लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ओ.पी. राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP), जो राज्य में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सहयोगी है, उसने अपनी “विचारधारात्मक” इकाई शुरू की है और उसका नाम रखा है आरएसएस—राष्ट्रीय सुहेलदेव सेना.
पार्टी ने पहले भी अपनी वैचारिक इकाई शुरू करने की कोशिश की थी, लेकिन वह आगे नहीं बढ़ पाई. हालांकि, इस बार पार्टी इस प्रोजेक्ट को बड़े स्तर पर ले जाने की योजना बना रही है. अगले हफ्ते से पूर्वी यूपी के 22 जिलों में ट्रेनिंग कैंप शुरू होंगे और धीरे-धीरे इसे सभी 75 जिलों तक फैलाया जाएगा.
जैसे मशहूर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), जो बीजेपी की विचारधारा का स्रोत है, उसी तरह SBSP की आरएसएस के स्वयंसेवकों की भी अपनी यूनिफॉर्म और कंधे पर बैज होगा. वे लाठी भी लेकर चलेंगे.
SBSP के मुताबिक, राष्ट्रीय सुहेलदेव सेना युवाओं को अपनी विचारधारात्मक सीख देगी और साथ ही उन्हें करियर गाइडेंस भी देगी.
यह पहल यूपी में 2027 के चुनावों से पहले पार्टी का समर्थन आधार मजबूत और विस्तारित करने के लिए है. उत्तर प्रदेश के पंचायती राज मंत्री ओपी राजभर ने कहा कि उनकी पार्टी का शुरुआती लक्ष्य राष्ट्रीय सुहेलदेव सेना में एक लाख स्वयंसेवकों को शामिल करना है.
उन्होंने एक वीडियो बयान में कहा, “आज कई गांवों में लगभग 60 से 70 प्रतिशत छात्रों को यह नहीं पता कि उन्हें आगे क्या बनना है. अपने राष्ट्रीय सुहेलदेव सेना संगठन के जरिए हम उन्हें अलग-अलग क्षेत्रों के रिटायर्ड प्रोफेशनल्स से जोड़ेंगे, ताकि उन्हें अलग-अलग करियर रास्तों की समझ मिल सके.”
उन्होंने कहा कि स्वयंसेवकों को SBSP की राष्ट्रीय सुहेलदेव सेना में आधिकारिक पद भी दिए जाएंगे.
इस पहल की विस्तार से जानकारी देते हुए, राजभर के बेटे और पार्टी प्रवक्ता अरुण राजभर ने दिप्रिंट को बताया कि यह पूरी तरह एक वैचारिक विंग है, कोई राजनीतिक मंच नहीं.
उन्होंने कहा, “इसका उद्देश्य हमारे कैडर को भविष्य के लिए ट्रेन करना और तैयार करना है. हम ग्रामीण युवाओं पर ध्यान दे रहे हैं, खासकर 18 से 25 साल के बीच के, जिन्हें सही करियर गाइडेंस नहीं मिल पाता. उन्हें हमारी राष्ट्रीय सुहेलदेव सेना में ट्रेनिंग दी जाएगी.”
अरुण ने कहा कि पार्टी रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स, प्रोफेशनल्स, शिक्षक और प्रोफेसर से संपर्क में है, जो इन स्वयंसेवकों को मेंटर करेंगे. यह लोग न केवल वैचारिक ट्रेनिंग देंगे, बल्कि स्वयंसेवकों को सुहेलदेव राजभर, ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले और छत्रपति साहू जी के देश व समाज के योगदान के बारे में भी पढ़ाएंगे.
उन्होंने कहा कि उनकी राष्ट्रीय सुहेलदेव सेना का बीजेपी या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से कोई संबंध नहीं है.
उन्होंने कहा, “यह (SBSP की राष्ट्रीय सुहेलदेव सेना) एक अलग तरह का संगठन है. मैंने देखा है कि हमारी कम्युनिटी के युवा, खासकर ईबीसी समूह वाले, नियमित रूप से शाखाओं में नहीं जाते, इसलिए हम चाहते हैं कि वे हमारी राष्ट्रीय सुहेलदेव सेना से जुड़ें. यहां उन्हें प्रोफेशनल्स से व्यवस्थित गाइडेंस मिलेगी.”

उन्होंने आगे कहा कि स्वयंसेवकों को यूनिफॉर्म, कंधे पर बैज और लाठी दी जाएगी, ताकि वे प्रशिक्षित कर्मियों जैसे प्रतीत हों.
दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि राजभर की राष्ट्रीय सुहेलदेव सेना संरचना में जिले के कमांडर, विधानसभा कमांडर, ब्लॉक कमांडर और गांव स्तर के कमांडर जैसे पद बनाए जाएंगे, ताकि पूर्वांचल और राज्य के पूर्वी हिस्से में एक मजबूत संगठनात्मक नेटवर्क बनाया जा सके.
सूत्रों ने बताया कि यह बड़े पैमाने का अभियान पार्टी की मौजूदगी को बूथ स्तर तक मजबूत करने के लिए है.
ओपी राजभर के करीबी सूत्रों के मुताबिक, यह रणनीति पार्टी कार्यकर्ताओं को जोड़कर रखने के लिए है—खासकर 2024 लोकसभा चुनाव में उनके बेटे की घोसी सीट पर हार और कुछ कैडर के कथित तौर पर समाजवादी पार्टी की ओर चले जाने के बाद.
इस पहल के जरिए राजभर आगे और टूट-फूट रोकना चाहते हैं और कार्यकर्ताओं को संगठित गतिविधियों में शामिल कर उन्हें प्रेरित रखना चाहते हैं. उनका बड़ा फोकस पूर्वी यूपी में ईबीसी समुदाय को संगठित करना है, जो इस क्षेत्र की आबादी का लगभग 25 प्रतिशत है.
राजभर पहली बार 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा गठबंधन से जुड़े, लेकिन उन्हें चुनाव लड़ने के लिए सीट नहीं मिली. 2017 में वह पहली बार विधायक बने और बलिया की ज़हूराबाद सीट जीती.
बीजेपी-नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा रहते हुए, उनकी पार्टी ने उन चुनावों में आठ में से चार सीटें जीतीं. राजभर योगी सरकार-1 में सामाजिक कल्याण मंत्री बने.
हालांकि, 2019 लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने कैबिनेट छोड़ दी. बाद में, अक्टूबर 2021 में वह समाजवादी पार्टी के साथ जुड़ गए. 2022 यूपी विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 2017 से बेहतर प्रदर्शन किया—छह सीटें जीतीं: दो गाज़ीपुर में और एक-एक बलिया, मऊ, जौनपुर और बस्ती में. 2024 में, वह फिर से एनडीए में लौट आए और अब योगी 2.0 सरकार में मंत्री हैं.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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