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Friday, 13 December, 2024
होमराजनीतिअगले हफ्ते संसद में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयक पेश होने की संभावना, संविधान में संशोधन कितना मुश्किल

अगले हफ्ते संसद में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयक पेश होने की संभावना, संविधान में संशोधन कितना मुश्किल

कैबिनेट ने 2 विधेयकों को मंज़ूरी दी. एक विधेयक लोकसभा और राज्यों के चुनावों को एक साथ कराने के लिए संविधान संशोधन की ज़रूरत. दूसरा विधेयक दिल्ली, पुडुचेरी, जम्मू-कश्मीर में चुनावों को एक साथ कराने के लिए एक साधारण विधेयक है.

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नई दिल्ली: मोदी सरकार अगले हफ्ते की शुरुआत में लोकसभा में दो प्रमुख विधेयक पेश करेगी, ताकि 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए अपने घोषणापत्र में किए गए प्रमुख वादों में से एक ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को लागू करने की प्रक्रिया शुरू की जा सके.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के तीन महीने बाद दो विधेयकों को मंजूरी दे दी, जिसमें लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और नगर निकायों के एक साथ चुनाव कराने की वकालत की गई थी.

सरकारी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को केवल दो विधेयकों को मंज़ूरी दी.

पहला संविधान के अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि) और अनुच्छेद 172 (राज्य विधानसभाओं की अवधि) में संशोधन करके लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के एक साथ चुनाव कराने के लिए एक संवैधानिक संशोधन विधेयक है. यह कोविंद पैनल द्वारा पहले कदम के रूप में की गई सिफारिश के अनुरूप है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत दूसरा विधेयक दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने से संबंधित है. इस विधेयक के लिए संविधान में संशोधन की ज़रूरत नहीं है.

नाम न बताने की शर्त पर भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए अगले हफ्ते के पहले दो दिनों में इन विधेयकों को लोकसभा में पेश करेगी.

नेता ने कहा, “हमने अपने सभी लोकसभा सांसदों को सोमवार और मंगलवार को सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया है.”

उन्होंने कहा कि पूरी संभावना है कि विधेयकों को लोकसभा में पेश किए जाने के बाद संयुक्त संसदीय पैनल के पास भेजा जाएगा.

हालांकि, गुरुवार को मंत्रिमंडल के लिए कोई आधिकारिक ब्रीफिंग नहीं की गई क्योंकि संसद सत्र चल रहा है, लेकिन सरकारी सूत्रों ने कहा कि मंत्रिमंडल ने किसी अन्य संविधान संशोधन विधेयक पर विचार नहीं किया, जैसे कि नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव लोकसभा और राज्य चुनावों के साथ कराना.

कोविंद पैनल ने सिफारिश की है कि दूसरे चरण में नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव इस तरह से एक साथ कराए जाने चाहिए कि वह भी लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों के 100 दिनों के भीतर हों, क्योंकि स्थानीय निकायों के चुनावों के लिए अधिक मशीनरी, वर्कफोर्स और अन्य संसाधनों की ज़रूरत होगी.

उक्त सरकारी सूत्र ने कहा कि संसद का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को समाप्त हो रहा है, इसलिए इस सत्र में विधेयक पारित होने की संभावना नहीं है.


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संविधान संशोधन विधेयक पारित करना आसान नहीं

दोनों सदनों में संख्या बल की कमी के कारण एनडीए के लिए किसी भी सदन में संविधान संशोधन विधेयक पारित करवाना आसान नहीं होगा.

हालांकि, संविधान के अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि) और अनुच्छेद 172 (राज्य विधानसभाओं की अवधि) में संशोधन करने वाले संविधान संशोधन विधेयक को राज्य विधानसभाओं के 50 प्रतिशत सदस्यों द्वारा अनुसमर्थन की ज़रूरत नहीं है, लेकिन इसके लिए सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले कम से कम दो-तिहाई सदस्यों द्वारा विधेयक के पक्ष में मतदान करना ज़रूरी है.

लोकसभा की वर्तमान ताकत 542 है, जिसका अर्थ है कि निचले सदन के दो-तिहाई सदस्य 361 सांसद हैं.

लोकसभा में साधारण बहुमत होने के बावजूद, ऐसा लगता नहीं है कि एनडीए यह संख्या जुटा पाएगा. निचले सदन में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन के 293 सांसद हैं — भाजपा के पास 240 सांसद हैं और उसके 14 सहयोगी दलों के पास शेष सांसद हैं, जिनमें 16 तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और 12 जनता दल (यूनाइटेड) के सदस्य भी शामिल हैं.

अगर, इसमें वाईएसआरसीपी (चार लोकसभा सांसदों के साथ) या बीजू जनता दल या अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) जैसी गैर-एनडीए पार्टियों को भी शामिल कर लिया जाए, जिन्होंने कोविंद के नेतृत्व वाली समिति के प्रति अपनी प्रतिक्रिया में एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया है, फिर भी इसके 361 के आंकड़े को छूने की संभावना नहीं है.

राज्यसभा में भी एनडीए को इसी तरह की दुविधा का सामना करना पड़ रहा है. 231 की अपनी ताकत के साथ, उच्च सदन के दो-तिहाई हिस्से में 154 सांसद होंगे. राज्यसभा में एनडीए की वर्तमान ताकत 119 है, जिसमें मनोनीत सदस्य भी शामिल हैं.

दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेशों में चुनावों को एक साथ कराने के दूसरे विधेयक को लेकर कोई बाधा आने की संभावना नहीं है, क्योंकि यह संविधान संशोधन विधेयक नहीं है.

उक्त सूत्र ने कहा कि यह ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ प्रस्ताव को मूर्त रूप देने की दिशा में पहला कदम होगा. मंत्रिमंडल को कुछ और संविधान संशोधन विधेयकों को मंज़ूरी देनी है और एक साथ चुनाव कराने के लिए उन्हें अगले चरणों में संसद में पेश करना है. इसके लिए न केवल लोकसभा और राज्यसभा के दो-तिहाई सदस्यों का समर्थन चाहिए, बल्कि आधे राज्यों द्वारा अनुमोदन की भी ज़रूरत होगी.

उदाहरण के लिए नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनावों के लिए अनुच्छेद 324ए को शामिल करने के लिए संसद में एक संविधान संशोधन विधेयक पेश किया जाना है. इसके लिए आधे राज्यों द्वारा अनुमोदन की आवश्यकता होगी.

स्थानीय निकायों के चुनावों के लिए राज्य चुनाव आयोगों के परामर्श से भारत के चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची तैयार करने से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों में भी संशोधन करना होगा — अनुच्छेद 325 में.

कोविंद के नेतृत्व वाले पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उसने 47 दलों से फीडबैक एकत्र किया, जिनमें से 32, जिनमें से ज़्यादातर भाजपा के सहयोगी थे, एक साथ चुनाव कराने के पक्ष में थे. हालांकि, प्रस्ताव का समर्थन करने वाली कई पार्टियों के पास दोनों सदनों में एक भी सदस्य नहीं है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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