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Saturday, 16 November, 2024
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हरियाणा कांग्रेस में सियासी हलचल—हुड्डा गुट के विधायकों को नेता प्रतिपक्ष पद पर दूसरे कार्यकाल की उम्मीद

शुक्रवार को होने वाली कांग्रेस विधायक दल की अहम बैठक से कुछ दिन पहले हुड्डा द्वारा बुलाई गई ‘अनौपचारिक’ बैठक में 31 विधायकों ने हुड्डा को अपना समर्थन देने का संकल्प लिया. हालांकि, शैलजा गुट के 5 विधायक इसमें शामिल नहीं हुए.

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गुरुग्राम: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस हाईकमान द्वारा हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) के रूप में चुने गए किसी भी व्यक्ति को थोपने के लिए दिल्ली से किसी भी कदम का विरोध करने के लिए इच्छुक दिख रहे हैं.

हुड्डा द्वारा बुधवार को अपने दिल्ली आवास पर बुलाई गई नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायकों की आपात बैठक को शुक्रवार को चंडीगढ़ में कांग्रेस विधायक दल की महत्वपूर्ण बैठक से पहले उनकी ओर से शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है.

हरियाणा में कांग्रेस के 37 विधायकों में से 31 हुड्डा के आवास पर हुई बैठक में शामिल हुए और उन्होंने अपना समर्थन देने का वादा किया. हालांकि, शैलजा गुट के पांच विधायक स्पष्ट रूप से अनुपस्थित रहे.

हुड्डा ने गुरुवार को दिप्रिंट से कहा, “यह एक अनौपचारिक बैठक थी. कई नवनिर्वाचित विधायकों ने बैठक आयोजित करने का आह्वान किया था. इसलिए मैंने एक अनौपचारिक बैठक बुलाई.”

पूछे जाने पर कि कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) का नेतृत्व कौन करेगा, हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस हाईकमान 18 अक्टूबर को सभी नवनिर्वाचित विधायकों से मिलने के बाद फैसला करेगा. हालांकि हुड्डा ने इस सवाल को खारिज कर दिया कि क्या वे सीएलपी नेता के रूप में एक और कार्यकाल पूरा करना चाहते हैं, यह काल्पनिक है. वे 2019 से 2024 तक सीएलपी नेता और एलओपी थे.

कांग्रेस के एक विधायक और हुड्डा के वफादार ने दिप्रिंट से बात करते हुए दावा किया कि सीएलपी बैठक की तारीख के बारे में केवल पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उदय भान को ही सूचित किया गया था. हालांकि, हुड्डा ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें इसकी जानकारी थी.

विधायक ने आगे कहा, “हुड्डा को विश्वास में लिए बिना इस तरह से सीएलपी नेता चुनने के लिए बैठक बुलाकर पार्टी हाईकमान ने अनावश्यक रूप से टकराव की स्थिति पैदा कर दी है. कल अगर पार्टी हाईकमान अपनी पसंद हम पर थोपना चाहे तो यह कैसे स्वीकार्य होगा, जब 37 में से 32 विधायक एक तरफ हैं?”

विधानसभा चुनाव में हार के बाद हरियाणा कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया ने राहुल गांधी को अपना इस्तीफा देने की पेशकश की. इस कदम से हुड्डा के वफादार उदय भान पर प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने और हुड्डा पर एलओपी पद पर दावा करने से बचने का दबाव बढ़ गया है.

इस हार से यह भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि कांग्रेस हाईकमान हरियाणा में बदलाव पर विचार कर रहा है, जिसमें विधायक दल के नेता, प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी को बदलना शामिल है.

अगर विपक्ष का नेता कुमारी शैलजा गुट को मिलता है, तो पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्र मोहन को इस पद को संभालने के लिए वरिष्ठ नेता माना जा रहा है. भजन लाल के बड़े बेटे चंद्र मोहन पांच बार विधायक रह चुके हैं. वे चार बार कालका से और हाल ही में संपन्न चुनाव में पंचकूला से विधायक चुने गए हैं.

हालांकि, विवाहेतर संबंध और फिर से शादी करने के लिए इस्लाम धर्म अपनाने से जुड़े “फिज़ा प्रकरण” ने उन्हें 2008 में उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया और अब यह उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है.

हुड्डा गुट के विधायकों में प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए झज्जर की दलित विधायक गीता भुक्कल और विपक्ष के नेता पद के लिए थानेसर विधायक अशोक अरोड़ा के नाम चर्चा में हैं.


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हुड्डा ने कांग्रेस को ज़िंदा रखा : रोहतक MLA

कुरुक्षेत्र के थानेसर से चार बार विधायक रहे अशोक अरोड़ा पंजाबी समुदाय से हैं और उन्हें विधायी मामलों का व्यापक अनुभव है. उन्होंने सैनी सरकार में पूर्व स्थानीय निकाय मंत्री सुभाष सुधा को 3,243 मतों से हराकर थानेसर से यह चुनाव जीता है. इससे पहले वे हरियाणा में कैबिनेट मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं.

दिप्रिंट से बातचीत में अरोड़ा ने सभी अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस विधायक चाहते हैं कि हुड्डा कांग्रेस विधायक दल के नेता और विपक्ष के नेता के तौर पर उनका नेतृत्व करें.

हरियाणा में कांग्रेस ने 37 सीटें “हुड्डा की वजह से” जीती हैं, यह दावा करते हुए अरोड़ा ने कहा, “जहां तक ​​भाजपा की जीत का सवाल है, कांग्रेस ने ईवीएम को लेकर निर्वाचन आयोग से अपनी शिकायतें पहले ही दर्ज करा दी हैं. लोग हुड्डा को अगला मुख्यमंत्री देखना चाहते थे, लेकिन भाजपा ने ईवीएम के जरिए जनमत पलट दिया.”

रोहतक से कांग्रेस विधायक भारत भूषण बत्रा ने कहा कि इस समय विपक्ष के नेता में कोई भी बदलाव पार्टी के हितों के खिलाफ होगा.

बत्रा ने गुरुवार को दिप्रिंट को फोन पर बताया, “बुधवार की बैठक में हर विधायक भूपेंद्र सिंह हुड्डा को अपना नेता देखना चाहता था. भाजपा के 10 साल के शासन के दौरान हुड्डा ने कांग्रेस को ज़िंदा और युद्ध के मूड में रखा है. लोग हुड्डा को सीएम के तौर पर देखना चाहते थे, लेकिन भाजपा जीतने में कामयाब रही.”

उन्होंने कहा, “अगर कांग्रेस के मन में कोई जातिगत समीकरण है, तो वह बाद में बदलाव कर सकते हैं, लेकिन अधिकांश विधायकों का मानना ​​है कि पार्टी को इस समय हुड्डा के साथ ही रहना चाहिए, क्योंकि अब कोई भी बदलाव पार्टी कार्यकर्ताओं और विधायकों के मनोबल को प्रभावित करेगा.”

यह पूछे जाने पर कि क्या हुड्डा के वफादार विधायक हुड्डा के अलावा किसी और को कांग्रेस विधायक दल का नेता नियुक्त करने के किसी भी कदम का विरोध करेंगे, बत्रा ने कहा कि अगर पार्टी बुधवार की बैठक में शामिल 32 विधायकों में से किसी को भी नियुक्त करती है, तो कोई आपत्ति नहीं हो सकती है, लेकिन, उन्होंने कहा कि विधायक चाहते हैं कि हुड्डा विपक्ष के नेता के तौर पर उनका नेतृत्व करें.

उन्होंने आगे कहा, “अगर पार्टी इन 32 में से किसी को भी नामित करना चाहती है, तो स्थिति के अनुसार फैसला लिया जाएगा.”

कांग्रेस हाईकमान ने चंडीगढ़ में 18 अक्टूबर को होने वाली कांग्रेस विधायक दल की बैठक के लिए तीन नेताओं को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. इनमें राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, वरिष्ठ पार्टी नेता अजय माकन और पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा शामिल हैं.

हुड्डा के आवास पर बैठक में शामिल होने वाले और न होने वाले विधायक और प्रमुख विधायकों में बादली विधायक कुलदीप वत्स, बेरी विधायक रघुवीर कादियान, रोहतक विधायक भारत भूषण बत्रा, नारनौंद विधायक जस्सी पेटवार और थानेसर विधायक अशोक अरोड़ा शामिल हैं.

इनके अलावा फतेहाबाद विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया, ऐलनाबाद विधायक भरत बेनीवाल, फिरोजपुर झिरका विधायक मम्मन खान, पुन्हाना विधायक मोहम्मद इलियास, नूंह विधायक आफताब अहमद, कलायत विधायक विकास सहारन और लोहारू विधायक राजबीर फरटिया भी हुड्डा के आवास पर बैठक में शामिल रहे.

महिला विधायकों में कलानौर विधायक शकुंतला खटक, जुलाना विधायक विनेश फोगाट, झज्जर विधायक गीता भुक्कल और मुलाना विधायक पूजा चौधरी भी बैठक में शामिल हुईं. इसके अलावा होडल से चुनाव हार चुके प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान और महेंद्रगढ़ से हार चुके राव दान सिंह भी बैठक में मौजूद रहे.

बैठक में शामिल न होने वाले शैलजा गुट के पांच विधायकों में पार्टी महासचिव रणदीप सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला (कैथल), चंद्र मोहन (पंचकूला), शैली चौधरी (नारायणगढ़), रेणु बाला (सढौरा) और अकरम खान (जगाधरी) शामिल हैं.

हुड्डा की बैठक में शामिल बलवान सिंह दौलतपुरिया को भी कुमारी शैलजा का करीबी माना जाता है, लेकिन वे पार्टी टिकट आवंटन से पहले ही हुड्डा के संपर्क में थे.

दौलतपुरिया ने फोन पर दिप्रिंट को बताया, “मैं दीपेंद्र हुड्डा का धन्यवाद करने बैठक में गया था, जिन्होंने मेरे निर्वाचन क्षेत्र में बैठकों को संबोधित किया और मुझे चुनाव जीतने में मदद की. बुधवार की बैठक में 18 अक्टूबर की सीएलपी बैठक पर कोई चर्चा नहीं हुई.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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