scorecardresearch
Friday, 15 November, 2024
होमराजनीतिमोदी के निर्देश के बाद इस मुस्लिम समाज को अपने OBC मोर्चे में शामिल करना चाहती है BJP

मोदी के निर्देश के बाद इस मुस्लिम समाज को अपने OBC मोर्चे में शामिल करना चाहती है BJP

सरकार और पार्टी में उनकी नुमाइंदगी बढ़ाने के अलावा, BJP अपने MPs और MLAs के ज़रिए भी पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचना चाहती है, और उन्हें मोदी सरकार की कल्याण योजनाओं से अवगत कराना चाहती है.

Text Size:

नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों के बाद, बीजेपी पसमांदा मुसलमानों को अपने ओबीसी (अन्य पिछड़े वर्ग) मोर्चे में शामिल करने की तैयारियां कर रही है.

हालांकि ओबीसी मोर्चे में नुमाइंदगी अपने आप में कोई गारंटी नहीं है, कि पसमांदा मुसलमानों को पार्टी के संगठनात्मक मामलों में एक आवाज़ मिल जाएगी, लेकिन प्रतीकवाद के तौर पर इसका अपना एक महत्व है.

एक वरिष्ठ बीजेपी नेता के अनुसार, इसी महीने हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान, मोदी ने पूछा था कि मुस्लिम समाज के कितने सदस्य ओबीसी मोर्चे का हिस्सा हैं.

पार्टी नेता ने कहा, ‘राज्य स्तर पर हमारे पास कुछ प्रतिनिधित्व है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर नहीं है. पसमांदा समाज की भागीदारी के बारे में पीएम के सवाल करने के बाद, हमने राष्ट्रीय स्तर पर ओबीसी मोर्चे में इस समुदाय के सदस्यों को शामिल करने का फैसला किया’.

‘पसमांदा’ शब्द से आशय ओबीसी मुसलमानों से है, जिनमें इस समाज के आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछड़े सदस्य शामिल होते हैं. कथित तौर पर पसमांदा लोग भारत की मुस्लिम आबादी का करीब 80-85 प्रतिशत हैं.

मोदी ने पहले अपने पार्टी सहयोगियों को सलाह दी थी कि, पसमांदा मुसलमानों जैसे गैर-मुस्लिमों के कुछ दूसरे वंचित वर्गों से संपर्क स्थापित करें, जो सरकार की बहुत सी कल्याण योजनाओं के लाभार्थियों में शामिल हैं.

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अतिफ रशीद ने दिप्रिंट से कहा, ‘मुसलमानों की इन पिछड़ी जातियों को जगह देकर, जो राजनीतिक, शैक्षिक, और आर्थिक रूप से हाशिए पर चले गए हैं, हम पूरे पसमांदा समाज को एक संदेश दे सकते हैं, कि वो अब पार्टियों के लिए केवल एक वोट बैंक नहीं हैं, बल्कि उन्हें इतना महत्वपूर्ण समझा जा रहा है, कि उन्हें नेतृत्व की ज़िम्मेदारियां दी जा सकती हैं’.

उन्होंने आगे कहा, ‘पार्टी, सरकार या आयोगों में कुछ पद देकर उन्हें बीजेपी से जोड़ना एक अच्छा क़दम है’.

सूत्रों के अनुसार, पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के दौरान, जो 2-3 जुलाई को हैदराबाद में हुई, पीएम ने पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई से कहा था, कि वो पसमांदा समाज पर सरकार की नीतियों के प्रभाव का विश्लेषण करे, और उनके लिए एक आउटरीच कार्यक्रम तैयार करे.

एक दूसरे पार्टी पदाधिकारी ने कहा, ओबीसी मोर्चे में पसमांदा समाज का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए, उन्हें जल्द से जल्द नियुक्तियां देने के प्रयास किए जा रहे हैं.

पदाधिकारी ने आगे कहा, ‘उच्च वर्ग के मुसलमानों ने एक ज़माने से पसमांदा समाद को अपने आधीन किया हुआ है. आर्थिक रूप से वो सबसे पिछड़े हुए हैं, और पिछली सरकारों ने उनकी भलाई के लिए कुछ ज़्यादा नहीं किया है. हम उन्हें न केवल एक आवाज़ देना चाहते हैं, बल्कि उन्हें ऊपर भी उठाना चाहते हैं’.

पसमांदा आउटरीच के पिछले प्रयास

समुदाय तक पहुंचने के एक स्पष्ट प्रयास के तौर पर, बीजेपी ने पसमांदा समाज से आने वाले दानिश अंसारी को, मोहसिन रज़ा की जगह योगी सरकार में एक मंत्री बनाया था.

न सिर्फ ये बल्कि राज्य अल्पसंख्यक आयोग और मदरसा बोर्ड के सदस्य भी पसमांदा समाज से ही आते हैं.

इससे पहले, इसी महीने बीजेपी ने आज़मगढ़ और रामपुर से लोकसभा उपचुनाव जीत लिए थे- जिन दोनों सीटों पर मुसलमानों की एक अच्छी ख़ासी आबादी है.

सरकार और पार्टी में उनकी नुमाइंदगी बढ़ाने के अलावा, बीजेपी अपने सांसदों और विधायकों के ज़रिए भी पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचने की तैयारी कर रही है, और उन्हें मोदी सरकार की कल्याण योजनाओं से अवगत कराना चाहती है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: विपक्ष तो घुटने टेक चुका मगर खुद भाजपा के अंदर खलबली मची है


 

share & View comments