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Tuesday, 9 September, 2025
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कर्नाटक के मांड्या में गणेश विसर्जन जुलूस के दौरान झड़पों के बाद बढ़ा सियासी दांव-पेंच

गणेश विसर्जन जुलूस के दौरान मस्जिद के पास हुई झड़पों के बाद भाजपा-जेडी(एस) नेता मांड्या पहुंचे. अब तक 21 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है.

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बेंगलुरु: मांड्या ज़िले के मड्डूर कस्बे (बेंगलुरु से करीब 100 किमी दूर) में हुए सांप्रदायिक टकराव के मामले में सोमवार को 21 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

ये झड़प रविवार रात करीब 8 बजे उस समय हुई जब सिद्धार्थ नगर 5th क्रॉस से निकली गणेश विसर्जन यात्रा राम रहीम नगर की एक मस्जिद के सामने से गुज़र रही थी. कुछ उपद्रवियों ने जुलूस पर पत्थरबाजी की, जिसके बाद माहौल बिगड़ गया. मांड्या ज़िले में तनाव बढ़ गया है, जिसे अब कर्नाटक के सांप्रदायिक हॉटस्पॉट्स में गिना जाने लगा है.

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार को बताया, “जब जुलूस मस्जिद के सामने से गुज़र रहा था, तभी झड़प हुई. पुलिस को हल्का लाठीचार्ज करना पड़ा क्योंकि जब पुलिस ने लोगों से वहां से हटने को कहा, तो उन्होंने बात नहीं मानी और भीड़ इकट्ठा हो गई. अब तक कुल 21 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.”

राजनीतिक पृष्ठभूमि भी यहां अहम है. 2023 में कांग्रेस ने मड्डूर और मांड्या विधानसभा सीटों पर जेडी(एस) को हराया था. इसके बाद जेडी(एस) ने बीजेपी से गठबंधन कर लिया. 2024 के लोकसभा चुनाव में एच.डी. कुमारस्वामी ने गठबंधन उम्मीदवार के तौर पर मांड्या सीट जीती. इस वजह से मांड्या की राजनीति अब तीन तरफा हो गई है और खींचतान बढ़ी हुई है.

पहली झड़पों के बाद हिंदू संगठनों ने ज़िले के अलग-अलग इलाकों में विरोध प्रदर्शन किए. मड्डूर में प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि जुलूस को निशाना बनाकर हमले किए गए. फिलहाल मांड्या में तनावपूर्ण माहौल है और हिंदू संगठन अब भी “उकसावे” के खिलाफ प्रदर्शन की तैयारी में हैं.

हालात को काबू में रखने के लिए कांग्रेस सरकार ने पड़ोसी ज़िलों से वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को मंड्या भेजा है और बुधवार तक किसी भी तरह की भीड़ या सभा पर रोक लगा दी है.

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, “स्थिति अब पूरी तरह नियंत्रण में है.”

ये झड़पें पिछले साल हुई घटनाओं की याद दिलाती हैं. 2024 में मांड्या के नागमंगला कस्बे (मड्डूर से करीब 60 किमी दूर) में भी गणेश विसर्जन जुलूस पर पत्थरबाजी के बाद हिंसा भड़क गई थी. भीड़ ने कई दुकानों में आग लगा दी थी और करोड़ों की संपत्ति नष्ट हो गई थी.

पिछले एक साल में मांड्या (जिसे ‘शक्कर नाडु’ यानी शक्कर नगरी भी कहा जाता है) से ऐसे कई मामलों की रिपोर्ट सामने आ चुकी है.


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‘कोई जात नहीं, हम हिंदू हैं’

मांड्या ज़िले के मड्डूर में झड़पों के बाद सोमवार को बीजेपी और उसके संगठनों के नेता तुरंत मौके पर पहुंचे. इनमें आगबबूला बयानों के लिए मशहूर बीजेपी नेता प्रताप सिम्हा भी थे, जो अक्सर ऐसे हालात में अपनी मौजूदगी दर्ज कराते रहे हैं. उन्होंने भगवा शॉल पहने भीड़ को संबोधित किया, जहां लोग जोरदार नारेबाज़ी कर रहे थे.

सिम्हा ने कहा, “हमें योगी आदित्यनाथ चाहिए.” भीड़ ने तालियों और नारों से इसका स्वागत किया. उनका इशारा उत्तर प्रदेश में “दंगाइयों” के घरों पर बुलडोज़र चलाने की नीति की तरफ था. उन्होंने कहा कि योगी दोबारा जीतकर आए क्योंकि उत्तर प्रदेश की जनता जातियों में बंटी नहीं है, बल्कि खुद को हिंदू मानती है.

बीजेपी खेमे, जिनमें सिम्हा भी शामिल हैं, पर आरोप है कि वे कांग्रेस और सिद्धारमैया सरकार को “तुष्टिकरण की राजनीति” करने वाला बताते हैं. सोमवार को सिम्हा ने यह मुद्दा फिर उठाया.

उन्होंने कहा, “आप (मुसलमान) कहते हैं कि मस्जिद के पास से गुज़रते समय हमें आवाज़ नहीं करनी चाहिए, लेकिन दिन में तीन बार आप ही चिल्लाते हैं कि अल्लाह के सिवा कोई भगवान नहीं. क्या हम इसे नहीं सुनते?” उनका इशारा अज़ान की ओर था.

सिम्हा ने सवाल किया कि पत्थर मस्जिद के अंदर कैसे पहुंचे और पुलिस से मांग की कि वह जुलूसों को सुरक्षा दे. इस दौरान भीड़ ने डीजे की भी मांग कर दी.

सोमवार की झड़पों को लेकर कर्नाटक के गृहमंत्री जी. परमेश्वर ने कहा, “यहां-वहां से छोटे-छोटे वाकये की रिपोर्ट मिली है. एक जगह झंडा लेकर आए एक शख्स पर चाकू से हमला करने की कोशिश हुई. दूसरी जगह तीन-चार साल के छोटे बच्चे ऊपर खड़े होकर गणपति जुलूस पर थूक रहे थे.”

उनकी इन टिप्पणियों पर विपक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. बीजेपी पूरे देश में चुनावों में हिंदुत्व का एजेंडा चलाती रही है, लेकिन कर्नाटक में जाति फैक्टर कहीं ज़्यादा अहम है. अपवाद सिर्फ तटीय ज़िले रहे हैं. हाल के समय में मांड्या में हिंदू पहचान पर ज़ोर देने की कोशिशें तेज़ हुई हैं.

जनवरी 2023 में मांड्या के केरागोडु गांव को किले में बदल दिया गया था, जब हिंदुत्व संगठनों ने राज्य सरकार द्वारा बस स्टैंड के पास भगवा या धार्मिक झंडा फहराने की अनुमति न मिलने पर ज़ोरदार प्रदर्शन किया.धर्म की राजनीति मांड्या ज़िले में लगातार दिखाई देती रही है.

2023 विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने इतिहासकारों द्वारा “काल्पनिक” करार दिए गए दो किरदारों को प्रचार में उभारा. पार्टी का दावा था कि दो शख्स — उरी गौड़ा और नंजे गौड़ा (वोक्कालिगा मुखिया) ने 200 साल पहले टीपू सुल्तान को मारा था. हालांकि, मांड्या स्थित वोक्कालिगा समुदाय के धार्मिक केंद्र आदिचुंचनगिरी मठ के प्रमुख ने इस सिद्धांत को नकार दिया.

इससे पहले, जून 2022 में, हिंदुत्व संगठनों जिनमें विश्व हिंदू परिषद और उसका सहयोगी बजरंग दल शामिल थे दोनों ने ज़िला प्रशासन से मड्डूर कस्बे और उसके आसपास हनुमान चालीसा पाठ करने की अनुमति मांगी थी. चुनी गई जगह श्रीरंगपटना की जामा मस्जिद यानी मस्जिद-ए-आला थी, जिसके बारे में हिंदुत्व संगठनों का दावा है कि यह पहले मंदिर था, जिसे टीपू सुल्तान ने जबरन मस्जिद में बदल दिया.

मांड्या की राजनीति

वोक्कालिगा बहुल इलाका कहे जाने वाला मांड्या, पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा की पार्टी जनता दल (सेक्युलर) यानी जेडी(एस) का गढ़ माना जाता है और राज्य में किसान आंदोलन का भी केंद्र रहा है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि वोक्कालिगा अक्सर देवेगौड़ा के समर्थक माने जाते हैं, लेकिन यही ज़मीन से जुड़े किसान समुदाय लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी समर्थन करता है. इससे साफ है कि इनमें से कुछ लोग हिंदुत्व के एजेंडे का भी साथ देते हैं.

केंद्रीय मंत्री और मांड्या से जेडी(एस) सांसद एच.डी. कुमारस्वामी ने सोमवार को एक्स पर लिखा, “मड्डूर की जनता शांति बनाए रखे. नफरत फैलाने और अमन में आग लगाने वाली बुरी ताकतों से सावधान रहें. मैंने ज़िला प्रशासन को साफ निर्देश दिए हैं कि गणपति जुलूस पर पत्थर फेंकने वाले उपद्रवियों को गिरफ्तार कर कड़ी सज़ा दें. सब लोग शांति कायम करने में सहयोग करें. कांग्रेस सरकार हिंदू समुदाय को नाखुश करने वाले तरीके से काम कर रही है. सभी को इसके प्रति सतर्क रहना चाहिए.”

उनका यह बयान इस बात को दिखाता है कि जेडी(एस) नेता अपने गठबंधन सहयोगी (बीजेपी) के मुद्दों पर कितनी सावधानी बरतते हैं क्योंकि बीजेपी इस क्षेत्र पर नज़र गड़ाए हुए है और 2028 विधानसभा चुनावों में पूर्ण बहुमत पाना चाहती है.

कुमारस्वामी के बेटे निखिल सोमवार को मड्डूर पहुंचे और लोगों को भरोसा दिलाया कि न्याय की लड़ाई में वे उनके साथ खड़े हैं.

उन्होंने कहा, “आज की दुर्भाग्यपूर्ण घटना में पुलिस पर पत्थरबाज़ी हुई…मैं सिर्फ मांड्या की नहीं और भी घटनाओं की बात कर रहा हूं. पुलिस थानों को जलाया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. क्यों?…यह एक समुदाय को खुश करने और कांग्रेस के वोट बैंक को मजबूत करने के लिए किया गया.”

निखिल ने पहले भी सिद्धारमैया सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि उसने अब प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के खिलाफ दर्ज 1,600 मामले वापस ले लिए थे, जो कांग्रेस के “तुष्टिकरण” का सबूत है. यह बयान बीजेपी की सोच से मेल खाता है.

दरअसल, कर्नाटक के गृहमंत्री जी. परमेश्वर ने एक विधायक की मांग पर विचार करने को कहा था, जिसमें कहा गया था कि निर्दोष युवाओं और छात्रों पर झूठे केस लगाए गए हैं. ये गिरफ्तारियां बेंगलुरु के डीजे हॉल्ली-केजी हॉल्ली दंगों, शिवमोग्गा, हुब्बली और अन्य जगहों की हिंसा से जुड़ी थीं.

सोमवार की घटना के बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने कांग्रेस पर हिंदुओं का अपमान करवाने और उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री को भगवा पसंद नहीं है. अगर उन्हें भगवा पगड़ी दी जाए तो वे फेंक देंगे, लेकिन ईद-मिलाद के दिन उन्होंने खुशी-खुशी टोपी पहनकर पूरा दिन बिताया.”

विजयेंद्र ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की “अहिंदू और अल्पसंख्यकपरस्त” नीतियों के कारण कर्नाटक में बहुसंख्यक समुदाय पर अत्याचार हो रहा है.

उन्होंने कहा, “हिंदुओं का बार-बार अपमान किया गया है. हालात ऐसे बना दिए गए हैं कि वे इज्जत से चल भी नहीं सकते. राज्य सरकार हिंदुओं पर केस दर्ज कर रही है, जबकि असामाजिक तत्वों पर दर्ज केस वापस लिए जा रहे हैं. इससे वे ताकतवर हो रहे हैं और गद्दारों को हिम्मत मिल रही है, जिन्होंने मड्डूर में हिंदुओं पर पत्थर फेंके.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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