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Sunday, 26 January, 2025
होमराजनीति‘हमारे खेल को सपोर्ट नहीं’: कर्नाटक के खो-खो गोल्ड मेडल विजेताओं ने सरकार के नकद पुरस्कार को ठुकराया

‘हमारे खेल को सपोर्ट नहीं’: कर्नाटक के खो-खो गोल्ड मेडल विजेताओं ने सरकार के नकद पुरस्कार को ठुकराया

मुख्यमंत्री ने खो खो वर्ल्ड कप में विजेता भारतीय टीमों का हिस्सा रहे एम.के. गौतम और चैत्रा बी से मुलाकात की और प्रत्येक को 5 लाख रुपये की पुरस्कार राशि देने की घोषणा की, लेकिन दोनों ने राज्य सरकार पर ‘भेदभाव’ का आरोप लगाया है.

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बेंगलुरु: भारत ने खो-खो विश्व कप में पहला खिताब जीता, वहीं कर्नाटक, जहां से पुरुष और महिला राष्ट्रीय टीमों में एक-एक खिलाड़ी थे, के लिए यह एक अनोखा पल था, लेकिन यह ज्यादा दिनों तक नहीं रहा, क्योंकि दोनों खिलाड़ियों ने राज्य सरकार पर अपमान और भेदभाव का आरोप लगाया.

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को एम.के. गौतम और चैत्रा बी. को सम्मानित किया और फिर उनके लिए 5 लाख रुपये के नकद पुरस्कार की घोषणा की, लेकिन इसके तुरंत बाद खिलाड़ियों ने इसे लेने से इनकार कर दिया.

इस घटना ने कर्नाटक सरकार को शर्मसार कर दिया है. खिलाड़ियों और राज्य खो-खो संघ ने प्रशासन पर स्वदेशी खेलों के खिलाफ “भेदभाव” का भी आरोप लगाया है.

भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते पिछले साल जून में बी. नागेंद्र को पद छोड़ने के लिए मजबूर किए जाने के बाद सिद्धारमैया ने खेल विभाग संभाला था.

गौतम ने शनिवार को बेंगलुरु में संवाददाताओं से कहा, “हम दोपहर 2:30 बजे सीएम से मिले और बातचीत के दो मिनट बाद ही सीएम ने 5 लाख रुपये के नकद पुरस्कार की घोषणा कर दी. उस समय हम उनके सामने इस प्रस्ताव को अस्वीकार नहीं कर सकते थे…इसलिए बाद में हमने अपने अध्यक्ष से बात की और इसे अस्वीकार करने का फैसला किया. अन्य राज्य 2 करोड़ रुपये और ‘ए’ कैटेगरी की नौकरी देते हैं, तो कर्नाटक ऐसा क्यों नहीं करता?”

यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब सरकार पर कुछ खेलों पर अत्यधिक ध्यान देने और अन्य खेलों पर आंखें मूंद लेने के आरोप बढ़ रहे हैं.

राज्य खो-खो संघ ने कर्नाटक में खो-खो जैसे स्वदेशी खेलों की खराब स्थिति को उजागर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वदेशी खेलों पर जोर देने का हवाला दिया है.

‘कर्नाटक सरकार हमारी बात नहीं सुन रही’

कर्नाटक में खेल से जुड़े लगभग सभी फैसले राज्य के ओलंपिक संघ के माध्यम से होते हैं, जिसका नेतृत्व कांग्रेस एमएलसी के. गोविंदराज दो दशकों से कर रहे हैं. सिद्धारमैया के करीबी सहयोगी, वे वर्तमान में सीएम के राजनीतिक सचिव हैं.

दिप्रिंट ने खो-खो विवाद पर गोविंदराज को टिप्पणी के लिए कॉल किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

कर्नाटक राज्य खो-खो संघ के अध्यक्ष और भारतीय खो-खो महासंघ के उपाध्यक्ष लोकेश्वर ने राज्य पर भेदभाव का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि बास्केटबॉल जैसे खेल को सालाना 10 करोड़ रुपये मिलते हैं, लेकिन खो-खो को पिछले 10 सालों में “एक भी रुपया” नहीं मिला.

उन्होंने कहा कि सरकार ने खेल निकाय से परामर्श किए बिना खो-खो संघ को ओलंपिक संघ के अंतर्गत ला दिया.

लोकेश्वर ने कहा, “सम्मान वापस नहीं किया जा सकता, लेकिन जो पुरस्कार राशि दी गई है, वह सही नहीं है.”

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओडिशा और अन्य कई राज्य सरकारों ने अपने-अपने राज्यों में खो-खो को बढ़ावा देने के लिए इस वित्तीय वर्ष (FY25) में 10-25 करोड़ रुपये अलग रखे हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि खो-खो प्रतियोगिताओं में कर्नाटक पिछले 40 वर्षों से लगातार राज्यों में शीर्ष-3 में रहा है.

उन्होंने पूछा, “राज्य सरकार खो-खो को बढ़ावा क्यों नहीं देना चाहती?”

गौतम ने कहा कि वे 2019 दक्षिण एशियाई खेलों में खो-खो स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का भी हिस्सा थे.

गौतम ने कहा, “उस समय, महाराष्ट्र सरकार ने विजेता सदस्यों को क्लास ‘बी’ की नौकरी और 50 लाख रुपये दिए थे. हमारी सरकार ने हमारे लिए कुछ नहीं दिया. उस प्रमाण पत्र के साथ, मैंने केंद्र सरकार की एक योजना के माध्यम से नौकरियों के लिए आवेदन किया और मुझे डाकिया की नौकरी मिल गई. बस यही हुआ है.”

अपने 2024-25 के बजट में, कर्नाटक सरकार ने पिछले साल के पेरिस ओलंपिक में पदक विजेताओं के लिए 3-6 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि रखी. दूसरी ओर, एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने वाले एथलीटों को 15-35 लाख रुपये मिलते हैं.

महिला स्वर्ण पदक विजेता टीम की चैत्रा बी ने शनिवार को बेंगलुरु में संवाददाताओं से कहा, “हमें कोई सहायता नहीं मिलती. राष्ट्रीय खेलों के लिए, महाराष्ट्र ने 7 लाख रुपये की पुरस्कार राशि और ग्रेड ‘बी’ नौकरियों की घोषणा की, लेकिन राज्य सरकार ने हमें कोई जवाब नहीं दिया है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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