नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को राज्यसभा भेजे जाने की अटकलों पर वहां की राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है. इस तरह की खबरें ऐसे समय में आ रही हैं जब राज्य में गठबंधन से सरकार चला रहीं जेडीयू और बीजेपी के रिश्तों में तनाव की खबरें हैं.
दरअसल, आरसीपी सिंह को जेडीयू में मुख्यमंत्री नीतीश के बेहद करीबी माना जाता है.
हाल ही में, जेडीयू के सूत्रों के मुताबिक आरसीपी के बीजेपी के साथ गहरे संबंध बनने के कारण दोनों नेताओं के रिश्ते में खटास आ रही है.
आरसीपी का राज्यसभा में कार्यकाल 7 जुलाई को खत्म हो रहा है और पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार में मंत्री के रूप में बने रहने के लिए उन्हें संसद के उच्च सदन में फिर से नामित किया जाना है.
22 मई को पत्रकारों ने सीएम नीतीश कुमार से आरसीपी को राज्यसभा में दोबारा नामित करने पर सवाल किया था जिसपर उन्होंने चुप्पी साध ली थी.
उन्होंने कहा था कि ‘इन बातों की फिक्र मत कीजिए. घोषणा समय पर की जाएगी.’
केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह एक हफ्ते से पटना में हैं और नीतीश से उनकी बातचीत सिर्फ एक सामाजिक कार्यक्रम में ही हुई है.
मामले के बारे में पूछे जाने पर बीजेपी के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा, ‘जेडीयू आरसीपी के साथ क्या करना चाहती है यह वो ही तय करेंगे. यह बीजेपी और जेडीयू के बीच गठबंधन से जुड़ा नहीं है.’
दिप्रिंट ने जेडीयू के तीन प्रवक्ताओं संपर्क साधने की कोशिश की लेकिन सब ने प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. शीर्ष नेतृत्व से आदेश मिलने की तरफ इशारा करते हुए एक प्रवक्ता ने कहा, ‘स्थित विकट है.’
हालांकि, जेडीयू विधायक और उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने कहा कि पार्टी विधायकों ने नीतीश कुमार को राज्यसभा उम्मीदवार नामित करने का अधिकार दिया हुआ है.
इस मामले में बिहार के सीएम की चुप्पी को राजनीतिक विशेषज्ञ जेडीयू और बीजेपी कमजोर होते रिश्तों के तौर पर देख रहे हैं.
दोनों पार्टियों के बीच संबंध काफी असहज रहा है. कई अवसरों पर बीजेपी के नेताओं ने नीतीश के नेतृत्व वाली सरकार पर हमला बोला है. इसके साथ ही नीतीश को आरजेडी के कुछ कार्यक्रमों में भी शामिल होते देखा गया है.
दीपक मिश्रा के इनपुट से
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