चंडीगढ़: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने यह स्पष्ट किया है कि वह मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की इच्छा के बावजूद 2022 पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के लिए काम नहीं करेंगे.
भारतीय राजनीतिक एक्शन कमेटी (IPAC) के संस्थापक, किशोर को 2017 के चुनावों में अमरिंदर के नेतृत्व वाली कांग्रेस की रणनीति को बनाने और उसे क्रियान्वित करने का श्रेय दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की.
लेकिन किशोर ने दिप्रिंट से कहा कि वह, कांग्रेस के लिए ‘कम और टुकड़ों’ में काम करना नहीं पसंद करेंगे, और कहा कि सभी अटकलों को विराम देना चाहिए.
किशोर ने कहा, ‘मैं पहले ही इस विषय पर काफी-कुछ बोल चुका हूं और नहीं बोलना. मैं कांग्रेस के लिए थोड़े और टुकड़ों में काम करना नहीं चाहता.
किशोर को लेकर पार्टी बंटी हुई
प्रशांत का यह दोटूक जवाब उस समय सामने आया है जब किशोर की भागीदारी को लेकर पंजाब के सीएम की पार्टी के लोग बंटे हुए हैं. राज्य कांग्रेस प्रमुख सुनील जाखड़ और पंजाब मामलों की प्रभारी आशा कुमारी ने पिछले सप्ताह सार्वजनिक रूप से कहा था कि किशोर को पंजाब चुनाव की जरूरत नहीं थी, लेकिन अमरिंदर उनके लिए महत्वपूर्ण थे.
मुख्यमंत्री ने पिछले शुक्रवार को एक वीडियो प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दावा किया था कि किशोर ने 2022 के विधानसभा चुनावों की रणनीति को आकार देने के लिए अनुरोध पर ‘सकारात्मक जवाब दिया’ है. अमरिंदर ने कहा था, ‘किशोर ने कहा है कि उन्हें आने और मदद करने में काफी खुशी होगी.’ अमरिंदर ने आगे कहा कि उन्होंने मसले पर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी चर्चा की थी, जिन्होंने फैसला उन पर छोड़ दिया था.
अमरिंदर ने दावा किया कि उन्होंने अपनी पार्टी के विधायकों को भी विश्वास में लिया है, और 80 में से 55 नेता अभियान को संभालने के लिए किशोर को वापस लाने के पक्ष में थे.
हालांकि, पार्टी के सूत्रों ने दावा किया कि जाखड़ और कुमारी के अलावा, बड़ी संख्या में पार्टी के विधायक, जिनमें वरिष्ठ मंत्री भी शामिल हैं, किशोर को वापस नहीं चाहते.
एक विधायक ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा, ‘मैंने कम से कम आधा दर्जन विधायकों के साथ मुख्यमंत्री से मुलाकात की और उन्हें बताया कि किशोर को लाना अच्छा आइडिया नहीं है.’
2017 का चुनावी अभियान
कांग्रेस का 2017 का विधानसभा चुनाव अभियान प्रशांत किशोर द्वारा डिजाइन किया गया था और पूरी तरह से अमरिंदर सिंह की इमेज के इर्द-गिर्द लड़ा गया था. पार्टी ने 117 सीटों वाली विधानसभा में 77 सीटें जीती थी और अमरिंदर ने सफलता का श्रेय किशोर को दिया था.
अपनी शुक्रवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी, अमरिंदर ने चुनाव लड़ने की अपनी मंशा दोहराई, लेकिन कहा कि पार्टी का नेतृत्व करने का फैसला कांग्रेस अध्यक्ष के साथ तय होना है. उन्होंने कहा कि हालांकि उन्होंने शुरू में 2017 के चुनावों को अपना आखिरी चुनाव बताया था, लेकिन बाद में उन्होंने अपने पार्टी के सहयोगियों के समझाने पर विचार बदल लिया था.
पार्टी के सूत्रों ने कहा कि अमरिंदर के साथ इस अभियान (चुनाव) का नेतृत्व होना है, वह चाहते हैं कि किशोर द्वारा 2017 की रणनीति दोहराई जाए.
सिद्धू फैक्टर
पार्टी के एक विधायक ने कहा, ‘हालांकि, राज्य में पार्टी के अंदर अमरिंदर के वर्चस्व को लेकर कोई गंभीर चुनौती नहीं है, पर समय रहते शांत (संतुष्ट) नहीं किया गया तो सिद्धू अमरिंदर के खिलाफ काफी हद तक हानिकारक भूमिका निभा सकते हैं.’
पूर्व कैबिनेट मंत्री सिद्धू ने पिछले साल संसदीय चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन को लेकर अमरिंदर द्वारा उनके विभागों को बदलने के बाद सिद्धू ने कैबिनेट में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
जब अभी सिद्धू शांत और दबे हुए हैं, तो अमरिंदर कहते हैं कि वह ‘वह कांग्रेस के बहुत अहम हिस्सा’ हैं. अमरिंदर ने शुक्रवार को कहा कि सिद्धू या किसी अन्य कांग्रेस सदस्य को किसी भी मुद्दे पर कोई चिंता थी, वह आकर उनसे बात कर सकते थे.
किशोर पंजाब में आम आदमी पार्टी का नेतृत्व करने के लिए सिद्धू को लाने की कोशिश कर रहे थे, इन अफवाहों का जवाब देते हुए अमरिंदर ने कहा कि उन्होंने किशोर से बात की थी और इस बात से इंकार किया था कि वह सिद्धू या आप के साथ बातचीत कर रहे थे.
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने हालांकि कहा था कि सिद्धू का उनकी पार्टी में ‘स्वागत’ है.
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