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Sunday, 22 December, 2024
होमराजनीतिप्रमोद सावंत बोले-पर्रिकर के सपने को पूरा करूंगा, पीएम ने दी बधाई

प्रमोद सावंत बोले-पर्रिकर के सपने को पूरा करूंगा, पीएम ने दी बधाई

जब पर्रिकर ईलाज के लिए दिल्ली के एम्स में भर्ती हुए तब भी गोवा असेंबली का काम धाम प्रमोद सावंत के कंधों पर ही आ गया था. 2018 से ही वह इस पद के दावेदार थे.

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नई दिल्ली: गोवा के नए और 11 वें मुख्यमंत्री के रूप में आयुर्वेदिक डॉक्टर प्रमोद सांवत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. सावंत के साथ दो उप मुख्यमंत्री भी बनाए गए हैं. शपथ लेने के बाद प्रमोद सावंत ने कहा कि मैं सभी सहयोगियों के साथ राज्य के विकास के लिए आगे काम बढ़ाने आया हूं. मनोहर पर्रिकर जो काम अधूरा छोड़ गए हैं उसे आगे ले जाना मेरी पहली प्राथमिकता होगी. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मैं उनके जितना काम नहीं कर पाउंगा लेकिन जितना संभव हो सकेगा मैं उनके सपने का गोवा बनाने की पूरी कोशिश करूंगा.

पीएम ने ट्वीट कर दी प्रमोदी सावंत को बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को गोवा के नवनियुक्त मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत को अपनी शुभकामनाएं दीं और विश्वास जताया कि वह राज्य के विकास को बढ़ावा देंगे.

उन्होंने कहा, ‘प्रमोद सावंत व उनकी टीम गोवा के लोगों के सपनों को पूरा करने की अपनी यात्रा की शुरुआत कर रही है, इसके लिए उन्हें शुभकामनाएं.’ मोदी ने ट्वीट किया, ‘मुझे विश्वास है कि वे बीते कुछ सालों में किए गए कार्यो को आगे बढ़ाएंगे और गोवा के विकास को बढ़ावा देंगे.’

पर्रिकर की विरासत संभालने वाले सावंत कौन हैं

मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद प्रमोद सावंत ने उनकी विरासत संभाली है. 46 वर्षीय सावंत गोवा में भारतीय जनता पार्टी के अकेले ऐसे विधायक हैं जो आरएसएस काडर से आते हैं. गोवा के बिचोलिम तालुका के गांव कोटोंबी के रहने वाले हैं सावंत का बचपन से ही आरएसएस से जुडे हुए हैं. उनके पिता पांडुरंग सावंत का भी राजनीतिक रुझान रहा, वह पूर्व जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं. वह भारतीय जनसंघ, भारतीय मजदूर संघ के सक्रिय सदस्य थे. बीजेपी के वफादार कार्यकर्ता के तौर पर उन्हें जाना जाता था.
देर रात

पर्रिकर के बीमार होने के बाद प्रमोद सावंत मजबूत दावेदार के रूप में उभरे थे. सावंत को राजनीतिक में लाने वाले और उन्हें राजनीति के गुण सिखाने वाले भी पर्रिकर ही थे. सोमवार देर रात प्रमोद ने अपने ग्यारह विधायकों के साथ मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. राजभवन में राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने नई कैबिनेट को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. सावंत मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले विधानसभा अध्यक्ष थे. एडवांस्ड पैंक्रियाटिक कैंसर से पीड़ित पर्रिकर का रविवार की शाम निधन हो गया था. देश के रक्षा मंत्री रह चुके पर्रिकर आज पंचतत्व में विलीन हो गए.

एक भाजपा नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘भाजपा ने बीती रात ही सावंत के नाम पर मुहर लगा दी थी.’ पर्रिकर के बीमार होने के बाद वह गोवा में सीएम पद के मजबूत दावेदार बनकर उभरे. वह स्वर्गीय पर्रिकर की पहली पसंद थे.

 मुख्यमंत्री की पत्नी ने पर्रिकर को बताया पिता समान

2017 गोवा विधानसभा के अध्यक्ष रहे सावंत की पत्नी सुलक्षणा सावंत भी भाजपा की कार्यकर्ता हैं और गोवा महिला मोर्चा की अध्यक्ष भी हैं. मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की पत्नी ने मंगलवार को कहा कि उनके पति के पूर्ववर्ती दिवंगत मनोहर पर्रिकर दंपति के लिए पिता समान थे. गोवा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महिला इकाई की अध्यक्ष सुलक्षणा सावंत ने सोमवार रात राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘हमारे लिए सोमवार का दिन मिली-जुली भावनाओं का दिन था. हमने अपने महान नेताओं में से एक मनोहर पर्रिकर को खोया जो हमारे लिए पिता समान थे. सिर्फ उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन के कारण यह संभव हो सका.’

उन्होंने कहा, ‘खुशी से ज्यादा इस समय हम जिम्मेदारी का एहसास कर रहे हैं.’

2018 सीएम का पदभार संभाल रहे थे

वैसे तो सावंत 2018 से ही सीएम का पदभार संभाल रहे थे. जब पर्रिकर दिल्ली ईलाज के लिए दिल्ली के एम्स में भर्ती हुए तब भी गोवा असेंबली का काम धाम सावंत के कंधों पर ही आ गया था.
सावंत के अलावा बीजेपी हाईकमान की नजर गोवा कैबिनेट मिनिस्टर विश्वजीत राणे पर भी थी जो पहले कांग्रेस के विधायक थे लेकिन बाद में उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर लिया था. राने पूर्व गोवा के मुख्यमंत्री प्रताप सिंह राणे के बेटे हैं.

उन्होंने खुद सीएम पद की शपथ लेने से पहले कहा है कि उनको राजनीति में लेकर पर्रिकर ही आए थे. उन्होंने स्पीकर और सीएम बनने का श्रेय भी पर्रिकर को दिया है. पार्टी के प्रति उनकी वफादारी भी उनकी सीएम पद की दावेदारी की एक वजह थी. पार्टी के एक सूत्र ने बताया, ‘सावंत पार्टी के प्रति काफी वफादार थे. वह अपनी किसी भी निजी महत्वाकांक्षा से पहले पार्टी को रखते थे. पार्टी को भी एक कम उम्र के ऐसे नेता की जरूरत थी जो अगले 10-15 सालों तक पार्टी का नेतृत्व कर सके. इसके अलावा पर्रिकर की इच्छा थी कि अगला सीएम कोई भी बीजेपी का विधायक ही हो. इन सब चीजों की वजह से माहौल सावंत के पक्ष में हो गया था.

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