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Thursday, 21 November, 2024
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‘PM मोदी और शाह निर्वाचित सांसद को आतंकवादी की तरह पेश कर रहे हैं’ : बारामूला के MP इंजीनियर राशिद

अंतरिम ज़मानत पर रिहा राशिद ने एक स्पेशल इंटरव्यू में खुद को दिए गए ‘अलगाववादी’ टैग, कश्मीर मुद्दे में पाकिस्तान के हितधारक होने और मोदी के ‘नया कश्मीर’ पर अपने विचार साझा किए.

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श्रीनगर: इंजीनियर राशिद के नाम से मशहूर बारामूला से सांसद अब्दुल राशिद ने दावा किया कि उनकी अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में विजयी होगी.

आतंकवाद-वित्तपोषण के आरोप में 2019 में जेल में बंद राशिद विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार करने के लिए दो अक्टूबर तक अंतरिम ज़मानत पर बाहर हैं. दिप्रिंट को दिए एक स्पेशल इंटरव्यू में राशिद ने अनुच्छेद-370 की बहाली, जम्मू-कश्मीर मुद्दे के समाधान और क्या चुनावों में खंडित जनादेश देखने को मिलेगा, समेत कई मुद्दों पर बात की.

राशिद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर एक निर्वाचित सांसद को “आतंकवादी” मानने के लिए हमला किया, “अगर सरकार को लगता है कि मैं भारतीय हूं तो मुझ पर यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम) क्यों लगाया गया? वह मेरे साथ भारतीय जैसा व्यवहार नहीं करते. आप मुझसे यह पूछने का अधिकार खो चुके हैं कि मैं भारत का हूं या नहीं.”

उन्होंने कहा, “सांसद बनने के बाद भी मेरे साथ भारतीय जैसा व्यवहार नहीं किया जाता. आपको पीएम मोदी और अमित शाह जी से पूछना चाहिए कि इंजीनियर राशिद भारत के हैं या नहीं. अगर वह कहेंगे कि ‘मैं भारत का हूं’, तो उन्हें मुझे रिहा कर देना चाहिए और अगर उन्हें लगता है कि मैं नहीं हूं, तो मेरी संसद की सीट रद्द कर देनी चाहिए.”

उन्होंने कहा, “मोदी जी ने कहा कि वे कश्मीर और दिल्ली के बीच की दूरी को खत्म कर देंगे. अमित शाह जी नागालैंड की बात करते हैं. यहां एक तरह से निर्वाचित सांसद को भी आतंकवादी बनाया जा रहा है. यह शर्म की बात है.”

राशिद जून में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को भारी अंतर से हराने के बाद बारामूला के सांसद चुने गए थे. जारी विधानसभा चुनावों में — 10 वर्षों में केंद्र शासित प्रदेश में पहली बार हो रहे चुनाव में — उनकी पार्टी मुख्यधारा की पार्टियों के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाली है.”

“आपको इतनी हिम्मत होनी चाहिए कि आप उन्हें बता सकें कि आप कितने बेशर्म हैं, वे (राशिद) सांसद बन गए और आप उन्हें वोट काटने वाला बता रहे हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मैंने वाराणसी में अपने प्रतिद्वंद्वियों को पीएम मोदी से भी बड़े अंतर से हराया. मैं अधिक वोटों से जीता, इसलिए मैंने मोदी जी को भी हरा दिया. अब मैंने सभी को हरा दिया है, मुझे आगे क्या चाहिए?”

राशिद ने श्रीनगर में अपने घर पर बातचीत के दौरान दिप्रिंट से कहा, “अगर मैं अलगाववादी हूं, तो पूरा उत्तरी कश्मीर भी अलगाववादी है. मैं बारामूला का सांसद हूं, लेकिन मैं अपने लोगों के लिए कुछ नहीं कर सकता; यह लोकतंत्र का मज़ाक है.”


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‘कश्मीर मुद्दे में पाकिस्तान एक हितधारक है’

राशिद ने अपनी रैलियों और भाषणों में ‘कश्मीर का मसला’ सुलझाने की बात कही है. जब उनसे इसका मतलब स्पष्ट करने के लिए कहा गया, तो उन्होंने कहा, “लोगों से पूछिए और कश्मीर का मसला हल कीजिए.”

उन्होंने समझाया, “जब भारत और पाकिस्तान को आज़ादी मिली, तब कश्मीर एक रियासत थी, यह एक संप्रभु राज्य था. उसके बाद महाराजा का इस्तेमाल करके और शेख अब्दुल्ला की बेईमानी से आपने उन्हें प्रशासक बना दिया और कश्मीरियों से जनमत संग्रह का वादा किया और तब से आपने अपना वादा पूरा नहीं किया.”

Rashid addresses a rally at Deliana Ground, Baramulla, Jammu and Kashmir, Thursday. | Praveen Jain | ThePrint
राशिद ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के बारामूला के डेलियाना ग्राउंड में एक रैली को संबोधित किया | फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट

जनमत संग्रह के मुद्दे पर टिप्पणी करने के लिए पूछे जाने पर, राशिद ने कहा कि उन्होंने कभी भी “जनमत संग्रह” शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों से लोकतांत्रिक तरीके से पूछा जाना चाहिए कि वे क्या चाहते हैं.

राशिद ने यह भी कहा कि कश्मीर मुद्दे में पाकिस्तान भी एक पक्ष है और यह एक ऐसा तथ्य है जिसे नकारा नहीं जा सकता.

उन्होंने तर्क दिया, “यहां तक ​​कि भारत सरकार भी कहती है कि पाकिस्तान को आतंकवाद पर रोक लगानी चाहिए और फिर बातचीत होगी. अगर पाकिस्तान आतंकवाद पर रोक लगा देगा, तो मोदीजी किस बारे में बात करेंगे? बातचीत कश्मीर पर ही होनी चाहिए. इसका मतलब है कि मोदीजी खुद मानते हैं कि कश्मीर पर बातचीत होनी चाहिए. इसलिए उन्हें यह ड्रामा बंद करना चाहिए और लक्ष्य बदलना बंद करना चाहिए और अनुच्छेद-370 को खत्म करने से कुछ नहीं होने वाला है.”

राशिद ने यह भी बताया कि पिछले कुछ दिनों में अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई वरिष्ठ नेता और मंत्री यह दावा कर रहे हैं कि पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर (पीओके) के लोग भारत के साथ रहना चाहते हैं.

उन्होंने कहा, “शायद यह सच हो, लेकिन क्या पाकिस्तान उन्हें यहां आने देगा? ज़ाहिर है, वो नहीं आने देगा और वो लड़ेगा और सीमा पर सेना है और वह उन्हें आने नहीं देगी. तो आपको कैसे पता चलेगा कि पीओके के लोग भारत आना चाहते हैं? उन्होंने कहा कि यह जानने का सबसे अच्छा तरीका है कि उनसे पूछा जाए कि वे क्या चाहते हैं. अगर ऐसा होता है तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का अखंड भारत का सपना भी साकार हो जाएगा.”

सांसद ने कहा, “और जब ऐसा होगा, तब कश्मीर के लोग कहेंगे कि आपने उनसे (पीओके में रहने वालों से) पूछा कि आप भारत चाहते हैं या पाकिस्तान, लेकिन आपने हमसे नहीं पूछा, जबकि आपने ऐसे वादे किए थे.”

बारामूला के सांसद ने कहा कि अगर पीएम मोदी का दावा है कि उनके ‘नया कश्मीर’ में अलगाववाद और उग्रवाद खत्म हो गया है, तो प्रधानमंत्री को पीओके और कश्मीर के लोगों से यह पूछने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए कि वह क्या चाहते हैं.

उन्होंने कहा, “मैं जनमत संग्रह शब्द का इस्तेमाल नहीं करूंगा, बल्कि लोगों से लोकतांत्रिक तरीके से पूछूंगा कि वो क्या चाहते हैं. इसलिए मोदी जी को डरना नहीं चाहिए और लोकतांत्रिक तरीके से सभी (पीओके, कश्मीर आदि) से पूछना चाहिए कि वो क्या चाहते हैं.”

उन्होंने पूछा, “मोदी जी डरो मत और डराओ मत. पूरा कश्मीर आपका हो सकता है, बस कश्मीर के लोगों से लोकतांत्रिक तरीके से पूछिए कि वो क्या चाहते हैं और आपका सपना साकार हो जाएगा और अगर आपके पास कोई और समाधान है, तो हमें बताइए और हम इस पर चर्चा करेंगे. तो यह सब कहने का मतलब यह कैसे है कि मैं अलगाववादी हूं?”

उन्होंने आगे कहा, “हम बस इतना चाहते हैं कि लोगों से सलाह ली जाए और कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए कहा जाए. मेरी पार्टी का रुख यह है कि भारत, पाकिस्तान और कश्मीरियों को बैठकर कश्मीर मुद्दे को सुलझाना चाहिए.”

‘PM दुनिया के मुद्दों पर मध्यस्थता करते हैं, लेकिन कश्मीर से बात नहीं करते’

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) दोनों पर निशाना साधते हुए इंजीनियर राशिद ने कहा कि महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने चुनाव की घोषणा के बाद से अनुच्छेद-370 की बहाली के लिए शांतिपूर्ण हड़ताल का कोई आह्वान नहीं किया है.

उन्होंने कहा, “क्या उनके सांसदों ने अपनी बांह पर काला बिल्ला पहना या संसद में इस मुद्दे को उठाया? उनके लिए चुनाव एक नारा है, लेकिन इंजीनियर राशिद के लिए कश्मीरियों से जो कुछ भी छीना गया है, उसे वापस लाना है और इसीलिए मैं तिहाड़ में हूं.”

राशिद ने कहा कि अगर भारतीय राष्ट्रीय विकास समावेशी गठबंधन (इंडिया), राहुल गांधी और कांग्रेस यह वादा कर सकें कि “जब भी उनकी सरकार सत्ता में आएगी, तो वो संसद में अपने घोषणापत्र में अनुच्छेद-370 की बहाली को शामिल करेंगे”, तो वह अपने सभी उम्मीदवारों को वापस ले लेंगे.

सांसद ने कहा, “उन्होंने (सभी राजनीतिक दलों ने) कश्मीर को बर्बाद कर दिया है. उमर साहब भाजपा सरकार में मंत्री थे और फारूक जी भी. मैडमजी (महबूबा मुफ्ती) ने भाजपा को लॉन्चिंग पैड दिया (जब पीडीपी भाजपा के साथ गठबंधन में थी). हमारे लिए एनसी और कांग्रेस के बीच कोई फर्क नहीं है, लेकिन अगर संसद से कोई और ऐसा नहीं कर सकता तो क्या इसका मतलब यह है कि यह नहीं होगा? नहीं, इसे हासिल करने के लिए (अनुच्छेद-370 को बहाल करना) इंजीनियर राशिद की तरह जेल जाना होगा.”

पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए, राशिद ने कहा कि जब वे “यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध में मध्यस्थ बन सकते हैं” और जब फिलिस्तीन और इज़रायल में कुछ होता है तो हस्तक्षेप करते हैं, लेकिन वे कश्मीर के बारे में बात नहीं करते हैं. आपने दुनिया की मुसीबतें उठाई हैं, लेकिन आपको अपने घर के बारे में नहीं पता है, आप हम पर आतंक का हमला करते हैं.”

राशिद ने कहा, जब हुर्रियत नेता और तीन बार विधायक रहे सैयद शाह गिलानी ने काम किया, तब भी सभी प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया गया और यहां तक ​​कि उनकी मृत्यु के समय उनके “धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन” किया गया.

उन्होंने कहा, “जिस व्यक्ति के इशारे पर पूरा कश्मीर बंद हो जाता था, उसे भी रात के अंधेरे में दफना दिया गया, इसका सीधा मतलब है कि वे गिलानी से डरते थे. आज उससे भी ज्यादा डर है, बच्चों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, लोगों पर फेसबुक पोस्ट लिखने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.”

Rashid surrounded by his supporters at his residence in Srinagar. | Praveen Jain | ThePrint
श्रीनगर में अपने घर पर समर्थकों से घिरे राशिद | फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट

कभी नहीं लगाए भारत विरोधी नारे

अपने घर पर समर्थकों से घिरे राशिद ने कहा कि उन्हें तिहाड़ वापस जाने का डर नहीं है, लेकिन उन्हें इस बात का अफसोस है कि वे निर्वाचित प्रतिनिधि होने के बावजूद अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए कुछ नहीं कर पाए.

“मैं बारामूला का सांसद हूं, लेकिन मैं लोगों के लिए एक भी काम नहीं कर पाया, क्योंकि मुझे ज़मानत तक नहीं मिल पाई. क्या मुझे ज़मानत मिलने के लिए 5.5 साल की अवधि पर्याप्त नहीं है?”

उन्होंने कहा, “जब मैं जेल में था, तब बारामूला के लोगों ने मुझे वोट दिया. क्या आपने एक भी नारा सुना ‘हम क्या चाहते हैं, आज़ादी’, क्या आपने मेरे प्रचार में कभी सुना ‘कश्मीर बनेगा पाकिस्तान’? मैंने यह सीट दो लाख से ज़्यादा वोटों से जीती है और अगर मैं अलगाववादी हूं, तो पूरे उत्तरी कश्मीर के लोग अलगाववादी हैं. अगर मैं दक्षिण कश्मीर से चुनाव लड़ता, तो मैं वहां से भी जीत जाता.”

राशिद ने कई नेताओं और विशेषज्ञों के उन दावों को खारिज किया, जिसमें विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश की बात कही गई थी, लेकिन, उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में भी वो भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करेंगे. ज़रूरत पड़ने पर पार्टी कश्मीर मुद्दे पर लोगों का समर्थन लेगी.

उन्होंने कहा, “जिन्होंने मुझे इतना प्रताड़ित किया, मुझे इतना अपमानित किया और मुझ पर कई बार हमला किया, मैं उनकी तरफ देखना भी नहीं चाहता. यह भाजपा के लिए एक सवाल है, उन्हें आत्मचिंतन करना चाहिए कि कोई उनके साथ क्यों नहीं जुड़ना चाहता, उन्हें कौन सी बीमारी है, जिससे हर कोई दूर रहना चाहता है.”

विरोधियों द्वारा उनके खिलाफ अलगाववादी होने के टैग के बारे में पूछे जाने पर राशिद ने कहा कि उन्होंने कभी भारत विरोधी नारे नहीं लगाए.

सांसद ने कहा, “अगर मैंने कहा होता कि कश्मीर बनेगा पाकिस्तान, कश्मीर को चाहिए आज़ादी, तो आप अलगाववाद की बात कर सकते थे. मैंने हमेशा कहा है कि आत्मनिर्णय का अधिकार जिसका आपने खुद संयुक्त राष्ट्र से वादा किया था. नेहरू जी ने वादा किया था, करीब 10-15 संकल्प हैं, उसके बाद आप लक्ष्य बदल रहे हैं.”

राशिद ने कहा, “आपने शेख साहब को गिरफ्तार किया, प्रधानमंत्री का पद खत्म कर दिया और फिर अनुच्छेद-370 और 35ए के रूप में थोड़ा सा बचा था और अब आपने उसे भी खत्म कर दिया है. भारत सरकार द्वारा 1947 से धोखाधड़ी का सिलसिला जारी है. जब मैं विधायक बना तो मैंने भारत के संविधान के तहत शपथ ली, फिर मैं अलगाववादी कैसे हो सकता हूं?”

‘तिहाड़ में रखा अलग-थलग’

राशिद ने उन आरोपों से भी इनकार किया कि तिहाड़ में बंद रहने के दौरान उन्हें लोकसभा चुनाव में दया के आधार पर वोट मिले थे, उन्होंने कहा कि लोगों ने उनके “विकास, प्रतिबद्धता, समर्पण और ईमानदारी के विचार” के लिए वोट दिया.

अपने अनुभव को याद करते हुए, राशिद ने कहा कि तिहाड़ में बिताए गए पहले नौ महीने “यातनापूर्ण” थे.

उन्होंने कहा, “मुझे दिन में केवल एक घंटे के लिए सेल से बाहर निकाला जाता था; मैं इस दौरान अपने परिवार को भी फोन नहीं कर सकता था. मैंने लाइब्रेरी की जिम्मेदारी संभाली और यह एक शानदार अनुभव था.”

उन्होंने आगे कहा, “जेल में एक घोषणा की गई थी, मैं अपने पैगंबर की कसम खाता हूं कि कोई भी कैदी मुझसे बात नहीं करेगा.”

उन्होंने आरोप लगाया, “18 जनवरी के बाद, मुझे बाहर निकाला गया और अपराधियों के साथ पागलखाने में रखा गया. मुझे खाना भी नहीं दिया गया.”

राशिद ने कहा, “जिस दिन मैंने (चुनावों में) जीत हासिल की, मुझे कोई जानकारी नहीं थी, लेकिन मेरे गैर-मुस्लिम कैदियों ने मेरी जीत का जश्न मनाने के लिए दो लाख रुपये की मिठाइयां बांटी. मोदी और अमित शाह एक निर्वाचित सांसद को आतंकवादी के रूप में पेश कर रहे हैं.’’

(इस इंटरव्यू को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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