कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता मुकुल रॉय सोमवार शाम अपने कोलकाता कार्यालय से निकलने के बाद अचानक ‘गायब’ हो गए, लेकिन उसके कुछ घंटे बाद ही दिल्ली हवाई अड्डे पर दिखाई देने से पश्चिम बंगाल की राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई.
मामले में सस्पेंस तब बढ़ गया जब भाजपा के राष्ट्रीय सचिव अनुपम हाजरा ने बंगाली में एक शब्द का एक ट्वीट किया जिसका अनुवाद ‘वापसी’ है.
पूर्व विधायक सुब्रांशु रॉय और उनके बेटे सोमवार रात गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराने के लिए एयरपोर्ट थाने पहुंचे. जिसके कुछ देर बाद ही, सुब्रांशु ने दावा किया कि उन्हें मीडिया से पता चला कि उनके पिता नई दिल्ली जा रहे थे.
दिल्ली हवाई अड्डे से एक सहायक के साथ एक छोटा सा बैग लेकर निकलते हुए रॉय का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह कहते सुनाई दे रहे हैं कि “क्या मैं नई दिल्ली नहीं आ सकता? मैं सांसद था; मैं विधायक हूं. मैं अक्सर दिल्ली जाता हूं. अगर मैं यहां आया हूं, तो मैं स्वास्थ्य जांच भी करवाऊंगा.”
मंगलवार सुबह मीडिया को संबोधित करते हुए, सुब्रांशु ने दावा किया कि उनके पिता अस्वस्थ हैं और डिमेंशिया से पीड़ित हैं और वह खुद अपने पिता की अचानक दिल्ली यात्रा के बारे में जानने की कोशिश कर रहे है.
यह कहते हुए कि उनके पिता की मासिक आय बहुत कम थी, उन्होंने कहा “मेरे पिता की मार्च में ब्रेन सर्जरी हुई थी. उन्हें डिमेंशिया, डायबिटीज है. वह ठीक नहीं है. फिर उन्हें टिकट खरीदने और दिल्ली जाने के लिए पैसे कैसे मिले. कोलकाता पुलिस मेरी मदद कर रही है, लेकिन दिल्ली पुलिस सहयोग नहीं कर रही है. वे उन्हें उतार सकते थे और वापस भेज सकते थे.”
मार्च में ब्रेन सर्जरी के बाद रॉय सक्रिय राजनीति से दूर रहे हैं. 2017 में पतन से पहले टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी के करीबी सहयोगी माने जाने वाले पूर्व रेल मंत्री कभी तृणमूल में नंबर दो थे.
सुब्रांशु ने टीएमसी के लीडरशिप पर निशाना साधते हुए एक राजनीतिक साजिश का संकेत भी दिया. उन्होंने आरोप लगाया, “यह घटना का राजनीतिकरण करने और अभिषेक बनर्जी को बदनाम करने का एक प्रयास है, जो टीएमसी का नेतृत्व कर रहे हैं. मेरे पिता यह भी नहीं बता सकते कि देश भर में मौजूदा राजनीतिक अपडेट क्या हैं. कुछ पैसों का लेन-देन हुआ है और मेरे परिवार को निशाना बनाने की कोशिश की गई है.”
उनका फोन स्विच ऑफ हैं. सुब्रांशु ने दावा किया कि वह अपने पिता से संपर्क नहीं कर पा रहे है.
टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने चुटकी लेते हुए कहा, “…वह क्या कहते हैं, उनकी स्वास्थ्य स्थिति, क्या उन्हें कुछ याद है, या कुछ भूल गए हैं… (सभी) इस पर टिप्पणी करना मेरे लिए बहुत मुश्किल है.” घोष ने कहा कि एक प्रवक्ता के रूप में मेरे लिए यह टिप्पणी करना संभव नहीं है कि वह किसी अन्य पार्टी में शामिल हो रहे हैं या अस्वस्थ हैं.
जबकि रॉय 2017 में पार्टी नेतृत्व के साथ मतभेद के बाद भाजपा में शामिल हो गए थे, पिता-पुत्र की जोड़ी 11 जून 2021 के बंगाल चुनाव के बाद टीएमसी में लौट आए थे. उसके बाद उन्हें लोक लेखा समिति (पीएसी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, भले ही वह कागज पर कृष्णानगर उत्तर से भाजपा विधायक बने रहे.
जून 2022 में, उन्होंने पीएसी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया क्योंकि भाजपा ने उन्हें घेरना शुरू कर दिया था. टीएमसी में वापस शामिल होने के बाद रॉय किसी भी जनसभा में या फिर राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाते हुए नहीं दिखे.
भाजपा उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने दिप्रिंट को बताया, “वह लंबे समय से गायब है. क्या आपने उन्हें कहीं देखा है? वह एक लंबी राजनीतिक शख्सियत और मौजूदा विधायक हैं, लेकिन उनके बारे में कोई खबर नहीं है. वह अब राजनीति से खो से गए है और किसी को उनकी परवाह नहीं है. मैं उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं.”
भाजपा में, रॉय के साथ तत्कालीन बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय को भाजपा को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी गई थी. टीएमसी के साथ रॉय की कटुता को भाजपा के लिए एक लाभ के रूप में देखा गया जो ममता की पार्टी के खिलाफ जी जान से लड़ रहे थे.
(संपादन- अलमिना खातून)
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