं, उसके साथ रहने के साथ हीं अपनी काम के प्रति उनकी प्रतिबद्धताओं को निभाने के लिए मुंबई और गोवा के बीच आवाजाही करती रहती है. हालांकि, गिल अपने जीवन साथी के बारे में यह कहते हुए चुप्पी साथ लेती हैं कि वह इस सारी चकाचौंध (लाइमलाइट) से दूर रहना पसंद करते हैं और अपने बारे में बात किया जाना पसंद नहीं करते हैं.
‘मैं महिलाओं के लिए काम करना चाहती हूं’
पंजाब चुनाव में महज एक हफ्ते से कुछ ही ज्यादा समय होने के साथ गिल इस हफ्ते की शुरुआत में ही भाजपा में शामिल हुईं हैं. वह कहती हैं कि उनका एक मुख्य उद्देश्य है, ‘महिलाओं के लिए काम करना’. इस अभिनेत्री के एक करीबी सूत्र का कहना है कि उन्होंने कुछ साल पहले अपने लिए एक मंच के तलाश की उम्मीद में कांग्रेस से भी संपर्क किया था. मगर, वहां कोई बात नहीं बनी.
गिल कहती हैं, ‘ मुझे तीन-चार साल पहले टिकट की पेशकश की गई थी, लेकिन मैं यह नहीं बताउंगी कि किस पार्टी से. मुझे विधायक बनने का कोई लालच नहीं है, इसलिए मैंने उन्हें मना कर दिया. मुझे लगा कि अब सही समय आ गया है, खासकर केंद्र में भाजपा के होने के साथ और इसलिए मैंने यह कदम उठाया है. अगर वे जीत जाते हैं, तो मैं निश्चित रूप से अपना ठिकाना बदल लूंगी और पंजाब चली आउंगी.’
गिल का तर्क है कि भाजपा ने महिलाओं के लिए बहुत कुछ किया है. उनका इशारा विशेष रूप से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना और कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ पार्टी के अभियानों की ओर था.
‘पंजाब के लोगों में अभी भी लड़के की चाह वाली मानसिकता और मैं इसे बदलना चाहती हूं’
हालांकि, भाजपा शासित राज्यों में महिलाओं के अधिकारों से जुड़े विवादों के बारे में पूछे जाने पर गिल थोड़ा असहज सा महसूस करती हैं. वह हाथरस के उस मामले पर बात करने से इनकार करती है, जिसमें उत्तर प्रदेश पुलिस पर बलात्कार-हत्या की पीड़िता का जबरन अंतिम संस्कार करने का आरोप लगाया गया था. गिल एक अन्य अभिनेता अर्चना गौतम, जो उत्तर प्रदेश से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं, को लक्ष्य बना कर किये गए दुर्व्यवहार के बारे में भी बात नहीं करती हैं.
वह जोर देकर कहती हैं, ‘ मैं वास्तव में इनमें से किसी के बारे में ज्यादा नहीं जानती’. बातचीत की दिशा को तेजी से बदलते हुए वह कहती हैं, ‘मैं अभी-अभी यहां आयी हूं. लेकिन मैं यह जरूर कहूंगी कि पहले पंजाब सभी राज्यों में पहले नंबर पर था और अब 23वें स्थान पर है. भाजपा अगर सत्ता में आई तो वह पंजाब को फिर से नंबर एक पर ले आएगी.’
गिल का कहना है कि वह भाजपा की ओर तब आकर्षित हुईं जब वह गुजरात में साहेब, बीवी और गैंगस्टर की शूटिंग कर रही थीं और उन्होंने देखा कि वहां की सड़कें कितनी अच्छी हैं. उन्होंने कहा, “गुजरात के गांवों में भी सड़कें बहुत अच्छी थीं. उत्तर प्रदेश और गोवा में भी इतना सारा विकास हुआ है. पंजाब की सड़कें बदहाल हैं. हमें यहां भी विकास करने की जरूरत है.’
राजनीतिक रूप से सक्रिय होने के इस निर्णय की उन्हने कुछ कीमत भी चुकानी पड़ रही है. वह स्वीकार करती है कि ‘मुझे बहुत ट्रोल किया जा रहा है’. उन्होंने कहा, ‘कई किसान कह रहे हैं कि मैंने उनके साथ विश्वासघात किया है. मैं लोगों को सिर्फ यह बताना चाहती हूं कि मैं यहां एक मकसद से आयी हूं और मुझ पर थोड़ा विश्वास करना चाहिए. अगर दो देश मतभेदों से जुड़े बड़े मुद्दों को सुलझा सकते हैं, तो हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते? मैं लोगों और केंद्र के बीच वह पुल बनना चाहती हूं.’
वह लोगों से विनती करती है- ‘इक्क मौका तो दो.’
जैसे ही पंजाब में चुनाव प्रचार समाप्त होता है, गिल ने अपनी बेटी के लिए प्रार्थना करने हेतु एक दिन के लिए हिमाचल प्रदेश के एक मंदिर में जाने की योजना बनाई है और इसके बाद वह उत्तर प्रदेश में पार्टी के प्रचार के लिए चली जायेंगीं.
फिर, वह अपने नए प्रोजेकट – वेब सीरीज रक्तांचल 2 जिसमें वह एक राजनेता की भूमिका निभा रही हैं- के प्रचार के लिए वापस गोवा चली जाएंगी.
(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: एक धर्मनिरपेक्ष देश अपने सभी विद्यार्थियों के लिए धर्मनिरपेक्ष पोशाक का आदेश देता है तो यह बिलकुल सही है