नई दिल्ली: राजनीतिक रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर ने अपने जन सुराज अभियान की शुरुआत के पहले ही दिन बिहार की उन राजनीतिक पार्टियों पर हमला बोला जिनका राज्य में शासन रहा है. राजनीतिक रणनीतिकार ने कहा कि 1990 के बाद से बिहार लगातार पीछे ही जा रहा है. और लगातार गरीब ही रहा है.
गांधी जयंति के अवसर पर प्रशांत ने पश्चिम चंपारण जिले से 3500 किलोमीटर की पदयात्रा की शुरुआत की.
किशोर ने अपनी यात्रा पश्चिम चंपारण के भितिहारवा प्रखंड स्थित गांधी आश्रम से महात्मा गांधी की 153वीं जयंती के अवसर पर शुरू की . इसी जगह से राष्ट्रपिता ने 1917 में अपना पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था .
किशोर ने कहा, ‘ पिछले 30-40 साल से हम सुनते आ रहे हैं कि राज्य बदलेगा, यहां की शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार होगा लेकिन कुछ भी नहीं बदला है. ‘
उन्होंने आगे कहा, ‘1990 में भी बिहार एक गरीब और पिछड़ा राज्य था वही हाल 2022 में भी है. आज भी राज्य के लोग रोजी-रोटी के लिए बाहर जाने को मजबूर हैं.
किशोर ने रविवार दोपहर करीब 1.45 बजे अपने समर्थकों के साथ सड़कों पर माहौल बनाने के साथ मार्च निकाला जहां रास्ते में लोगों ने उनका स्वागत किया.
किशोर की यह यात्रा 12-18 महीनों तक चलने की संभावना है, इसके बाद उनके व्यापक रूप से राजनीति के क्षेत्र में नए सिरे से प्रवेश किए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है .
हालांकि किशोर ने अक्सर इस बात पर जोर दिया है कि ऐसा कोई भी निर्णय केवल वे लोग ही ले सकते हैं जो खुद को उनके साथ अभियान में जोड़ते हैं.
यात्रा की शुरुआत में प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया, ‘देश के सबसे गरीब और पिछड़े राज्य #बिहार में व्यवस्था परिवर्तन का दृढ़ संकल्प. पहला महत्वपूर्ण कदम – समाज की मदद से एक नयी और बेहतर राजनीतिक व्यवस्था बनाने के लिए अगले 12-15 महीनों में बिहार के शहरों, गांवों और क़स्बों में 3500KM की पदयात्रा.’
बेहतर और विकसित बिहार के लिए #जनसुराज
देश के सबसे गरीब और पिछड़े राज्य #बिहार में व्यवस्था परिवर्तन का दृढ़ संकल्प
पहला महत्वपूर्ण कदम – समाज की मदद से एक नयी और बेहतर राजनीतिक व्यवस्था बनाने के लिए अगले 12-15 महीनों में बिहार के शहरों, गाँवों और क़स्बों में 3500KM की पदयात्रा
बेहतर और विकसित बिहार के लिए #जनसुराज
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) October 2, 2022
जन सूराज की ओर से हाल ही में जारी एक बयान में कहा गया है कि किशोर यात्रा के दौरान हर पंचायत और प्रखंड तक पहुंचने का प्रयास करेंगे और बिना कोई ब्रेक लिए इसके अंत तक इसका हिस्सा रहेंगे.
बयान में कहा गया है कि यात्रा के तीन मुख्य लक्ष्य हैं, जिसमें जमीनी स्तर पर सही लोगों की पहचान करना और उन्हें लोकतांत्रिक मंच पर लाना शामिल है.
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