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Saturday, 16 November, 2024
होमराजनीतिप्रियंका गांधी ने कहा- किसानों के एकजुट विरोध के चलते आरसीईपी पर पीछे हटी सरकार

प्रियंका गांधी ने कहा- किसानों के एकजुट विरोध के चलते आरसीईपी पर पीछे हटी सरकार

प्रियंका ने ट्वीट किया, 'भाजपा सरकार पूरे गाजे बाजे के साथ आरसीईपी समझौते (किसान सत्यानाश समझौता) के जरिए भारत के किसानों के हित कुचलकर भारत के राष्ट्रीय हित को विदेशी देशों के हवाले करने जा रही थी.'

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नई दिल्ली : क्षेत्रीय समग्र आर्थिक समझौते (आरसीईपी) से सरकार के कदम पीछे खींचने पर विपक्षी दल सरकार को निशाने पर ले रहा हैं. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोमवार को कहा कि किसानों के भारी विरोध के चलते सरकार पीछे हटने को विवश हुई.

प्रियंका ने ट्वीट किया, ‘भाजपा सरकार पूरे गाजे बाजे के साथ आरसीईपी समझौते (किसान सत्यानाश समझौता) के जरिए भारत के किसानों के हित कुचलकर भारत के राष्ट्रीय हित को विदेशी देशों के हवाले करने जा रही थी.’

उन्होंने कहा, ‘देश के किसानों ने पूरी एकता के साथ इसका विरोध किया और स्पष्ट संदेश दिया कि उनकी मेहनत को विदेशी कम्पनियों के फायदे की भेंट नहीं चढ़ने देंगे.’

कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘भाजपा सरकार को आज आरसीईपी समझौते पर अपना निर्णय रोकना पड़ा है. किसानों बहनों-भाइयों को बधाई. कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं का शुक्रिया जिन्होंने इस मुद्दे पर किसानों का व्यापक साथ दिया.’

दरअसल, भारत ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते में शामिल नहीं होने का फैसला किया है. सरकारी सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी.

आरसीईपी वार्ताओं में भारत की चिंताओं को दूर नहीं किया जा सका है. इसके मद्देनजर भारत ने यह फैसला किया है.

भारत के इस फैसले से भारतीय किसानों, सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) और डेयरी क्षेत्र को बड़ी मदद मिलेगी.

मोदी के नेतृत्व में आरसीईपी में शामिल होने के अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे नहीं झुका भारत: नड्डा

भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आरसीईपी में भारत के शामिल नहीं होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘निर्णायक नेतृत्व’ की प्रशंसा करते हुए सोमवार को कहा कि देश ने अपने आर्थिक हितों को त्याग दिया लेकिन पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों की तरह अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे नहीं झुका, जिन्होंने कमजोर व्यापार समझौतों के जरिये भारतीय बाजार को खोल दिया था.

मोदी ने सोमवार को बैंकॉक में आरसीईपी सम्मेलन में कई देशों के नेताओं की मौजूदगी में कहा कि भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) में शामिल नहीं होगा क्योंकि वार्ता नयी दिल्ली के ‘लंबित मुद्दों और चिंताओं’ को संतोषजनक ढंग से निपटाने में विफल रही.

नड्डा ने सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए भारत के हितों की रक्षा के लिये प्रधानमंत्री को बधाई दी. उन्होंने कहा, ‘उनके नेतृत्व में भारत की विदेश नीति में ‘पहले भारत’ की झलक दिखाई देती है.’

मोदी को एक सख्त वार्ताकार और निर्णायक नेता करार देते हुए नड्डा ने कहा, ‘भारत ने अपने आर्थिक हितों को त्याग दिया लेकिन पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत सरकारों की तरह अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे नहीं झुका, जिसने कमजोर व्यापार समझौतों के जरिये भारतीय बाजार को खोल दिया था.’

उन्होंने कहा कि मोदी ने फिर से गरीबों के हितों की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है और भारत के हितों के आधार पर आरसीईपी में शामिल नहीं होने का ‘ऐतिहासिक निर्णय’ लिया है.

आरसीईपी में 10 आसियान देशों के अलावा छह मुक्त व्यापार साझेदार चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं. भारत ने आरसीईपी से बाहर निकलने का फैसला लिया है.

मूल आरसीईपी का लक्ष्य 3.6 अरब लोगों की आबादी वाले इन 16 देशों के बीच दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त-व्यापार क्षेत्र बनाना है.

आरसीईपी समझौते में शामिल नहीं होगा भारत, घरेलू उद्योगों से जुड़े मुद्दों का नहीं हुआ समाधान

पिछले करीब सात साल से जारी बातचीत के बाद घरेलू उद्योगों के हित से जुड़ी मूल चिंताओं का समाधान नहीं होने पर आखिरकार भारत ने चीन के समर्थन वाले क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते से बाहर रहने का फैसला किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को आरसीईपी शिखर बैठक में अपने संबोधन में ही इस फैसले की जानकारी देते हुये कहा कि भारत आरसीईपी में शामिल नहीं होगा.

मोदी ने कहा कि प्रस्तावित समझौते से सभी भारतीयों के जीवन और आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने कहा कि भारत द्वारा उठाये गये मुद्दों और चिंताओं का संतोषजनक ढंग से समाधान नहीं होने की वजह से उसने समझौते से बाहर रहने का फैसला किया है. शिखर सम्मेलन में दुनिया के कई देशों के नेता उपस्थित थे.

मोदी ने कहा, ‘आरसीईपी करार का मौजूदा स्वरूप पूरी तरह इसकी मूल भावना और इसके मार्गदर्शी सिद्धान्तों को परिलक्षित नहीं करता है. इसमें भारत द्वारा उठाए गए शेष मुद्दों और चिंताओं का संतोषजनक समाधान नहीं किया जा सका है. ऐसे में भारत के लिए आरसीईपी समझौते में शामिल होना संभव नहीं है.’

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