भाजपा की लोकल यूनिट ऑफिस के सामने स्थित ‘बिगीज़ पिज्जा’ में अपने चार दोस्तों के साथ पिज्जा का आनंद लेते हुए 26 वर्षीय अंजुम खातून कहती हैं, “कुछ साल पहले, हम शाम को बाहर जाने के बारे में सोच भी नहीं सकते थे. हम सुरक्षित नहीं थे और हमारे माता-पिता हमारी सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते थे. लेकिन अब चीजें बदल रही हैं. हम उन्हें आश्वस्त कर पाते हैं कि हम सुरक्षित वापस आ जाएंगे.”
खाने के बाद महिलाओं ने रोशनी से चमक रहे पेड़ों के पास खड़े होकर सेल्फी ली और अपनी तस्वीरें इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर दीं. “महिलाओं के लिए यह एक बहुत बड़ा बदलाव है. खातून की एक दोस्त नजमा ने कहा, ”हम रात को घर से बाहर निकल पा रहे हैं, यह सिक्युरिटी और सेफ्टी के बारे में बहुत कुछ बयां करता है.” इन सभी महिलाओं ने बुर्का पहन रखा था.
योगी आदित्यनाथ की सरकार कानून व्यवस्था में सुधार के अपने दावे पर खरी उतर रही है. यहां तक कि मुसलमान, जिन्हें भाजपा का स्वाभाविक मतदाता नहीं माना जाता है, अनिच्छा से स्वीकार कर रहे हैं कि छीना-झपटी, लूटपाट और छेड़छाड़ की घटनाएं कम हो गई हैं, और महिलाएं रात में भी बाहर जा सकती हैं.
लेकिन समुदाय अभी भी पार्टी को वोट नहीं देगा.
लगभग पचास वर्ष के हो चुके और यूपी-हरियाणा सीमा के पास कैराना जिले के बांदुखेड़ी गांव में रहने वाले मोहम्मद मुर्शालीन ने कहा, “सुरक्षा तो बढ़ी है लेकिन फिर भी बीजेपी को वोट देना हमारे ईमान के खिलाफ होगा क्योंकि वो हमारे धर्म पर हमला करते हैं,”
कुछ साल पहले, हम शाम को बाहर जाने के बारे में सोच भी नहीं सकते थे. हम सुरक्षित नहीं थे और हमारे माता-पिता हमारी सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते थे. लेकिन अब चीजें बदल रही हैं. हम उन्हें विश्वास दिला पाते हैं कि हम सुरक्षित वापस आएंगे.’
– 26 वर्षीय अंजुम खातून
मुर्शलीन को 2019 में ‘पुराने कल्चर’ का खामियाजा तब भुगतना पड़ा जब गांव के चौक पर कुछ स्नैचर्स ने उनका फोन छीन लिया. उन्होंने एक चाय की दुकान पर बैठकर चुस्की लेते हुए कहा, “चीजें अब बदल गई हैं. अपराध तो पूरी तरह खत्म नहीं हुआ, लेकिन शाम को घर से निकलने का डर जरूर खत्म हो गया है. अब, बहनें और बेटियां भी सुरक्षित महसूस करती हैं.”
पश्चिमी यूपी में मुसलमान परंपरागत रूप से या तो समाजवादी पार्टी (एसपी) या बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) को वोट देते रहे हैं. इस क्षेत्र में 27 लोकसभा सीटें हैं जहां तीन चरणों में मतदान होगा. धामपुर शहर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नगीना निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है, जहां सपा ने मनोज कुमार, बसपा ने सुरेंद्र पाल सिंह और भाजपा ने ओम कुमार को मैदान में उतारा है. कैराना में सपा की उम्मीदवार और लंदन से पढ़ी-लिखी 28 वर्षीय इकरा हसन हैं. तीसरी पीढ़ी के राजनेता का मुकाबला भाजपा के मौजूदा प्रदीप चौधरी और बसपा के श्रीपाल सिंह से होगा. बीजेपी ने जहां कानून-व्यवस्था को चुनावी मुद्दा बनाया है, वहीं विपक्ष संविधान पर खतरे को उजागर कर रहा है.
हालांकि, मुस्लिम समुदाय के लिए भाजपा कोई विकल्प नहीं है.
मुर्शलीन ने दुखी स्वर में कहा, “हम भाजपा का विरोध कर रहे हैं क्योंकि वे हमारे धर्म के खिलाफ हैं. उन्होंने हमारी मस्जिदों पर बुलडोजर चलाया, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.’ कुदरत हर ज़ुल्म की सज़ा देती है,”
स्थिति में निश्चित रूप से सुधार हुआ है लेकिन भाजपा को वोट देना हमारी अखंडता के खिलाफ होगा क्योंकि वे हमारे धर्म को निशाना बनाते हैं
-मोहम्मद मुर्शलीन, कैराना निवासी
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कानून व्यवस्था का बदलता चेहरा
कैराना के बांदुखेड़ी में रविवार शाम करीब 6:30 बजे का वक्त है. चालीस साल की आफरीन हुसैन, गांव के चौक पर मुस्लिम महिलाओं के एक समूह के साथ हैं. वह 2018 की एक घटना याद करती हैं जब वह अपने गांव से लगभग 15 किमी दूर सहारनपुर गई थीं. उस वक्त उनके परिवार ने उन्हें एक रिश्तेदार के घर पर रुकने के लिए कहा, क्योंकि घर वालों को चिंता थी कि रात में वापस लौटना उनके लिए सुरक्षित नहीं होगा. उन्होंने कहा, “हम अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं. अब हम अपनी बेटियों को स्वतंत्र रूप से ट्यूशन के लिए भेज सकते हैं,.”
सीएम आदित्यनाथ ने चुनावी रैलियों में बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि उनकी सरकार के तहत यूपी में कानून-व्यवस्था कैसे बेहतर हुई है. उन्होंने 12 अप्रैल को सहारनपुर में एक रैली में कहा, “यूपी बेहतर कानून व्यवस्था के लिए जाना जाता है. हमने असामाजिक तत्वों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की है. आज यूपी में दंगा करने वालों को उल्टा लटका दिया जाता है, फिर नीचे मिर्च का छौंका लगा दिया जाता है ताकि वो गुंडागर्दी करना भूल जाएं.” अमित शाह ने भी 2022 की एक चुनावी रैली में राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति की सराहना करते हुए कहा था कि गहने पहनने वाली 16 साल की लड़की बिना किसी डर के आधी रात के बाद बाहर जा सकती है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) 2022 की रिपोर्ट इस बदलाव को दिखाती है. यूपी में आईपीसी क्राइम रेट (171.6 प्रतिशत) राष्ट्रीय औसत (258.1 प्रतिशत) से काफी नीचे है.
हम भाजपा का विरोध कर रहे हैं क्योंकि वे हमारे धर्म के खिलाफ हैं. उन्होंने हमारी मस्जिदों पर बुलडोजर चलाया, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.’
-मोहम्मद मुर्शली
राजनीतिक विश्लेषक “सुरक्षा में इस तेज़ी से बदलाव” का श्रेय योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व को देते हैं. चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा ने कहा, “2017 में, जब योगी मुख्यमंत्री बने, तो सामाजिक सुरक्षा पर बहुत ध्यान दिया गया और अब लोगों में सुरक्षा की भावना जागृत हो रही है. महिलाओं को लगता है कि वे अधिक सुरक्षित हैं. उदाहरण के लिए, पहले की तुलना में दूर-दराज के गांवों से अधिक लड़कियां विश्वविद्यालय में पढ़ने आ रही हैं.”
यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार यूपी में बेहतर कानून-व्यवस्था का श्रेय इन्वेस्टमेंट को देते हैं. कुमार ने पिछले सप्ताह एक इंटरव्यू में दिप्रिंट को बताया, “हमारे पास एक बहुत ही डायनमिक राजनीतिक नेतृत्व है जिसने हमें दिशा और अटूट समर्थन दिया है, और सभी नीतिगत मामलों में विचारों की स्पष्टता है, जिसके परिणामस्वरूप राज्य का समग्र विकास हुआ है.”
अगस्त 2023 में, पीएम मोदी ने उल्लेख किया था कि कानून और व्यवस्था निवेश को आकर्षित करने में एक महत्वपूर्ण कारक था. उन्होंने कहा था, “सुरक्षा का माहौल, बेहतर कानून-व्यस्था विकास की गति को तेज करता है. एक समय था जब राज्य विकास के मामले में पिछड़ रहा था और अपराधों की उच्च दर के लिए कुख्यात था,”.
महिलाओं को लगता है कि वे ज्यादा सुरक्षित हैं. उदाहरण के लिए, पहले की तुलना में अब दूर-दराज के गांवों से ज्यादा लड़कियां यूनिवर्सिटी में पढ़ने आ रही हैं
– पवन कुमार शर्मा, राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ
हालांकि चुनावों के दौरान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विवादास्पद सवाल हिंदुओं और मुसलमानों के बीच संबंधों को लेकर है, जो 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए दंगों से काफी प्रभावित हुआ था. हालांकि चौधरी अजित सिंह और फिर उनके बेटे जयंत चौधरी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) ने वर्षों से बिगड़े हिंदू-मुस्लिम संबंधों को सामान्य बनाने में अपनी भूमिका निभाई, लेकिन इस बार पार्टी के भाजपा से हाथ मिलाने के फैसले ने मुसलमानों को दोराहे पर खड़ा कर दिया है.
दलित और ओबीसी एक साथ
न केवल मुसलमान बल्कि दलित भी अब आदित्यनाथ सरकार में सुरक्षित महसूस करते हैं. पश्चिमी यूपी में दलित आबादी काफी है और उन्हें लुभाने के लिए बीजेपी अपनी कल्याणकारी योजनाओं और सामाजिक सुरक्षा इनीशिएटिव पर भरोसा कर रही है.
चालीस साल के सुभाष सैनी नगीना के शेरकोट बाजार में चाय की दुकान चलाते हैं. शेरकोट एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र है, और सैनी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय से हैं. उन्होंने अपने ग्राहकों को चाय देते हुए कहा, “कुछ साल पहले तक, इस बाज़ार में नियमित रूप से लड़ाई-झगड़े होते रहते थे, लेकिन अब ऐसी घटनाएं बहुत मुश्किल से ही देखने को मिलती हैं. हिंदू होने के नाते हम अब अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं.’ हमारी सुरक्षा हमारे लिए एक बड़ा मुद्दा है,”
दलित समुदाय से आने वाले भीम सिंह सैनी से सहमत हैं. “मायावती के शासनकाल में भी सुरक्षा मजबूत थी, लेकिन समाजवादी पार्टी के शासनकाल में सुरक्षा व्यवस्था ख़राब होने लगी. लेकिन योगी सरकार में इसमें फिर से सुधार हुआ है. साथ ही, हमें राशन और कई अन्य योजनाओं का लाभ भी मिलता है.”
उत्तम कुमार ने कहा कि हाल के वर्षों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में व्यापक बुनियादी ढांचे का विकास हुआ है. कई जगहों पर हाईवे बन रहे हैं और कनेक्टिविटी में सुधार हो रहा है. बेहतर कनेक्टिविटी से अपराध को कम करने में भी मदद मिलती है.
निवासी अनिल प्रधान ने कहा, “कैराना के गुर्जर बहुल बस्ती टोली गांव के निवासियों का कहना है कि सपा की लोकसभा उम्मीदवार इकरा हसन लोकप्रिय और विचारशील शख्सियत हैं, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि जिस पार्टी से वह चुनाव लड़ रही हैं, उस सपा के शासनकाल के दौरान सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति काफी खराब थी. वोट करते वक्त हमारे दिमाग में सिर्फ योगी-मोदी ही रहेंगे. गांव में हर पार्टी का स्वागत है लेकिन हम भाजपा सरकार में सुरक्षित महसूस करते हैं.”
“हमारी बहन-बेटियां अब पहले से अधिक सुरक्षित हैं. हमें और क्या चाहिए? हम पहले भी पैसा कमाते थे और अब भी कमा रहे हैं, लेकिन इस सरकार ने हमें सुरक्षित जीवन दिया है.”
(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
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