नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महिला सशक्तीकरण सम्मेलन को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि ‘बेटियां भी चाहती थीं कि उन्हें उनकी पढ़ाई-लिखाई के लिए, आगे बढ़ने के लिए समय मिले, बराबर अवसर मिले. इसलिए, बेटियों के लिए शादी की उम्र को 21 साल करने का प्रयास किया जा रहा है.’
पीएम मोदी ने कहा कि यूपी सरकार ने बैंक सखियों के ऊपर 75 हजार करोड़ रुपये के लेन-देन की जिम्मेदारी सौंपी हैं. 75 हजार करोड़ रुपये का कारोबार गांवों में रहने वाली मेरी बहनें-बेटियां कर रही हैं.
‘योगी ने गुंडों को ठिकाने लगाया’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आप कुछ कह नहीं सकती थीं, बोल नहीं सकती थीं. क्योंकि थाने गईं तो अपराधी, बलात्कारी की सिफ़ारिश में किसी का फोन आ जाता था. योगी जी ने इन गुंडों को उनकी सही जगह पहुंचाया है.’
‘5 साल पहले यूपी की सड़कों पर माफियाराज था! यूपी की सत्ता में गुंडों की हनक हुआ करती थी! इसका सबसे बड़ा भुक्तभोगी कौन था? मेरे यूपी की बहन बेटियां थीं. उन्हें सड़क पर निकलना मुश्किल हुआ करता था. स्कूल, कॉलेज जाना मुश्किल होता था.’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘प्रयागराज हजारों सालों से हमारी मातृशक्ति की प्रतीक मां गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम की धरती रही है. आज ये तीर्थ नगरी नारी-शक्ति के इतने अद्भुत संगम की भी साक्षी बन रही है.’
‘उत्तर प्रदेश में विकास के लिए, महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए जो काम हुआ है, वो पूरा देश देख रहा है. अभी मुझे यहां मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना की 1 लाख से ज्यादा लाभार्थी बेटियों के खातों में करोड़ो रुपये ट्रांसफर करने का सौभाग्य मिला.’
उन्होंने कहा कि ‘उत्तर प्रदेश की महिलाओं ने, माताओं-बहनों-बेटियों ने ठान लिया है- अब वो पहले की सरकारों वाला दौर, वापस नहीं आने देंगी. डबल इंजन की सरकार ने यूपी की महिलाओं को जो सुरक्षा दी है, जो सम्मान दिया है, उनकी गरिमा बढ़ाई है, वो अभूतपूर्व है.’
‘बेटियां कोख में ही ना मारी जाएं, वो जन्म लें, इसके लिए हमने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के माध्यम से समाज की चेतना को जगाने का प्रयास किया. आज परिणाम ये है कि देश के अनेक राज्यों में बेटियों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है.’
पीएम ने कहा, ‘प्रसव के बाद भी बिना चिंता के अपने बच्चे की शुरुआती देखरेख करते हुए मां अपना काम जारी रख सके. इसके लिए महिलाओं की छुट्टी को 6 महीने किया गया है.’
‘आज हमारी सरकार की योजनाएं, इस असमानता को भी दूर कर रही हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जो घर दिये जा रहे हैं, वो प्राथमिकता के आधार पर महिलाओं के ही नाम से बन रहे हैं.’
महिलाओं को पुरुषों के बराबर दे रहे अवसर
‘दशकों तक ऐसी व्यवस्था रही कि घर और घर की संपत्ति को केवल पुरुषों का ही अधिकार समझा जाने लगा. घर है तो किसके नाम? पुरुषों के नाम. खेत है तो किसके नाम? पुरुषों के नाम. नौकरी, दुकान पर किसका हक? पुरुषों का.’
उन्होंने कहा, ‘रोजगार के लिए, परिवार की आमदनी बढ़ाने के लिए जो योजनाएं देश चला रहा है, उसमें भी महिलाओं को बराबर का भागीदार बनाया जा रहा है. मुद्रा योजना आज गांव-गांव में, गरीब परिवारों से भी नई-नई महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित कर रही है.’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘दीनदयाल अंत्योदय योजना के जरिए भी देशभर में महिलाओं को स्वयं सहायता समूह और ग्रामीण संगठनों से जोड़ा जा रहा है. महिला स्वयं सहायता समूह की बहनों को तो मैं आत्मनिर्भर भारत अभियान की चैपिंयन मानता हूं.