नई दिल्ली: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग लखीमपुर खीरी की घटना के आधार पर पार्टी के तेजी से पुर्नजीवित होने की उम्मीद लगा रहे हैं, उन्हें निराशा हाथ लगेगी.
प्रशांत किशोर ने लखीमपुर खीरी में चार किसान समेत 8 लोगों की मौत को लेकर विपक्षी पार्टियों द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन को कांग्रेस के रिवाइवल से जोड़ा है. हालांकि उन्होंने अपने ट्वीट में कांग्रेस का नाम नहीं लिया है बल्कि ग्रैंड ओल्ड पार्टी (जीओपी) के तौर पर संबोधित किया है.
शुक्रवार को किए ट्वीट में प्रशांत किशोर ने लिखा, ‘जो लोग लखीमपुर खीरी की घटना को पुरानी पार्टी के पुनर्जीवित करने के तौर पर देख रहे हैं, उन्हें बड़ी निराशा ही हाथ लगनी है.’
उन्होंने कहा, ‘दुर्भाग्य से ग्रैंड ओल्ड पार्टी (जीओपी) की बड़ी समस्याओं और संरचनात्मक कमजोरियों का तुरंत समाधान नहीं है.’
People looking for a quick, spontaneous revival of GOP led opposition based on #LakhimpurKheri incident are setting themselves up for a big disappoinment.
Unfortunately there are no quick fix solutions to the deep-rooted problems and structural weakness of GOP.
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) October 8, 2021
बीते करीब एक हफ्ते से विपक्षी पार्टियां लखीमपुर खीरी में 8 लोगों की मौत को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार को घेर रही है और पीड़ित परिवार के लिए न्याय की मांग कर रही है. उत्तर प्रदेश सरकार ने शुरुआत में प्रियंका गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं को लखीमपुर खीरी जाने की इजाजत नहीं दी थी लेकिन बाद में राहुल गांधी समेत कई विपक्षी नेता पीड़िता परिवार से मिलने लखीमपुर गए थे.
हालांकि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के लखीमपुर पहुंंचने और कांग्रेस की इस मामले में सक्रियता को सोशल मीडिया पर कई लोग पार्टी के रिवाइवल से जोड़कर देख रहे हैं. गौरतलब है कि अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं.
बता दें कि लखीमपुर मामले में अब तक दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. समन भेजने के बाद भी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री (एमओएस) अजय मिश्रा के बेटे आशीष पुलिस के सामने पेश नहीं हुए.
बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी के लिए प्रशांत किशोर काम कर चुके हैं. उन्होंने इससे पहले कई पार्टियों के लिए चुनावी रणनीति तैयार की है. हालांकि किशोर ने कांग्रेस के साथ भी काम किया है लेकिन वो पार्टी को सफलता नहीं दिला सके थे.
बता दें कि बीते साल कांग्रेस के ही 23 नेताओं ने पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में जरूरी बदलाव करने को कहा था. पार्टी के भीतर से भी कई बार ऐसे स्वर उठ चुके हैं.
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