नई दिल्ली: आवारा कुत्तों की समस्या को बड़ा मुद्दा बताते हुए, दिल्ली के मंत्री आशीष सूद ने कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति करना सही नहीं है और जोर दिया कि संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा.
दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में सूद ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों को हटाने के आदेश पर टिप्पणी को लेकर निशाना साधा.
सूद ने कहा, “देखिए, दिल्ली में आवारा कुत्ते बड़ी समस्या हैं. लेकिन साथ ही, हम पशु प्रेमियों का इन कुत्तों से गहरा रिश्ता है. निश्चित रूप से, सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानना पड़ेगा.”
सूद ने कहा कि इस फैसले का अध्ययन किया जाएगा और इसे कानूनी तरीके से लागू किया जाएगा.
“एक नीति संबंधी फैसला लिया जाएगा और नीति बनाई जाएगी. कुत्ता प्रेमी अपने प्यार को जारी रखें और आम नागरिक आराम से जीवन जीने का अधिकार पा सकें.
इन दोनों के बीच संतुलन बनाना होगा. इसमें कानूनी पहलू भी है. इन सभी बातों में जो संतुलन बनेगा, उसे नीति भी कहा जा सकता है. इसे आप शहर में साथ रहने की नीति भी कह सकते हैं, लेकिन निश्चित रूप से सरकार इसे गंभीरता से देख रही है और समाधान निकालेगी,” उन्होंने कहा.
जब पूछा गया कि विपक्षी नेताओं सहित कई लोगों ने यह कहा है कि डॉग शेल्टर रातोंरात नहीं बनाए जा सकते और नगर निगम को बड़े फंड की जरूरत है, सूद ने कहा कि इस समय इस मुद्दे पर राजनीति करना सही नहीं है.
उन्होंने कहा, “स्वाभाविक है, यह (रातोंरात शेल्टर बनाना) संभव नहीं है. अगर सुप्रीम कोर्ट ने कुछ कहा है, तो विशेषज्ञ इसका मूल्यांकन करेंगे. क्या करना है और क्या नहीं करना है, यह आने वाले दिनों में तय होगा. कुछ नेताओं और विचारधाराओं की यह आदत बन गई है कि हर चीज में राजनीति देखें और हर चीज में रुकावट डालें… वे कहते हैं, यह नहीं होगा, यह नहीं होगा.”
सूद ने इसे नागरिक मुद्दा बताया और कहा कि जबकि कुत्ता प्रेमियों का अधिकार है, वहीं जिन लोगों पर हमले हो रहे हैं, उनका भी जीने का अधिकार है. “दोनों साथ-साथ चलने चाहिए. यह ऐसे है जैसे दो समानांतर रेखाएं हों जो साथ-साथ चलें. हमें इसे समझना होगा. और इस तरह की टिप्पणियां करके आप स्थिति को और खराब ही करते हैं. आप न तो सरकार की मदद कर रहे हैं, न जनता की,” उन्होंने कहा.
हाल ही में पास हुए दिल्ली स्कूल एजुकेशन (फीस तय करने और नियमन में पारदर्शिता) विधेयक 2025 के बारे में, जो स्कूल शिक्षा के बढ़ते व्यावसायीकरण को रोकने के लिए है, सूद ने पूर्ववर्ती आप सरकार पर कुछ निजी स्कूलों के साथ मिलीभगत कर मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने की इजाजत देने का आरोप लगाया.
“सालों से निजी स्कूल बिना रोक-टोक फीस बढ़ाते रहे, हमारा नया कानून स्कूलों को नियंत्रित करता है, मुनाफाखोरी रोकता है और सरकारी स्कूलों को मजबूत करने पर ध्यान देता है.”
आप के ‘शिक्षा मॉडल’ पर तीखा हमला करते हुए सूद ने कहा, “स्कूलों में स्विमिंग पूल शिक्षा क्रांति नहीं है, 1980 में भी दिल्ली में ये थे. जरूरत है सीखने के नतीजे सुधारने की और ढांचे को बेहतर बनाने व बनाने की.”
“आप भ्रष्ट लोगों की सरकार थी. यह चोरों की पार्टी है. बाकी 1,400 स्कूलों की फीस पर बात क्यों नहीं करते? क्योंकि उनके अपने लोग ऐसे स्कूल चलाते हैं. उनके विधायक के स्कूल हैं. उनके पार्षद के स्कूल अनधिकृत कॉलोनियों में हैं. स्कूल चलाना मुद्दा नहीं है, कोई भी चला सकता है, लेकिन मनमाने ढंग से फीस बढ़ाना गलत है,” दिल्ली के शिक्षा मंत्री ने आरोप लगाया.
हालांकि, सूद ने कहा कि असली भलाई एक ऐसे कानून में है जो फीस को व्यवस्थित तरीके से नियंत्रित करे.
उन्होंने दावा किया, “फीस बढ़ेगी… लेकिन एक नियंत्रित तरीके से. हमने उन सभी तत्वों का सामना करने का साहस दिखाया जो ‘फीस माफिया’ के रूप में काम करते थे. जो लोग आम आदमी पार्टी को टेबल के नीचे पैसे देते थे, जो उनके चुनावों में फंड करते थे, हमने ऐसे तत्वों के सामने खड़े होकर यह साहस दिखाया.”
सूद ने आगे आरोप लगाया कि आप सरकार के कार्यकाल के दौरान, कुछ स्कूलों को कई बार फीस बढ़ाने की अनुमति मिलती थी.
“मुझे बताइए, एक स्कूल में जहां आपके पास अधिशेष फंड है और आपको फीस बढ़ाने का मौका मिलता है, यह कैसे हुआ? आपका खाता अधिशेष दिखा रहा है. फिर आपको फीस बढ़ाने का मौका मिलता है. वे पैसे लेते थे. मिलीभगत थी. वे टेबल के नीचे पैसे लेते थे. चुनाव लड़ने के लिए पैसे लेते थे,” उन्होंने आरोप लगाया.
सूद ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के क्रियान्वयन में देरी पर भी सवाल उठाया और पूछा कि आप सरकार ने अपने कार्यकाल में ऐसा क्यों नहीं किया. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 ने पहली कक्षा में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु छह साल तय करने की सिफारिश की थी. इसके परिणामस्वरूप, अब सभी स्कूलों को बुनियादी स्तर में एक अतिरिक्त वर्ष जोड़ना होगा.
“एनईपी 2020 एक राष्ट्रीय नीति है. दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है, राजनीति के चलते इसे लागू करने से इनकार करना दुर्भाग्यपूर्ण है,” सूद ने कहा और बताया कि अगले साल से पहली कक्षा में 6 साल की उम्र में प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए परिपत्र जारी किए गए हैं.
दिल्ली सरकार, उन्होंने कहा, एनईपी के हर पहलू को लागू करेगी.
उन्होंने कहा, “हमने स्कूलों को सर्कुलर भेजा है. देखिए, पहली कक्षा में आने से पहले एक साल जोड़ा जाएगा. जो माता-पिता अभी पढ़ रहे हैं, उन्होंने अपनी वित्तीय व्यवस्था की है, स्कूल ने अपने कमरे, शिक्षक, उनका पाठ्यक्रम तैयार किया है. हमने परिपत्र जारी कर दिया है. अब जिनके पास साधन हैं, वे कर सकते हैं. अन्यथा, अगले साल से प्रवेश उसी के अनुसार किया जाएगा.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: न्यूयॉर्क में मुनाफा, UP में नुकसान—जेन स्ट्रीट की ‘बाजार हेरफेर’ ने टियर-2 और 3 पर क्या असर डाला