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Saturday, 21 December, 2024
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‘भ्रष्टाचार का नया अध्याय’, पंजाब में विपक्ष की मांग: भूमि घोटाले के आरोपी मंत्री को बर्खास्त किया जाए

लाल चंद कटारूचक पर पठानकोट भूमि घोटाले में आरोपी एक अधिकारी के ट्रांसफर में मदद करने का आरोप लगाया गया है. यह उनके खिलाफ यौन दुर्व्यवहार के आरोपों के महीनों बाद आया है.

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चंडीगढ़: यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगने के दो महीने बाद, पंजाब के कैबिनेट मंत्री लाल चंद कटारुचक एक बार मुश्किल में फंसते नजर आ रहे हैं. पंजाब में विपक्षी दल के नेता अब उन पर कथित भूमि घोटाले को बढ़ावा देने का आरोप लगा रहे हैं. इस कठित घोटाले में उनके एक एक जिला विकास अधिकारी मुख्य संदिग्ध हैं.

पंजाब के सतर्कता ब्यूरो ने गुरुवार को रिटायर जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी (डीडीपीओ) कुलदीप सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की, जिन्हें इस साल फरवरी में पठानकोट के अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी) का प्रभार दिया गया था. कुलदीप सिंह पर पठानकोट के गोल गांव में लगभग 92 एकड़ पंचायत भूमि को कुछ निजी पार्टियों को अवैध रूप से ट्रांसफर करने का आरोप लगाया गया है.

मामले में सात अन्य लोगों पर मामला दर्ज किया गया है, जिनमें से दो को गिरफ्तार कर लिया गया है. पुलिस बाकी की तलाश कर रही है.

पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को शुक्रवार को लिखे पत्र में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने घोटाले की न्यायिक जांच कराने की मांग की है. उन्होंने वन एवं वन्यजीव तथा खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले के मंत्री कटारुचक पर अपने निजी व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने के लिए “विशेष रूप से उनके रिटायर से पहले डीडीपीओ को पठानकोट ट्रांसफर करने” का आरोप लगाया है. उन्होंने अधिकारी को कटारुचक का परिचित व्यक्ति बताया है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, कटारुचक, जो भोआ से आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक भी हैं, ने सिफारिश की थी कि कुलदीप सिंह को पठानकोट एडीसी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा जाए. अधिकारी को रिटायर होने से चार दिन पहले 24 फरवरी को कार्यभार मिला था.

कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता मनजिंदर सिंह सिरसा और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने भी कटारूचक के साथ-साथ एक अन्य कैबिनेट मंत्री, कुलदीप सिंह धालीवाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

दिप्रिंट फ़ोन और टेक्स्ट संदेशों के ज़रिए कटारूचक से उनका पक्ष लेने पहुंचा, लेकिन उनकी ओर से कोई उत्तर नहीं मिला. उत्तर मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.

विपक्ष ने की बर्खास्तगी की मांग

शुक्रवार को ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर किए एक पोस्ट में कांग्रेस नेता और भोलाथ विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने दावा किया कि डीडीपीओ कुलदीप सिंह के खिलाफ पूरी कवायद “अर्थहीन” है जब तक कि मुख्यमंत्री भगवंत मान कटारूचक के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते.

इस बीच, बीजेपी के सिरसा ने आरोप लगाया कि कुलदीप सिंह को एडीसी, पठानकोट का अतिरिक्त प्रभार दिलाने के लिए धालीवाल भी जिम्मेदार थे. उन्होंने दावा किया, यह निजी व्यक्तियों को लैंड ट्रांसफर की सुविधा में मदद करने के लिए किया गया था.

उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में कहा, “क्या मुख्यमंत्री भगवंत मान जी आप मंत्री लाल चंद कटारुचक और कुलदीप सिंह धालीवाल के खिलाफ जांच और कार्रवाई शुरू करेंगे? उन दोनों ने व्यक्तिगत लाभ के लिए 100 एकड़ मूल्यवान पंचायती भूमि को निजी व्यक्तियों को ट्रांसफर करने के उद्देश्य से एक दागी डीडीपीओ को एडीसी, पठानकोट के रूप में अतिरिक्त प्रभार सौंपा! आप का भ्रष्टाचार का स्तर राज्य में नई ऊंचाई और बदलाव है.”

पंजाब के पूर्व मंत्री मजीठिया ने घोषणा की कि अगर सरकार कार्रवाई नहीं करती है तो उनकी पार्टी शिअद राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू करेगी.

इस सप्ताह की शुरुआत में शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने घोटाले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया था कि जमीन को अवैध खनन के लिए इस्तेमाल करने के इरादे से निजी पार्टियों को सौंप दिया गया था.

जैसा कि विपक्ष ने उनकी सरकार को घेरने की कोशिश की, वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने प्रेस को बताया कि इस विषय की जांच चल रही है और चूंकि यह “न्यायाधीन” है, इसलिए वह इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते.

खैरा ने तुरंत कहा कि मामला अदालत में नहीं है और इसलिए, पंजाब सरकार को अपना दृष्टिकोण देने से कोई नहीं रोक सकता.


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‘जानबूझकर किया गया कृत्य’

खबर सामने आने के बाद, पंजाब के मुख्य सचिव अनुराग वर्मा ने कथित तौर पर राज्य के वित्तीय आयुक्त, ग्रामीण विकास और पंचायत को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया.

मुख्य सचिव कार्यालय द्वारा पिछले सप्ताह जारी एक बयान में कहा गया कि जांच में लैंड ट्रांसफर में अनियमितताएं पाई गईं. इसमें पाया गया कि जमीन इस साल 27 फरवरी को ट्रांसफर की गई थी जो कुलदीप सिंह के रिटायर होने से एक दिन पहले किया गया था.

बयान में कहा गया है, “कुलदीप सिंह को 24-2-2023 को एडीसी (डी) पठानकोट के रूप में तैनात किया गया था, जो शुक्रवार था. उन्हें 28-2-2023 यानी मंगलवार को रिटायर होना था. इसलिए, उन्होंने मामले को अगले ही कार्य दिवस यानी 27-2-2023 (सोमवार) को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया. कुलदीप सिंह ने 27-2-2023 को ही मामले का फैसला निजी याचिकाकर्ताओं के पक्ष में कर दिया. उन्होंने ग्राम पंचायत को अपने साक्ष्य रिकॉर्ड पर लाने का कोई मौका देने की जहमत नहीं उठाई.”

बयान में कहा गया है कि अधिकारी ने ट्रांसफर करते समय जमाबंदी जैसे दस्तावेजों को ध्यान में नहीं रखा.

जमाबंदी एक गांव का लैंड रिकॉर्ड है जिसमें मालिकों का नाम, क्षेत्र और मालिकों के शेयरों जैसी जानकारी होती है, और किराया और राजस्व और भूमि पर देय अन्य करों जैसे विवरण भी होते हैं.

बयान में कहा गया है कि जांच में पाया गया कि कार्रवाई “प्रथम दृष्टया जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण” थी और इससे “ग्राम पंचायत को करोड़ों रुपये का नुकसान” हुआ.

यौन दुराचार के आरोप

पिछले चार महीनों में कटारूचक से जुड़ा यह दूसरा विवाद है. मई में, कटारुचक पर गुरदासपुर की एक पीड़ित महिला ने यौन दुराचार का आरोप लगाया था.

शिकायत मिलने के तुरंत बाद राज्यपाल पुरोहित ने मान सरकार से कटारुचक को बर्खास्त करने को कहा था. हालांकि, सरकार ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है.

बाजवा ने राज्यपाल को लिखे अपने ताजा पत्र में इसका जिक्र भी किया है.

पत्र में लिखा गया है, “कितनी आश्चर्य की बात है कि श्री लाल चंद कटारूचक अभी भी पंजाब सरकार में हैं. यह स्पष्ट है कि श्री के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए थे. लाल चंद कटारुचक ने पहले एक आपत्तिजनक वीडियो के संबंध में पीड़िता से दोस्ती की थी और विधायक बनने पर सरकारी नौकरी का वादा कर उनका यौन शोषण किया था. लेकिन, मुख्यमंत्री ने मामले को दबाने के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया था.”

(संपादनः ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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