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Sunday, 3 November, 2024
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उत्तराखंड में अब तक बने 8 मुख्यमंत्रियों में सिर्फ एक ने कार्यकाल पूरा किया, रावत की भी जल्द हुई विदाई

कांग्रेस नेता नारायण दत्त तिवारी (2002-07) के सिवा कोई भी मुख्यमंत्री उत्तराखंड में अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है. राज्य में 8 मुख्यमंत्रियों में से पांच भाजपा से बने हैं.

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नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के कुछ पर्यवेक्षकों द्वारा उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत के प्रदर्शन का जायजा लेने के बाद मुख्यमंत्री ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया.

रावत ने उस वक्त इस्तीफा दिया है जब राज्य में विधानसभा चुनाव सिर्फ एक साल दूर है. इस घटनाक्रम ने एक बार फिर से 20 साल पुराने राज्य में राजनीतिक अस्थिरता को सामने ला दिया है. 2000 में बने राज्य में अब तक 8 मुख्यमंत्री बन चुके हैं.

नारायण दत्त तिवारी (2002-07) के सिवा कोई भी मुख्यमंत्री राज्य में अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है. 8 मुख्यमंत्रियों में से पांच भाजपा से बने हैं जिसमें नित्यानंद स्वामी (2000-01) और भगत सिंह कोश्यारी (2001-02) राज्य में पहले चुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री रहे थे.


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अधूरा कार्यकाल

कांग्रेस नेता तिवारी उत्तराखंड के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री थे जिन्होंने 2002 में पद संभाला और 7 मार्च तक इस पर बने रहे. एक और कांग्रेसी नेता हरीश रावत ने फरवरी 2014 से मार्च 2016 के बीच करीब दो साल तक ये पद संभाला जिसके बाद राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. उन्होंने फिर से 21 अप्रैल 2006 से 22 अप्रैल 2016 और 11 मई 2016 और 18 मार्च 2017 में मुख्यमंत्री पद संभाला था.

बीसी खंडूरी उत्तराखंड के पहले भाजपाई मुख्यमंत्री थे जिन्होंने 7 मार्च 2007 से लेकर 26 जून 2009 के बीच पद संभाला. 2009 में लोकसभा चुनावों में राज्य में खराब प्रदर्शन के बाद नैतिक आधार पर खंडूरी ने इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद वर्तमान शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने उनका पदभार संभाला.

पोखरियाल का कार्यकाल भी करीब दो साल का ही रहा और उन्होंने 2011 में इस्तीफा दे दिया. उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और भाजपा आलाकमान की तरफ से उन्हें इस्तीफा देने को कहा गया. पार्टी 2012 के विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र अपनी छवि खराब नहीं करना चाहती थी.

इसके बाद खंडूरी को फिर से मुख्यमंत्री बनाया गया. उन्होंने मार्च 2012 तक ये पद संभाला.

हालांकि 2012 का चुनाव खंडूरी और भाजपा दोनों के लिए एक झटके के तौर पर आया जहां खंडूरी अपनी सीट तक नहीं बचा पाए और न ही भाजपा अपनी सरकार बना सकी. 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 31 और कांग्रेस को 32 सीटें मिली थी.

कांग्रेस नेता विजय बहुगुणा नए मुख्यमंत्री बने और 31 जनवरी 2014 तक इस पद पर बने रहे.

हालांकि 2014 में पार्टी आलाकमान ने सांगठनिक बदलावों के मद्देनज़र बहुगुणा को इस्तीफा देने को कहा. प्रदर्शन में कमी खासकर 2013 के उत्तराखंड के बाढ़ के मद्देनज़र ऐसा निर्णय लिया गया था.

2012 में पार्टी के विधायकों के समर्थन होने के बावजूद मुख्यमंत्री न बनाए जाने पर रावत ने इस्तीफे की धमकी दी थी, इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री का पद संभाला.

मुख्यमंत्री के तौर पर रावत की मुख्यमंत्री बनने तक की यात्रा आसान नहीं रही. मार्च 2016 में नौ कांग्रेस विधायकों के बागी होने और भाजपा में शामिल होने के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. हालांकि स्पीकर ने दलबदल कानून के अंतर्गत उनकी सदस्यता रद्द कर दी. कोर्ट के नेतृत्व में हुए शक्ति प्रदर्शन के बाद राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया. इसके बाद 11 मई 2016 से 18 मार्च 2017 के बीच वो मुख्यमंत्री रहे. इस बीच वो एक दिन के लिए मुख्यमंत्री पद पर लौटे जब सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश को अलग कर राष्ट्रपति शासन को हटाया था.

2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को भारी बहुमत मिला था और उसने 57 सीटें जीती थी. जिसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया. अच्छा प्रदर्शन न करने के आरोपों में उनका कार्यकाल घिरा रहा.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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