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Monday, 20 May, 2024
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‘नाम बदल सकते हैं इतिहास नहीं’, नेहरू मेमोरियल का नाम बदले जाने पर BJP- कांग्रेस आमने सामने

एनएमएमएल का नाम 14 अगस्त से आधिकारिक तौर पर बदलकर प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) सोसाइटी कर दिया गया.

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नई दिल्ली: कांग्रेस ने नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय (एनएमएमएल) का नाम बदलकर बुधवार को प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) सोसाइटी कर दिया गया जिसके बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि लगातार हमले के बावजूद देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की विरासत हमेशा जिंदा रहेगी और वह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे.

एनएमएमएल का नाम 14 अगस्त से आधिकारिक तौर पर बदलकर प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) सोसाइटी कर दिया गया.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (ट्वीटर) पर पोस्ट किया, ”आज से एक प्रतिष्ठित संस्थान को नया नाम मिला है . विश्व प्रसिद्ध नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय (एनएमएमएल) अब पीएमएमएल (प्रधानमंत्री स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय) बन गया है.”

उन्होंने आरोप लगाया, ‘मोदी जी भय, पूर्वाग्रह और असुरक्षा से घिरे हुए हैं, खासकर जब बात हमारे पहले और सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रधानमंत्री की आती है. उनका एकमात्र एजेंडा नेहरू और नेहरूवादी विरासत को नकारना, विकृत करना, बदनाम करना और नष्ट करना है. उन्होंने ‘एन’ को मिटाकर उसकी जगह ‘पी’ कर दिया है. ‘

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रमेश ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी स्वतंत्रता आंदोलन में नेहरू के विशाल योगदान और भारत राष्ट्र-राज्य की लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, वैज्ञानिक और उदार नींव के निर्माण में उनकी महान उपलब्धियों को कभी भी मिटा नहीं सकते. इन सभी पर अब मोदी जी और उनकी वाह-वाह करने वालों की ओर से लगातार हमला किया जा रहा है.”

कांग्रेस सांसद शशि थरूर बोले, “यह अफ़सोस की बात है कि यह नौबत आई. अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने वाले पहले प्रधान मंत्री का नाम, जो आज़ादी के बाद प्रधान मंत्री थे, जो अब तक सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रधान मंत्री हैं. आप इसे नेहरू मेमोरियल प्रधान मंत्री संग्रहालय कहना जारी रख सकते थे… यह दुर्भाग्यपूर्ण है और यह दर्शाता है हमारे अपने ऐतिहासिक अतीत के प्रति कुछ कड़वाहट है, जो, मेरा मानना ​​है, ऐसी सरकार के लायक नहीं है जिसके पास इतना अच्छा बहुमत हो.”

वहीं महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता अशोक चव्हाण बोले, नाम बदलना अब रोजमर्रा की बात हो गई है. मेरी राय में राजनीति में बदलाव के हिसाब से नाम नहीं बदलने चाहिए. देश में कुछ नई चीज बनती है तो उसको नाम दें. मुझे नहीं लगता कि संस्थानों के नाम बदलने को लेकर लोगों में कोई सराहना है.

नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय का नाम बदलकर प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय कर देने पर सौरभ भारद्वाज ने कहा, “यह भाजपा की संस्कृति को दर्शाता है, जहां मृत व्यक्ति का भी अपमान किया जाता है.

कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर बोले, यह हमारे पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू जी के खिलाफ नफरत है. वे आज़ादी दिलाने के क्रम में लिए जेल गए. पीएम मोदी वाजपेयी जी की पुण्य तिथि पर पंडित नेहरू की उस विरासत को मिटाना चाहते हैं जिसे पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री और पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने बनाया था. पंडित नेहरू लोगों के दिलों में रहते हैं और उन्हें पूरे भारत में प्यार मिलता है.

वहीं इस मुद्दे पर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी बोले, नेहरू जी ने स्वतंत्रता आंदोलन में बड़ा योगदान दिया और आज़ादी दिलाने में मदद की. जिस व्यक्ति ने इस देश को आज़ादी दिलाई उस व्यक्ति के नाम पर रहे नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी का नाम बदलना देश के लिए अपमानजनक है. जवाहरलाल नेहरू ने इतनी लंबी लकीर खींच दी है कि उन्हें आपकी दया की ज़रूरत नहीं है. उनका नाम अमर है.

उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत बोले, उनके पास और क्या बचा है? आप इमारत का नाम बदल सकते हैं लेकिन आप इतिहास में वर्णित पंडित नेहरू का नाम नहीं बदल सकते. आप महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सावरकर जी द्वारा बनाए गए इतिहास को नहीं बदल सकते. आप उनके जैसा इतिहास नहीं बना सकते इसलिए आप नाम बदल रहे हैं.


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