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Thursday, 14 November, 2024
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जोधपुर में पाकिस्तानी हिंदू PM मोदी के ‘शुक्रगुजार’ हैं, पर चाहते हैं CAA  की कट-ऑफ डेट खत्म कर दी जाए

पाकिस्तानी हिंदू, जो भारतीय नागरिक बनना चाहते हैं, जोधपुर में अपनी बस्तियों में स्कूल और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं की भी तलाश कर रहे हैं.

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जोधपुर: खुश पाकिस्तानी हिंदुओं पर कराची स्थित दीपना राजपूत की वायरल इंस्टाग्राम रील के विपरीत, राजस्थान के जोधपुर में बसने वाले पाकिस्तानी हिंदू समुदाय के प्रवासियों ने दावा किया है कि उनमें से हर कोई पाकिस्तान छोड़ने के अवसर की प्रतीक्षा कर रहा है.

जोधपुर की आंगणवा बस्ती के हेमजी ठाकोर ने दावा किया कि रील एक दिखावा है. ठाकोर ने कहा, “मेरे एक बच्चे ने मुझे यह दिखाया. वे सार्वजनिक तौर पर कुछ भी कहें, लेकिन हकीकत में पाकिस्तान में रहने वाला एक भी हिंदू खुश नहीं है. आंतरिक रूप से, सभी परेशान हैं और देश से भागने के लिए सही मौके का इंतजार कर रहे हैं.”

कथित तौर पर राजस्थान में पाकिस्तान से लगभग 25,000 रजिस्टर्ड प्रवासी हैं, जिनमें से अधिकतम लगभग 18,000 जोधपुर में बस्तियों में रहते हैं. कई लोगों ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के तहत भारतीय नागरिक बनने की उम्मीदें लगा रखी हैं. हालांकि, इस साल मार्च में अधिसूचित सीएए नियमों के तहत, केवल 31 दिसंबर, 2014 से पहले आने वालों को ही लाभ मिलेगा.

अब, कट-ऑफ तिथि को बढ़ाने या हटाने की मांग और बुनियादी सुविधाओं के लिए नई मांगों की बातें पूरी बस्तियों में घूम रही हैं.

Hemji Thakor, a resident of the Anganwa settlement in Jodhpur | Photo: Devesh Singh Gautam, ThePrint
जोधपुर के अंगणवा बस्ती के निवासी हेमजी ठाकोर | फोटो: देवेश सिंह गौतम, दिप्रिंट

नौ साल पहले, हेमजी ठाकोर, जो जोधपुर में कुछ पाकिस्तानी हिंदू प्रवासियों के संपर्क में थे, विशिष्ट धार्मिक स्थलों की यात्रा के लिए छोटी अवधि के वीजा पर अपनी पत्नी और चार बच्चों के साथ राजस्थान आए थे. सिंध प्रांत के छठे सबसे बड़े शहर और पाकिस्तान के सबसे बड़े शहरों में से एक, मीरपुर खास से, ठाकोर वापस नहीं लौटे.

पाकिस्तान में एक नर्सिंग कर्मचारी और अब एक मेडिकल स्टोरकीपर, ठाकोर अपने परिवार के साथ जोधपुर में रहना चाहते हैं, लेकिन वह जनवरी 2015 में भारत आए, जो सीएए नियमों के तहत परिवार को भारतीय नागरिकता के लिए अयोग्य बनाता है.

ठाकोर ने सरकार से कट-ऑफ तारीख को संशोधित करने का अनुरोध करते हुए कहा, “(पाकिस्तान में) हिंदू महिलाओं को हर दिन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. यहां तक कि नाबालिगों को भी नहीं बख्शा जाता. उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया जाता है, अपहरण किया जाता है… धीरे-धीरे, सभी का धर्म परिवर्तन किया जा रहा है.’

“जिस तरह से पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार किया गया है, खासकर पिछले 30-40 वर्षों में… मैंने देश छोड़ने और भारत जाने की योजना बनाई. हर गुजरते दिन के साथ मुझे अहसास हुआ कि पाकिस्तान में रहना हिंदुओं के लिए खतरनाक हो जाएगा.”

सीएए के तहत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई भारत में सामान्य 12 साल के निवास के बजाय छह साल के निवास के बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं, भले ही उनके पास उचित दस्तावेज़ योग्यता न हो.

11 दिसंबर 2019 को संसद द्वारा पारित, सीएए को विरोध की लहरों का सामना करना पड़ा – जिसमें दिल्ली का शाहीन बाग भी शामिल था – क्योंकि, पहली बार, इसमें धर्म को भारतीय नागरिकता के लिए एक मानदंड बनाया गया था.

हालांकि, ठाकोर आभारी हैं. उन्होंने कहा, “मैं हमारी दुर्दशा के बारे में सोचने के लिए मोदीजी और अमित शाहजी को धन्यवाद देना चाहता हूं.”

उन्होंने कहा, “कुछ लोग अब कानून का विरोध कर रहे हैं, और पूरा समुदाय – यहां (जोधपुर में) रहने वाले पाकिस्तानी प्रवासी – इस डर से अवसाद में चले गए हैं कि हमें पाकिस्तान वापस जाने के लिए मजबूर किया जा सकता है.”

सिर्फ नागरिकता ही नहीं, अंगणवा बस्ती के प्रवासी यह भी चाहते हैं कि सरकार “कम से कम बुनियादी ढांचा तो मुहैया कराए.”

A view of thatched huts in Anganwa settlement in Jodhpur | Photo: Devesh Singh Gautam, ThePrint
जोधपुर में आंगणवा बस्ती में फूस की झोपड़ियों का दृश्य | फोटो: देवेश सिंह गौतम, दिप्रिंट

अंगणवा बस्ती के एक अन्य निवासी छग्गन ने कहा, “हमारे लिए जो कुछ भी किया गया है उसके लिए हम आभारी हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि सरकार हमारी हालत देखे. हमारे बच्चे सरकारी स्कूलों में भी नहीं जा सकते क्योंकि उनके पास उचित दस्तावेज नहीं हैं. हमें जीवित रहने के लिए इधर-उधर छोटे-मोटे काम करने पर निर्भर रहना पड़ता है. कुछ लोग पत्थर की खदानों में काम करते हैं,”

‘कैसा है स्कूल, शौचालय की कमी’

अंगणवा बस्ती में लगभग 250 परिवार हैं, जिन्हें एक्टिविस्ट हिंदू सिंह सोढ़ा द्वारा स्थापित एक गैर-लाभकारी संस्था यूनिवर्सल जस्ट एक्शन सोसाइटी द्वारा स्थापित एक स्कूल द्वारा सपोर्ट किया जाता है. ठाकोर ने कहा, पहले इस बस्ती में 33 परिवार थे और पिछले कुछ दशकों में यह बढ़कर 250 हो गए हैं.

उन्होंने कहा कि यहां के सभी परिवार जगह की कमी और स्वच्छता के मुद्दों से जूझते हैं क्योंकि शौचालय के अभाव में लोग खुले में शौच करते हैं. यहां सड़कें, बिजली या पानी भी नहीं है.

कुछ निवासियों ने कहा कि उन्होंने अपनी समस्याएं मुख्यमंत्री के सामने उठाई हैं और राहत की उम्मीद कर रहे हैं.

“कई लोग पिछले 10-12 वर्षों से यहां रह रहे हैं, और हमारे बच्चे बस्ती के अंदर स्कूल में पढ़ते हैं क्योंकि वे उचित पहचान दस्तावेजों और नागरिकता के बिना कहीं और एडमिशन नहीं ले सकते हैं. हमें उम्मीद है कि हमें नागरिकता मिलेगी.

सिंह ने कहा कि शौचालय सुविधाओं का अभाव क्षेत्र की महिलाओं के लिए और भी अधिक चिंताजनक है. उन्होंने कहा, “उन्हें बाहर जाने के लिए अंधेरा होने तक इंतजार करना पड़ता है.”

A resident of the Anganwa settlement in Jodhpur washes utensils | Photo: Devesh Singh Gautam, ThePrint
जोधपुर में आंगणवा बस्ती की निवासी बर्तन धोती हुई | फोटो: देवेश सिंह गौतम, दिप्रिंट

पाकिस्तान से विस्थापित हिंदू प्रवासियों के परिवारों के कल्याण के लिए काम करने वाले संगठन सीमांत लोक संगठन (एसएलएस) के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढ़ा सीएए का स्वागत करते हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि सरकार को कट-ऑफ तारीख हटा देनी चाहिए.

उन्होंने कहा, “आखिरकार सीएए नियमों को अब अधिसूचित कर दिया गया है… अब, हमें खुशी है कि छह साल के भीतर लोगों को नागरिकता मिल जाएगी, लेकिन कट-ऑफ तारीख एक मुद्दा है क्योंकि वे (कई पाकिस्तानी हिंदू) इसके दायरे में नहीं आएंगे.”

जिन परिस्थितियों में हिंदू पाकिस्तान से आए, उनके बारे में सोढ़ा ने कहा: “धार्मिक उत्पीड़न के कारण, पाकिस्तान से हिंदू भारत आते रहे हैं, खासकर 1965 में, जो कि 1947 के बाद होने वाला पहला माइग्रेशन था, लगभग 10,000 लोग आए थे. उसके बाद लगभग 90,000 लोग आये.”

उसने जोड़ा, “1990 के दशक के बाद, जब पूरी सीमा पर बाड़ लगा दी गई, और राम मंदिर व बाबरी (मस्जिद) मुद्दा चल रहा था, पाकिस्तान में कई मंदिर नष्ट कर दिए गए और हिंदूओं को मारा गया… कई लोगों ने पलायन करना शुरू कर दिया, जो आज भी जारी है.”

सोढ़ा ने कहा कि एक अन्य मुद्दा विस्तृत परिवारों के सभी सदस्यों के लिए वीजा का है. उन्होंने कहा, “चार से पांच लोग आ जाते हैं और परिवार के बाकी लोग पाकिस्तान में ही छूट जाते हैं. और जब वे न्यूनतम अवधि बिताते हैं, तो उन्हें नागरिकता मिलनी चाहिए.”

सोढ़ा ने कहा कि पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण लोग भारत आए हैं और उन्हें नागरिकता प्राप्त करने में बहुत समय लगता है. उन्होंने कहा कि सरकार उन्हें आश्रय, उनकी आजीविका के लिए नौकरी और इस दौरान स्वास्थ्य के लिए उचित व्यवस्था नहीं करती है.

उन्होंने कहा, “हम ही हैं जो इन पहलुओं पर काम करते हैं और स्कूल आदि चलाते हैं. हम सरकार से अनुरोध करना चाहते हैं कि वह इस मामले को गंभीरता से ले. उनके पुनर्वास और समग्र विकास के लिए, ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें.”

बीजेपी का चुनावी मुद्दा

सीएए भाजपा के लिए एक चुनावी मुद्दा है, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को सीएए को “स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण” बताने वाली कांग्रेस नेता पी.चिदंबरम की टिप्पणी पर तीखा हमला करते हुए कहा कि भाजपा वर्षों से तुष्टीकरण की राजनीति के खिलाफ लड़ रही है. एएनआई से बात करते हुए, शाह ने कहा कि कांग्रेस अपने “अल्पसंख्यक” वोट बैंक को मजबूत करने के लिए सीएए को खत्म करना चाहती थी.

हालांकि, दिप्रिंट ने जिन हिंदू प्रवासियों से बात की, उन्हें नागरिकता नहीं मिली है और वे वोट नहीं दे सकते, लेकिन जोधपुर की कालीबेरी बस्ती की निवासी निशा ने कहा कि उनके पास मतदाता पहचान पत्र है. उनका परिवार करीब 30 साल पहले भारत आया था.

Nisha, a resident of Kaliberi settlement in Jodhpur | Photo: Devesh Singh Gautam, ThePrint
जोधपुर के कालीबेरी बस्ती निवासी निशा | फोटो: देवेश सिंह गौतम, दिप्रिंट

उन्होंने आगे कहा, “मैं चुनाव में अपना वोट डालूंगा और खुश हूं कि सरकार ने सीएए को अधिसूचित कर दिया है. मेरे विस्तृत परिवार के सदस्य, जो यहां हमारे साथ रहते हैं, उनको अभी तक नागरिकता नहीं मिली है; इससे निश्चित रूप से उन्हें मदद मिलेगी.”

निशा, जो बचपन में नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत भारतीय नागरिक बन गई थी, अब शादीशुदा हैं और उनके दो बच्चे हैं.

सरकार के अनुसार, सीएए के तहत नागरिकता प्राप्त करने के लिए गैर-मुसलमानों के लिए व्यापक मानदंडों में 31 दिसंबर, 2014 से पहले बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से प्रवेश का प्रमाण और राष्ट्रीयता, एक सेल्फ-डिक्लेरेशन हलफनामा और एक स्थानीय सामुदायिक संस्था द्वारा एक पात्रता प्रमाण पत्र शामिल है.

(इस ग्राउंड रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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