नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और अन्य धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ ‘महागठबंधन’ ने बुधवार को बिहार विधानसभा के पटल पर अपना बहुमत साबित कर दिया.
नए ‘महागठबंधन’ ने विपक्षी भाजपा के बहिर्गमन के बीच 243 सदस्यीय विधानसभा में ध्वनि मत से विश्वास प्रस्ताव जीता.
कुमार ने दो हफ्ते पहले भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन तोड़ लिया था और लालू प्रसाद यादव की राजद के साथ अपनी पुरानी साझेदारी की.
9 अगस्त को एनडीए से नाता तोड़ने के बाद, कुमार ने अगले दिन रिकॉर्ड आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जबकि लालू के बेटे तेजस्वी यादव उनके डिप्टी बने.
बुधवार को शक्ति परीक्षण के लिए सदन का सत्र भाजपा विधायक और अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के पद छोड़ने के साथ शुरू हुआ, क्योंकि ‘महागठबंधन’ के सत्ता में आने के तुरंत बाद उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था.
फ्लोर टेस्ट से पहले, उपमुख्यमंत्री और पूर्व क्रिकेटर तेजस्वी यादव ने कहा, ‘हम क्रिकेटर हैं और इस जोड़ी (राजद और जदयू) की कभी न खत्म होने वाली साझेदारी होने वाली है. यह सबसे लंबी पारी होने जा रही है, यह साझेदारी बिहार और देश के विकास के लिए काम करेगी. इस बार कोई रन आउट नहीं हो रहा है.’
अपने भाषण में, नीतीश कुमार ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं ने ‘मेरे साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया. मैंने 2013 में भाजपा को दरकिनार किए जाने के विरोध में उनसे नाता तोड़ लिया था.’
संयोग से, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार सुबह जमीन के बदले नौकरी के आरोपों में एमएलसी सुनील सिंह सहित कई राजद नेताओं के आवासों पर छापे मारे.
सांसद अशफाक करीम, फैयाज अहमद और सुबोध रॉय की संपत्तियों पर भी छापेमारी की गई.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और लालू प्रसाद की पत्नी राबड़ी देवी ने कहा कि सीबीआई की छापेमारी नई सरकार को डराने के लिए की गई है. वे (भाजपा) डरे हुए हैं. नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई सरकार बनी है. भाजपा को छोड़कर सभी दल हमारे साथ हैं. हम नहीं डरेंगे. यह (छापे) पहली बार नहीं हो रहा है.’
यह भी पढ़ें : नीतीश का BJP पर निशाना, कहा- उनकी प्रधानमंत्री बनने की कोई महात्वाकांक्षा नहीं