scorecardresearch
Sunday, 22 December, 2024
होमराजनीतिMP BJP 'विवादास्पद टिप्पणी' करने वाले नेताओं को नहीं बख्शेगी, टेक्नोलॉजी की मदद लेने की तैयारी

MP BJP ‘विवादास्पद टिप्पणी’ करने वाले नेताओं को नहीं बख्शेगी, टेक्नोलॉजी की मदद लेने की तैयारी

एमपी बीजेपी इकाई ने पार्टी नेताओं द्वारा की गई सभी टिप्पणियों पर नज़र रखने के साथ-साथ उनके प्रदर्शन का आकलन करने के लिए एक 'ऐप जैसी प्रणाली' शुरू करने की योजना बनाई है.

Text Size:

नई दिल्ली: भाजपा की मध्य प्रदेश इकाई में आने वाले कुछ महीनों में बड़े बदलाव होने के आसार नजर आ रहे हैं.

दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक, अपने नेताओं और पदाधिकारियों की तरफ से पार्टी और उनके सहयोगियों के बारे में ‘गैर-जिम्मेदाराना बयान’ दिए जाने से परेशान राज्य इकाई ने ऐसे नेताओं पर लगाम कसने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने की पूरी तरह तैयारी कर ली है.

सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि नेताओं और पदाधिकारियों की परफॉर्मेंस का आकलन करने की पार्टी एक नई प्रणाली भी लागू करने जा रही है क्योंकि उसे अक्सर कई लोगों से इसकी बहुत शिकायत मिलती रहती हैं कि उन्हें ‘महत्वपूर्ण कार्य’ नहीं दिए जाते.

एक वरिष्ठ भाजपा नेता के मुताबिक, राज्य इकाई एक टीम गठित करने की योजना बना रही है जो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके पार्टी नेताओं और पदाधिकारियों पर नजर रखेगी ताकि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहे.

वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘इस केंद्रीकृत प्रणाली से रीयल टाइम के आधार पर मुख्यालय को पार्टी नेताओं की तरफ से की गई किसी भी प्रतिकूल टिप्पणी की रिपोर्ट मिल जाएगी. हम एप जैसा एक सिस्टम लागू करने पर विचार कर रहे हैं जो विभिन्न माध्यमों से ऐसी टिप्पणियों और बयानों पर नजर रखेगी और पदाधिकारी को तुरंत स्पष्टीकरण के लिए तलब किया जाएगा.

नेता ने कहा, ‘कई बार पार्टी पदाधिकारियों का कहना होता है कि उनकी टिप्पणियों को तोड़मरोड़ कर पेश किया गया है या फिर उन्हें संदर्भ से इतर उद्धृत किया गया है, इसलिए इससे उन्हें अपनी स्थिति स्पष्ट करने का मौका मिलेगा और वह भी तत्काल.’

पार्टी के एक दूसरे वरिष्ठ नेता ने कहा, विचार ये है कि राज्य स्तर पर निगरानी सुनिश्चित की जाए ताकि पार्टी के सदस्य ‘विवादास्पद’ टिप्पणी करने से पहले दो बार जरूर सोचें.

उक्त नेता ने कहा, ‘इससे अधिक जवाबदेही सुनिश्चित होगी और हमें भी नियमित अपडेट मिलता रहेगा. अभी, हमें जब भी किसी नेता की तरफ से की गई टिप्पणियों के बारे में कुछ पता चलता है तो उस पर उचित कार्रवाई की जाती है, लेकिन कई बार हमें इस बारे में कुछ पता ही नहीं चल पाता क्योंकि कोई केंद्रीकृत व्यवस्था नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘इससे कुछ पदाधिकारियों को भी बढ़ावा भी मिलता है क्योंकि उन्हें लगता है कि कोई उन पर नजर नहीं रखे हुए हैं. कई लोग पार्टी विरोधी टिप्पणी भी करते हैं.’


यह भी पढ़ें: अफगानिस्तान के विकास के लिए भारत सराहनीय लेकिन सेना भेजी तो अच्छा नहीं होगा-तालिबान


विवादास्पद टिप्पणियों की भरमार

दूसरी कोविड-19 लहर के दौरान विधायकों समेत पार्टी के तमाम पदाधिकारियों ने इससे निपटने के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के तरीके को लेकर चिंताएं जतानी शुरू कर दी थीं, जिसने सरकार को असहज स्थिति में ला दिया था.

मुख्यमंत्री पर सवाल उठाने वालों में मैहर (सतना) के विधायक नारायण त्रिपाठी और भोजपुर के सुरेंद्र पटवा शामिल थे. त्रिपाठी ने तब स्थिति की समीक्षा के लिए सरकार की तरफ से आयोजित ‘वर्चुअल बैठकों’ की आलोचना करते हुए कहा था कि वे सिर्फ ‘तमाशा’ हैं और कोई अन्य उद्देश्य नहीं है.

फिर, जून में जबलपुर के पाटन के पार्टी विधायक अजय विश्नोई ने सांसद मेनका गांधी को तीन पशु चिकित्सकों को ‘अपमानजनक फोन कॉल’ किए जाने को लेकर काफी खरी-खोटी सुनाई थी.

उन्होंने ट्वीट किया कि मेनका गांधी एक ‘घटिया महिला’ हैं और उन्हें ‘शर्म आती है कि वह पार्टी की सांसद हैं.’

इस महीने की शुरुआत में नरसिंहपुर से भाजपा विधायक और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल के भाई जालम सिंह पटेल ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि सभी पार्टियां शराब के धंधे से जुड़ी हैं. उन्होंने कहा था, ‘भाजपा भी इस धंधे से अछूती नहीं है. कार्रवाई तो की गई है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है.

ऊपर उद्धृत दूसरे भाजपा नेता ने कहा कि नए उपाय केवल विवादास्पद टिप्पणियों पर नजर रखने के लिए नहीं हैं.

उन्होंने कहा, ‘देखिए, पिछले कुछ सालों में राज्य इकाई का काफी विस्तार हुआ है और ऐसे में नए सिस्टम लागू करने की आवश्यकता है. हमने जो उपाय सोचे हैं, वे जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच अधिक जवाबदेही सुनिश्चित करेंगे.’

उन्होंने कहा, ‘इसके साथ ही हम पदाधिकारियों की परफॉर्मेंस को आंकने के नए टूल भी लाएंगे, जो अधिक पारदर्शी हो क्योंकि कई लोगों को यह शिकायत रहती है कि उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां नहीं दी गई हैं. उन्हें स्पष्ट रूप से बताया जाएगा कि उनके कामकाज को किस आधार पर मापा गया और कुछ जिम्मेदारियां उन्हें क्यों नहीं दी गईं, दूसरों को क्यों दी गईं. इससे बेहतर योजना बनाने और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में भी मदद मिलेगी.’

सूत्रों के मुताबिक नई व्यवस्था के तहत इस पूरी कवायद में मध्य प्रदेश के जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं से लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं तक को शामिल किया जाएगा.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: एक नए शोध पत्र ने दिया तर्क- हिंदू दक्षिणपंथियों के लिए चुनावी सफलता को और पक्का करने का तरीका विजिलेंटिज्म


 

share & View comments