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Friday, 22 November, 2024
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‘जमीन पर कुछ नहीं बदला’, दिल्ली की कानून-व्यवस्था पर ताजा विवाद में केजरीवाल ने एलजी को लिखा पत्र

सीएम के पहले पत्र के जवाब में उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने कहा था कि आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं और वह नियमित आधार पर दिल्ली पुलिस की समीक्षा और निगरानी कर रहे हैं.

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नई दिल्ली: दिल्ली की कानून-व्यवस्था की स्थिति आप सरकार और उपराज्यपाल (एल-जी) वी.के. सक्सेना के बीच एक नया विवाद उभर रहा है. बुधवार को सक्सेना ने केजरीवाल के पत्र का जवाब देते हुए कहा किउनके पास शहर की जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई ठोस समाधान इस पत्र में नहीं है.

दिल्ली में पुलिस और कानून-व्यवस्था के मामले उपराज्यपाल के अधीन आते हैं. आप सरकार और केंद्र द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल के बीच पिछले साल सत्ता में आने के बाद से ही विवाद चल रहा है, जिसमें कथित एक्साइज स्कैम से लेकर उपराज्यपाल द्वारा कथित तौर पर उन फैसलों पर निर्वाचित सरकार को दरकिनार करने तक राजनीतिक खींचतान शामिल है, जिनमें उसकी सहायता और सलाह की आवश्यकता होती है.

इस बहस और झगड़े की नई श्रृंखला केजरीवाल के नए लिखे गए पत्र के आदान-प्रदान में सामने आया है जो उन्होंने इस मुद्दे पर मंगलवार को शुरू किया था. सीएम ने सक्सेना को लिखे अपने पत्र को ट्विटर पर भी साझा किया है.

अपने पहले पत्र में, केजरीवाल ने 24 घंटे के भीतर शहर में हत्या की चार घटनाओं की ओर इशारा करते हुए एलजी और गृह मंत्रालय पर निशाना साधा और कहा कि तत्काल इसके निवारण और इसके उपायों की जरूरत के बावजूद, “ज़मीन पर कुछ भी नहीं बदला है.” उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी में “कानून का शासन सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक सहयोग” प्रदान करने के लिए तैयार है.

पहले पत्र पर उपराज्यपाल ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की, उन्होंने कहा कि, “अपराध का राजनीतिकरण एक आदत बन गई है” और इससे कोई समाधान नहीं मिलता है, यहां तक कि यह “अपराध को प्रोत्साहित करने के अलावा, पीड़ित और उनके परिवार को परिहार्य पीड़ा का विषय बन जाता है. इस संबंध में,…2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री को राजनीतिक रूप से निशाना बनाने के लिए आपके द्वारा उठाया गया दुर्भाग्यपूर्ण बलात्कार का मुद्दा आपकी आंखें खोलने वाला और विवेक को झकझोरने वाला होगा.” एलजी का लिखा गया तीखे पत्र की प्रति दिप्रिंट ने देखी है.

सक्सेना ने अपने पत्र में कहा है कि आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं, साथ ही उन्होंने कहा कि वह आयुक्त के साथ द्वि-साप्ताहिक बैठकों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ साप्ताहिक बैठकों के माध्यम से नियमित आधार पर दिल्ली पुलिस की समीक्षा और निगरानी कर रहे हैं.

प्रशासक पर पलटवार करते हुए केजरीवाल ने बुधवार को कहा कि प्रशासक की प्रतिक्रिया ”ठोस समाधानों की कमी और जिम्मेदारी बदलने की प्रवृत्ति” को दर्शाती है. उन्होंने आगे कहा, “गंभीर अपराधों में चिंताजनक वृद्धि को हमेशा की तरह व्यवसाय के रूप में नहीं माना जा सकता है, खासकर एक संवैधानिक पदाधिकारी द्वारा, जो अन्यथा उन मामलों पर बहुत सक्रिय है जो भारत के संविधान द्वारा परिभाषित उसके कर्तव्य से बाहर हैं.”


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‘क्रेडिट चुराने का आग्रह’

दिल्ली पुलिस पर सीएम ने कहा कि कुछ पुलिस स्टेशनों में कर्मचारियों की कमी है और शहर में पुलिस कर्मियों की आवश्यक संख्या को समझने के लिए नए सिरे से मूल्यांकन की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल की “राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए चुनी हुई सरकार के कार्यों का श्रेय चुराने की चाहत” ने शहर की कानून व्यवस्था बनाए रखने के उनके “प्राथमिक कार्य” को प्रभावित किया है.

पत्र में लिखा है, “यौन उत्पीड़न के मामले में एफआईआर दर्ज करने में पदक विजेता पहलवानों के विरोध और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों में कई महीने लग गए. यह दिल्ली पुलिस के राजनीतिक आकाओं पर बुरा प्रभाव पड़ा दिखाई देता है, निश्चित रूप से, दिल्ली में महिलाओं का पुलिस पर विश्वास कम हुआ है. दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर पर पदक विजेता पहलवानों के खिलाफ अपनी मर्जी से बल प्रयोग नहीं किया और न ही राजनीतिक आदेशों के बिना शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को दबाया.”

(अनुवाद- संपादन: पूजा मेहरोत्रा)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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