नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने सोमवार को कहा कि पार्टी के नेतृत्व को लगता है कि वो एक “डायनासोर” हैं और इसलिए नवगठित कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) में उन्हें सीट नहीं देने का फैसला किया गया है. हालांकि, अय्यर ने कहा कि यह उन्हें और अधिक “हल्की तोप” बनाएगा, एक ऐसी विशेषता जिसके बारे में उनका मानना है कि पार्टी के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय से उनके बहिष्कार में भी भूमिका निभाई है.
80-वर्षीय अय्यर जिनकी आत्मकथा ‘मेमोयर्स ऑफ ए मेवरिक’ सोमवार को प्रदर्शित हुई, ने दिप्रिंट को एक स्पेशल इंटरव्यू में बताया कि गांधी परिवार के साथ-साथ पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और उनकी टीम सहित कांग्रेस नेतृत्व मानता है कि उनका “वक्त समाप्त हो गया” और हैं इस प्रकार उन्हें “किनारे” पर धकेल दिया गया.
उन्होंने कहा, “यह एक सच्चाई है जिसकी पुष्टि फेरबदल में कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) में मुझे शामिल नहीं किए जाने से हुई है. इसलिए अब मुझे पता है कि कांग्रेस पार्टी सोचती है कि मैं पुराना व्यक्ति हूं.”
कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने के लगभग दस महीने बाद, खरगे ने रविवार को सीडब्ल्यूसी — पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था — का पुनर्गठन किया, जिसमें 39 स्थायी सदस्य, 32 स्थायी आमंत्रित सदस्य और चार पदेन सदस्यों सहित 13 विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल किए गए.
अय्यर ने कहा, “यह साफ है कि पार्टी नेतृत्व, जिससे मेरा मतलब न केवल गांधी परिवार है, बल्कि अध्यक्ष खरगे और उनके करीबी सलाहकार, जिनमें जयराम रमेश जैसे लोग भी शामिल हैं, या तो भरोसा करते ही हैं या करना चाहते हैं कि मैं एक डायनासोर हूं और मेरा वक्त खत्म हो गया है और सबसे अच्छी चीज़ जो वो कर सकते हैं वो है मुझे किनारे रखना. मैं इसे स्वीकार करता हूं. मैं और कर भी क्या सकता हूं?”
अय्यर, जो अक्सर अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए चर्चा में रहते हैं, ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें सीडब्ल्यूसी से बाहर रखे जाने का एक मुख्य कारण उनकी “हल्की तोप” के रूप में प्रतिष्ठा थी.
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें लगता है कि उनके पास अभी भी पार्टी का “सम्मान” है. अय्यर ने कहा, “आखिरकार, सोनिया गांधी ने पुष्टि की है कि वो मेरी पुस्तक के विमोचन में शामिल होंगी. यह बड़ी प्रशंसा है.”
भारतीय विदेश सेवा में सेवाएं देने के बाद, 1985 में अय्यर राजीव गांधी के नेतृत्व वाले प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में शामिल हो गए, जहां उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने से पहले 1989 तक सेवा की. वे तीन बार लोकसभा के लिए चुने गए, यूपीए-1 में मंत्री और 2010 से 2016 के बीच राज्यसभा सांसद के रूप में कार्य किया. इसके बाद, वो सीडब्ल्यूसी में विशेष आमंत्रित सदस्य बने रहे, लेकिन बड़े पैमाने पर उन्हें पार्टी के निर्णय लेने वाले तंत्र से बाहर रखा गया.
अपनी आत्मकथा की अंतिम पंक्तियों में, अय्यर लिखते हैं: “राजनीति में मेरा जीवन तेज़ी से अपनी ऊंचाइयों तक पहुंचा और फिर उस बिंदु तक पहुंच गया जहां मैंने खुद को राजीव गांधी के उत्तराधिकारियों द्वारा दरकिनार और पार्टी में भी हाशिए पर पाया, लेकिन यह एक और किताब के लिए एक और कहानी है.” — यह दर्शाता है कि किताब का सहयोगी खंड, जो बाद में जारी किया जाएगा, कांग्रेस में उनके कम कद के कारणों से निपटने की भी संभावना है.
यह भी पढ़ें: 2024 में विश्वगुरु बनाम कौन? अगर विपक्ष राहुल गांधी से अलग कुछ देखना चाहता है तो उसके पास कई चेहरे हैं
‘यह सच में मुझे आज़ाद कर रहा है’
कांग्रेस के दिग्गज नेता ने कहा कि उनका पार्टी छोड़ने का कोई इरादा नहीं है, भले ही उन्हें पर्याप्त मान्यता न दी जाए.
अय्यर ने कहा, “मैं दलबदल नहीं करुंगा और मुझे लगता है कि मुझे दरकिनार किए जाने का मुख्य कारण यह है कि मुझे एक “हल्की तोप” की तरह समझा गया है. खैर, उन्होंने अब इसकी जंजीर काट दी है, तो मैं और भी अधिक हल्की तोप बनने जा रहा हूं और यह सच में मुझे आज़ाद कर रहा है. इसलिए मैं लिखता रहूंगा और बोलता रहूंगा. मैं कांग्रेस पार्टी को कभी नहीं छोड़ूंगा, लेकिन मुझे नहीं पता कि कांग्रेस पार्टी मुझे छोड़ेगी या नहीं, ये हमें देखना होगा.”
अय्यर लंबे समय से अपनी बेबाक टिप्पणियों और पार्टी नेतृत्व की आलोचना करने की इच्छा के लिए जाने जाते हैं. 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘नीच आदमी’ कहने के बाद कांग्रेस ने उन्हें कई महीनों के लिए निलंबित कर दिया था.
जबकि अय्यर कांग्रेस के असंतुष्ट जी-23 नेताओं का हिस्सा नहीं थे, वो मार्च 2022 में गुलाम नबी आज़ाद के आवास पर समूह की रात्रिभोज बैठक में शामिल हुए थे, जिन्होंने तब से अपना खुद का राजनीतिक संगठन बनाने के लिए कांग्रेस छोड़ दी है. 1998 में अपनी स्थापना के तुरंत बाद अय्यर ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में भी चार सप्ताह बिताए थे.
‘यह सॉफ्ट हिंदुत्व की लाइन हमेशा से रही है…’
अय्यर ने दिप्रिंट को बताया कि वो कांग्रेस को उसके धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों से दूर करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को “पूरी तरह से ज़िम्मेदार” मानते हैं.
उन्होंने कहा, “यह नरसिम्हा राव की वजह से था कि कांग्रेस ने महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू जैसी धर्मनिरपेक्षता में अपनी मजबूत पकड़ से खुद को अलग करना शुरू कर दिया था.”
हालांकि, अय्यर ने स्वीकार किया कि ऐतिहासिक रूप से विभिन्न मोर्चों पर कांग्रेस पार्टी में मदन मोहन मालवीय या पुरूषोत्तम दास टंडन या मोहम्मद अली जिन्ना जैसे नेता थे, जिन्होंने धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को बरकरार नहीं रखा या उनकी वकालत नहीं की.
उन्होंने कहा, “कांग्रेस के भीतर हमेशा सॉफ्ट हिंदुत्व की विचारधारा रही है और वो अब फिर शुरू हो गई है क्योंकि व्यावहारिक रूप से चुनावों में धर्मनिरपेक्ष कट्टरपंथी लाइन अपनाने में समस्याएं हैं.”
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस को “हिंदुत्व का स्पष्ट वैचारिक विरोध या विकल्प” पेश करना चाहिए ताकि लोग “भ्रमित” न हों.
अय्यर ने कहा, “जब (लोग) भ्रमित होते हैं, तो प्रवृत्ति भाजपा की ओर जाने की बनेगी, जिसका अर्थ है कि सामरिक और रणनीतिक रूप से, संघ परिवार दिखा रहा है कि इस तरह की राजनीति के साथ खेलने की तुलना में पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष छवि को सामने रखना बेहतर है.”
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: अशोक गहलोत के खिलाफ एक बार हारी हुई लड़ाई फिर क्यों लड़ रहे हैं सचिन पायलट