scorecardresearch
Tuesday, 23 April, 2024
होमराजनीतिन गठबंधन, न सामंजस्य- यूपी कांग्रेस से सपा में शामिल हुए नेताओं की पार्टी छोड़ने की ये हैं वजहें

न गठबंधन, न सामंजस्य- यूपी कांग्रेस से सपा में शामिल हुए नेताओं की पार्टी छोड़ने की ये हैं वजहें

बुंदेलखंड के दो प्रमुख कांग्रेस नेता गयादीन अनुरागी और विनोद चतुर्वेदी पिछले हफ्ते सपा में शामिल हो गए. पिछले एक साल में करीब दर्जन भर नेताओं ने यही रास्ता अपनाया है.

Text Size:

लखनऊ: लगता है कई राज्यों में अपने तमाम नेता ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के हाथों गंवा देना ही कांग्रेस के लिए काफी नहीं था, जो अब पार्टी उत्तर प्रदेश में अपने वरिष्ठ नेताओं को मुख्य विपक्षी अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल होने से नहीं रोक पा रही है, वो भी ऐसे समय पर जब अगले साल ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.

पिछले हफ्ते बुंदेलखंड में कांग्रेस के दो प्रमुख नेता और पूर्व विधायक गयादीन अनुरागी और विनोद चतुर्वेदी सपा में शामिल हो गए थे.

सूत्रों के मुताबिक ऐसी भी अटकलें हैं कि पार्टी के पश्चिमी यूपी के नेता इमरान मसूद भी सपा में शामिल हो सकते हैं. हालांकि, मसूद ने दिप्रिंट से बातचीत में इस बात से साफ इनकार किया है.

कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि कम से कम आधा दर्जन पूर्व सांसद या विधायक भी पाला बदलने की फिराक में हैं, जबकि इतनी ही संख्या में पार्टी नेता पहले ही सपा में शामिल हो चुके हैं.

पदाधिकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में पार्टी के नेता दो कारणों से सपा के साथ जा रहे हैं, एक तो संभावित प्रत्याशी लगातार दो-तीन चुनाव हार चुके हैं और उन्हें इस बार भी जीत की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है और चुनाव के पहले जिस सपा-कांग्रेस गठबंधन की घोषणा होने की उम्मीद की जा रही थी, वह भी कोई कोई आकार नहीं ले पाया है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

कांग्रेस नेता सपा को मुख्य विपक्षी दल के रूप में देख रहे हैं, जिसका पूरे राज्य में मजबूत कैडर है. पदाधिकारी ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के सपा का गठबंधन सहयोगी बनने के बाद से अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी इस बार ज्यादा मजबूत स्थिति में दिख रही है.

ये घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है जब टीएमसी ने गोवा के लुइजिन्हो फलेरियो और असम की सुष्मिता देव, दोनों ही अपने-अपने राज्य में कांग्रेस इकाइयों के वरिष्ठ नेता रहे हैं, को अपने खेमे में लाने में सफलता हासिल कर ली है.


य़ह भी पढ़ें: कांग्रेस नेता ललितेश त्रिपाठी ने ‘अपडेट’ की अपनी Twitter bio, बताया जा रहा पार्टी छोड़ने का संकेत


पार्टी में भगदड़ की स्थिति

पिछले 12 महीनों में कम से कम आठ कांग्रेसी नेता समाजवादी पार्टी में शामिल हुए हैं.

बदायूं से पांच बार सांसद रह चुके सलीम शेरवानी पिछले साल अक्टूबर में पार्टी बदलने वाले कुछ शुरुआती लोगों में शामिल थे. वह वेस्ट यूपी में सपा के लिए एक महत्वपूर्ण मुस्लिम चेहरा बन गए हैं, पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां फर्जी जन्म प्रमाणपत्र मामले में अभी जेल में ही हैं.

उन्नाव से पूर्व सांसद अन्नू टंडन नवंबर 2020 में सपा में शामिल हुई थीं. समाजवादी पार्टी में शामिल होने के दौरान यूपी कांग्रेस के कामकाज पर उन्होंने गहरा असंतोष जताया था. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे एक पत्र में कहा था, ‘दुर्भाग्य से राज्य नेतृत्व और मेरे बीच कोई तालमेल नहीं बन पा रहा है और पिछले कई महीनों से मुझे अपने काम में उनकी तरफ से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है.’

टंडन के साथ ही उन्नाव से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के संयुक्त सचिव शशांक शुक्ला और युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अंकित परिहार भी सपा में शामिल हो गए थे.

उसी माह पूर्व सांसद कैसर जहां और बाल कुमार पटेल भी सपा में चले गए. दोनों 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे.

इस साल फरवरी में लखनऊ की मोहनलालगंज सीट से कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार रहे आर.के. चौधरी सपा में शामिल हुए. वहीं, बांदा जिले से कांग्रेस के पूर्व विधायक विवेक सिंह की विधवा मंजुला सिंह भी पिछले महीने सपा में शामिल हो चुकी हैं.

कांग्रेस राज्य इकाई के एक प्रमुख ब्राह्मण नेता और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के प्रपौत्र ललितेश पति त्रिपाठी भी पिछले महीने पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं. यद्यपि त्रिपाठी ने कहा है कि वह अभी किसी भी पार्टी में शामिल नहीं हो रहे हैं, उनके करीबी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि सपा ने अगले साल के शुरू में चुनाव से पहले पार्टी में शामिल होने के लिए संपर्क किया है.

यूपी कांग्रेस के एक दूसरे सूत्र ने कहा, ‘वेस्ट यूपी में जाट नेता समेत कुछ पूर्व विधायक रालोद से टिकट पाने की कोशिश कर रहे हैं. एक और नेता सपा में जाने की तैयारी में हैं. वेस्ट यूपी के नेता किसानों के विरोध के मद्देनजर मौजूदा स्थिति को अच्छी तरह समझ रहे हैं.’


यह भी पढ़ें: कौन है कन्हैया? कांग्रेस में शामिल किए गए JNU के पूर्व छात्र नेता की क्यों अनदेखी करेगी RJD


‘प्रियंका की टीम स्थिति को समझ नहीं रही’

यूपी कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष गयादीन अनुरागी, जो पिछले हफ्ते सपा में शामिल हुए हैं, ने दिप्रिंट से कहा कि यूपी में अभियान चला रही राज्य प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा की टीम की लापरवाही ने उन्हें पार्टी छोड़ने के लिए बाध्य किया है.

अनुरागी ने कहा, ‘मुझे यूपी इकाई का उपाध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन बुंदेलखंड क्षेत्र के जिलों में नियुक्तियों का कोई अधिकार तक नहीं दिया गया जबकि उन्होंने मुझे उसी क्षेत्र का प्रभारी बनाया था. अगर मुझे कोई अधिकार ही नहीं मिलेगा तो मैं ऐसे पद का क्या करूंगा? मैं टीम राहुल (गांधी) का सदस्य था. उन्होंने मुझ पर बहुत भरोसा किया लेकिन इस टीम ने वरिष्ठ नेताओं का सम्मान नहीं किया.’ साथ ही जोड़ा कि भाजपा के खिलाफ सपा ही एकमात्र मजबूत विकल्प है और कांग्रेस के उनके कई सहयोगी अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी में शामिल हो सकते हैं.

कांग्रेस के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘यह चुनाव कई लोगों के लिए उनके राजनीतिक कैरियर के लिहाज से करो या मरो की स्थिति वाला है. हम एक और नुकसान नहीं सह सकते. नई टीम इसे समझ नहीं पा रही है. हम यूपी में पहले से ही कमजोर हैं. अगर गठबंधन नहीं होता है, तो चुनाव नजदीक आने पर कई पूर्व विधायक पार्टी छोड़ जाएंगे.’

इमरान मसूद तो चाहते हैं, लेकिन ‘गठबंधन की कोई संभावना नहीं’

राजनीतिक गलियारों में ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि पूर्व विधायक और यूपी कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष इमरान मसूद सपा में शामिल होने जा रहे हैं. सपा के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि अखिलेश यादव इसी महीने सहारनपुर जाने की योजना बना रहे हैं, जहां मसूद की उनसे मुलाकात हो सकती है.

हालांकि, मसूद ने दिप्रिंट को बताया कि ऐसी कोई संभावना नहीं है. लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि वह अपने इस रुख पर कायम हैं कि सपा-रालोद-कांग्रेस गठबंधन होना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘राज्य में भाजपा को हराने के लिए सपा, रालोद और कांग्रेस को साथ आना चाहिए, नहीं तो वोट बंट जाएंगे और भाजपा फिर जीत जाएगी.’

मसूद ने यह भी कहा कि उन्होंने यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा को बता दिया है कि बिना गठबंधन के कांग्रेस को ज्यादा सीटें नहीं मिल सकती हैं.

वहीं सपा के कई पदाधिकारियों ने दिप्रिंट से बातचीत में स्पष्ट किया कि कांग्रेस के साथ गठबंधन की कोई संभावना नहीं है.

नाम जाहिर न करने की शर्त पर सपा के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘कांग्रेस ने हमसे संपर्क किया है लेकिन पिछले दो चुनावों (2017 व 2019) के अपने अनुभवों को देखते हुए हम कोई गठबंधन नहीं चाहते. इसलिए हम यह चुनाव कांग्रेस या बसपा के बजाये छोटे दलों के साथ मिलकर लड़ना चाहते हैं. कांग्रेस का अकेले चुनाव लड़ना हमारे लिए ज्यादा फायदेमंद है क्योंकि वे कुछ सीटों पर भाजपा के सवर्ण वोटों को काट सकते हैं.

जुलाई में अपनी लखनऊ यात्रा के दौरान कांग्रेस की यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने कहा था कि गठबंधन पर पार्टी ने ‘खुली सोच’ अपना रखी हैं. पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि इसके बाद कांग्रेस के कई नेताओं ने सपा से संपर्क साधा लेकिन बातचीत को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका.

यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने भी कहा है कि गठबंधन को लेकर इमरान मसूद के बयान से पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है.

श्रीवास्तव ने कहा, ‘इमरान का बयान व्यक्तिगत है और इसका पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है. हम सभी 403 सीटों पर लड़ने की योजना बना रहे हैं. पार्टी यूपी में नया नेतृत्व विकसित कर रही है. विधानसभा स्तर पर प्रशिक्षण शिविर चल रहा है. हम सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए हर बूथ के लिहाज से अपना कैडर बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.’


यह भी पढ़ें: रीता बहुगुणा से लेकर जितिन प्रसाद और ललितेश त्रिपाठी तक, UP में कांग्रेस ने क्यों खो दिए ब्राह्मण चेहरे


 

share & View comments