नई दिल्ली: संसद के विंटर सेशन के लिए लोकसभा और राज्यसभा की बैठक बुधवार को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई. इस दौरान लोकसभा की 18 बैठकें हुईं और सदन का कार्य निष्पादन 82 प्रतिशत रहा, वहीं व्यवधान के कारण 18 घंटे 48 मिनट का समय व्यर्थ गया.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, ‘यह सत्र 29 नवंबर से शुरू हुआ और इस दौरान कुल 18 बैठकें हुई जो 83 घंटे 12 मिनट तक चलीं.’
A total of 99 MPs participated in the 12 hours 26 minutes long discussion on the COVID19, in which they shared with the House the best work done in their respective areas during the COVID period: Lok Sabha Speaker Om Birla
— ANI (@ANI) December 22, 2021
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बुधवार को कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष ने ‘जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा नहीं की और शोर-शराबा किया जो दुर्भाग्यपूर्ण है.’
जोशी ने शीतकालीन सत्र की समाप्ति पर संवाददाताओं से कहा, ‘विपक्ष का जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा नहीं करना, आसन के पास आकर शोर-शराबा करना और नियम-पुस्तिका फेंकना दुर्भाग्यपूर्ण है.’
उन्होंने दावा किया कि विपक्ष ने ही महंगाई के मुद्दे पर चर्चा की मांग की थी, सरकार चर्चा को तैयार थी और लोकसभा अध्यक्ष तथा राज्यसभा के सभापति ने इस पर चर्चा की मंजूरी दी थी, लेकिन कार्यसूची में सूचीबद्ध होने के बावजूद विपक्षी दल चर्चा को तैयार नहीं थे.
उन्होंने बताया कि सत्र के आरंभ में सदन के तीन सदस्यों ने 29 और 30 नवंबर को शपथ ली.
हालांकि, लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा कि इस सत्र में महत्वपूर्ण वित्तीय और विधायी कार्य निपटाये गए और इस दौरान 12 सरकारी विधेयक पेश किये गए और 9 विधेयक पारित हुए.
बिरला ने कहा कि इस दौरान सदन का कार्य निष्पादन 82 प्रतिशत रहा और व्यवधान के कारण 18 घंटे 48 मिनट का समय व्यर्थ गया. उन्होंने कहा, ‘सभा का कार्य निष्पादन आशा के अनुरूप नहीं रह पाया.’
The productivity of Lok Sabha in this Winter Session was approximately 82%: Lok Sabha Speaker Om Birla pic.twitter.com/9WdVdxJBjP
— ANI (@ANI) December 22, 2021
उन्होंने कहा कि 2 दिसंबर को सभा का कार्य निष्पादन 204 प्रतिशत रहा.
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इन विधेयकों को किया गया पेश
शीतकालीन सत्र निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 29 नवंबर से 23 दिसंबर तक चलना था लेकिन इसे एक दिन पहले 22 दिसंबर को अनिश्चित काल के लिये स्थगित कर दिया गया.
सत्र के दौरान कृषि विधि निरसन विधेयक 2021, राष्ट्रीय औषध शिक्षा अनुसंधान संस्थान संशोधन विधेयक 2021, केंद्रीय सतर्कता आयोग संशोधन विधेयक 2021, दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन संशोधन विधेयक 2021 और निर्वाचन विधि संशोधन विधेयक 2021 जैसे महत्वपूर्ण विधेयक पेश किये गए. 20 दिसंबर को वर्ष 2021-22 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों के दूसरे बैच पर चर्चा हुई.
सत्र के दौरान 91 तारांकित प्रश्नों के उत्तर दिये गए और 20 दिसंबर को 20 तारांकित प्रश्नों की सूची को कवर किया गया. शून्यकाल के दौरान लोक महत्व के 563 मामलों को सदस्यों ने उठाया. कोविड-19 वैश्विक महामारी और जलवायु परिवर्तन के विषय पर अल्पकालिक चर्चा भी हुई.
इस दौरान सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी समेत केंद्रीय मंत्री और विपक्ष के दलों के नेता मौजूद थे.
लोकसभा अध्यक्ष बिरला के वक्तव्य के बाद राष्ट्रगीत वंदे मातरम की धुन बजाई गई और सदन की कार्यवाही को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया.
राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
राज्यसभा की कार्यवाही बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई. सुबह 11 बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ हुई, सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए. इसके बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक अखबार की खबर का हवाला देकर अयोध्या से संबंधित एक मुद्दा उठाने की कोशिश की लेकिन नायडू ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी.
सभापति ने खड़गे से कहा कि मुद्दे को उठाने के लिए उन्हें नोटिस देना चाहिए था. इसके बाद उन्होंने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी.
संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर को शुरू हुआ था और यह 23 दिसंबर को समाप्त होना था. लेकिन एक दिन पहले ही उच्च सदन की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई.
10 Bills were passed by the Rajya Sabha during the Winter Session while the discussion on the Appropriation Bill scheduled to be concluded on the last day today was not taken up.
— ANI (@ANI) December 22, 2021
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विपक्ष का संसद में चर्चा नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण: जोशी
जोशी ने यह भी कहा कि 2019 का जनादेश भारतीय जनता पार्टी को और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को मिला था और इसे कांग्रेस और उसके मित्र दल पचा नहीं पा रहे. उन्होंने कहा, ‘उनका (कांग्रेस और विपक्षी दलों का) मानना है कि सत्ता तो खानदान को ही मिलनी चाहिए थी लेकिन मोदीजी ने इसे छीन लिया.’
सदन में मुद्दे नहीं उठाने देने के विपक्ष के आरोपों को जोशी ने बेबुनियाद बताकर खारिज कर दिया. ‘बाल विवाह निषेध संशोधन विधेयक’ पेश किये जाने के कुछ ही समय पहले विधेयक की प्रति मिलने और संशोधित कार्यसूची में इसे शामिल करने के विपक्षी दलों के आरोप पर उन्होंने कहा कि संशोधित सूची या पूरक सूची पहली बार नहीं आई है, पहले भी आती रही हैं.
जोशी ने कहा कि विपक्षी दल अपनी सीट पर बैठेंगे तभी तो चर्चा करेंगे.
संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि लोकसभा में शून्यकाल में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी सांसद राहुल गांधी ने अपने मुद्दे उठाये.
गौरतलब है कि लोकसभा में कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने पिछले कुछ दिन से उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के इस्तीफे की मांग करते हुए नारेबाजी की थी जिसके कारण कार्यवाही बाधित रही.
राज्यसभा में भी उच्च सदन के निलंबित किए गए 12 सदस्यों का निलंबन वापस लेने तथा लखीमपुर खीरी मामले को लेकर अजय मिश्रा ‘टेनी’ के इस्तीफे की मांग करते हुए विपक्षी दलों के कुछ सदस्यों ने इस सत्र में आसन के समक्ष हंगामा किया और कई बार सदन से वाल्कआउट किया.
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