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Friday, 15 November, 2024
होमराजनीति‘तत्काल लागू न करना नाइंसाफी’, प्रस्तावित नारी वंदन अधिनियम का सोनिया गांधी ने किया समर्थन

‘तत्काल लागू न करना नाइंसाफी’, प्रस्तावित नारी वंदन अधिनियम का सोनिया गांधी ने किया समर्थन

गांधी ने कहा कि इस बिल का सपना मेरे पति राजीव गांधी लाए थे और अब मुझे खुशी है कि उनका सपना पूरा होगा, लेकिन मेरा एक सवाल है कि यह सपना कब पूरा होगा.

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने मंगलवार को नए संसद भवन में पहले दिन लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित करने वाला एक संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया, जिसे कांग्रेस पार्टी ने अपना समर्थन दिया है.

विधेयक 27 वर्षों से लंबित पड़ा हुआ था और इसे लेकर कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से मैं ‘‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023’’ के समर्थन में खड़ी हूं.

सत्र के दूसरे दिन सोनिया गांधी ने कहा कि महिलाओं के लिए भारत की स्थिति का सफर बहुत लंबा है, लेकिन आखिरकार उसने लंबी दूरी तय कर ली है.

अध्यक्ष गांधी ने कहा, ‘‘भारत की स्त्री के हृदय में महासागर जैसा धीरज है. उसने खुद के साथ हुई बेईमानी की शिकायत नहीं की और सिर्फ अपने फायदे के बारे में कभी नहीं सोचा.’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘उसने नदियों की तरह सबकी भलाई के लिए काम किया है और मुश्किल वक्त में हिमालय की तरह अडिग रही.’’

गांधी ने कहा कि इस बिल का सपना मेरे पति राजीव गांधी लाए थे और अब मुझे खुशी है कि उनका सपना पूरा होगा, लेकिन मेरा एक सवाल है कि यह सपना कब पूरा होगा.

उन्होंने कहा, ‘‘मेरी जिंदगी का यह बहुत ही मार्मिक क्षण है. पहली बार स्थानीय निकायों में स्त्री की भागीदारी तय करने वाला संविधान संशोधन मेरे जीवनसाथी राजीव गांधी जी ही लाए थे. जिसका नतीजा है कि देशभर के स्थानीय निकायों के जरिए हमारे पास 15 लाख चुनी हुई महिला नेता हैं.

सोनिया ने कहा, ‘‘राजीव गांधी जी का सपना अब तक आधा ही पूरा हुआ है. वह इस बिल के पारित होने के साथ ही पूरा होगा.’’

विधेयक को पारित होने के साथ ही लागू कर देने का संदर्भ देते हुए गांधी ने पूछा, पिछले 13 वर्षों से भारतीय स्त्रियां अपनी राजनीतिक जिम्मेदारी का इंतजार कर रही हैं. अब उन्हें और इंतजार करने को कहा जा रहा है. क्या भारत की स्त्रियों के साथ यह बर्ताव उचित है?

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मांग है कि ये बिल फौरन अमल में लाया जाए और इसके साथ ही जातिगत जनगणना करवाकर SC, ST और OBC महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की जाए.

सोनिया ने कहा कि बिल को देरी से लाना महिलाओं के साथ नाइंसाफी होगी. उन्होंने कहा, ‘‘सभी बाधाओं को दूर कर महिला आरक्षण बिल को तत्काल लागू करना न केवल जरूरी, बल्कि संभव भी है और इसे देर से लागू करना नाइंसाफी होगी.’’

इस बिल को लागू करने में और देरी करना भारत की स्त्रियों के साथ घोर नाइंसाफी है.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं कांग्रेस की तरफ से मांग करती हूं कि ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम-2023’ को उसके रास्ते की सारी रुकावटों को दूर करते हुए जल्द लागू किया जाए.’’

इस बीच, सोनिया का भाषण खत्म होने के बाद निशिकांत दुबे के बोलने से पहले लोकसभा में हंगामा होने लगा, जिस पर अमित शाह ने उठकर कहा कि ‘‘महिलाओं की चिंता करने का हक क्या केवल महिलाओं के पास है, पुरुषों के पास ये हक नहीं है क्या?’’

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक के चार खंड सूचीबद्ध किए और कहा, ‘‘आज का विधेयक महिलाओं की प्रतिष्ठा को ऊपर उठाएगा और अवसरों में समानता भी लाएगा. उन्हें प्रतिनिधित्व मिलेगा.’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह एक संविधान संशोधन विधेयक और एक महत्वपूर्ण विधेयक है. यह महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक कदम है, और दुनिया का मार्गदर्शन करने वाला है.’’

वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने भी ओबीसी को इसमें शामिल करने को लेकर कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह एक अद्भुत (महिला आरक्षण) विधेयक है. मैं केवल यही कहता हूं कि इसमें ओबीसी को भी शामिल किया जाना चाहिए.’’

वहीं, भाजपा की दिल्ली इकाई की महिला पदाधिकारियों ने मंगलवार को लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पेश किए जाने का स्वागत किया और इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से महिलाओं को दिया गया रक्षा बंधन का तोहफा करार दिया.

पदाधिकारियों ने कहा, ‘‘गणेश चतुर्थी पर महिला आरक्षण विधेयक लाकर प्रधानमंत्री ने भारत की महिलाओं को रक्षाबंधन का तोहफा दिया है.’’


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