नई दिल्ली: ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ के मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सर्वदलीय बैठक समाप्त हो चुकी है. हालांकि इस बैठक का मायावती, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस सहित कई पार्टियों ने सिरे से बहिष्कार किया वहीं नीतीश कुमार, फारूक अब्दुल्ला, नवीन पटनायक, सीपीआईएम, महबूबा मुफ्ती सहित कई पार्टियों के नेता इसमें शामिल होने पहुंचे.
बैठक के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि इस बैठक में अधिकतर राजनीतिक पार्टियों ने एक राष्ट्र-एक चुनाव का समर्थन किया है. वहीं सीपीआई और सीपी एम ने अपने विचार प्रस्तुत किए जो अलग थे लेकिन उन्होंने भी इस सोंच का विरोध नहीं किया है. बता दें की मीटिंग के दौरान पार्टी नेताओं को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इस मसले पर एक कमिटी बनाई जाएगी, जो इसके सभी पक्षों पर विचार करके अपनी रिपोर्ट देगी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मीडिया से बातचीत में बताया कि बैठक के लिए 40 राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को आमंत्रित किया गया था लेकिन 24 पार्टियों के प्रतिनिधि ने इसमें भाग लिया.
Defence Minister Rajnath Singh after conclusion of the meeting of Presidents of all parties called by PM Modi: We had invited 40 political parties, out of which Presidents of 21 parties participated and 3 other parties sent their opinion on the subjects in writing. pic.twitter.com/FgsjkEQotg
— ANI (@ANI) June 19, 2019
सीपीआईएम ने कहा एंटी फेडरल और एंटी डेमोक्रेटिक
मीटिंग के बाद सीपीआई-एम के जनरल सेक्रेटरी सीताराम येचुरी ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन मौलिक रूप से एंटी फेडरल और एंटी डेमोक्रेटिक है और यह संससद के प्रजातांत्रिक सिस्टम को तोड़ने वाला है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की बुलाई बैठक में सीपीआईएम ने इसका विरोध करते हुए इसके तकनीक पर सवाल उठाए हैं.
कांग्रेस पार्टी से इतर मिलिंद देवड़ा ने किया समर्थन
बता दें कि इस पीएम की इस बैठक का कांग्रेस पार्टी ने बहिष्कार करते हुए कहा था कि सरकार संसद में इस पर बहस कराए. वहीं मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा ने पीएम मोदी के इस विजन की सराहना की. मिलिंद ने कहा कि भारत की 70 साल की चुनावी यात्रा ने हमें सिखाया है कि भारतीय मतदाता राज्य और केंद्रीय चुनावों में अंतर करना जानता है. उन्होंने आगे कहा कि हमारे लोकतंत्र की यही खूबसूरती है कि हम इस तरह का विचार कर सकते हैं.
किसने किया बैठक का बिहष्कार
बहुजन समाजवादी पार्टी की प्रमुख मायावती सहित, डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, टीआरएस अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव, कांग्रेस, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू इस बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया था.
मायावती ने ट्वीट कर पीएम पर निशाना साधा है और ईवीएम द्वारा कराई जा रहे चुनाव को संविधान और लोकतंत्र के लिए खतरा भी बताया हैय ममता ने ट्वीट में लिखा है, ‘बैलेट पेपर के बजाए ईवीएम के माध्यम से चुनाव की सरकारी जिद से देश के लोकतंत्र व संविधान को असली खतरे का सामना है. ईवीएम के प्रति जनता का विश्वास चिन्ताजनक स्तर तक घट गया है. ऐसे में इस घातक समस्या पर विचार करने हेतु अगर आज की बैठक बुलाई गई होती तो मैं अवश्य ही उसमें शामिल होती.’
केसीआर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा था, ‘वहां चर्चा करने के लिए क्या है? हम केवल केंद्र के साथ संवैधानिक संबंध बनाए रखेंगे. मैं अभी भी अपने संघीय मोर्चे को वापस ले रहा हूं. केंद्र से बात करने का कोई फायदा नहीं है. हमें राज्य के लिए भी रुपया नहीं मिला. मैंने पहले ही कहा है कि मोदी एक फांसीवादी सरकार चलाते हैं. यह एक तथ्य है.
वहीं बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने मंगलवार को संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी को पत्र लिखकर ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के मुद्दे पर चर्चा के लिए बुलाई गई बैठक में शामिल होने में असमर्थ बताया है.
उन्होंने पत्र में कहा था, ‘इतने कम समय में’ वन कंट्री एंड वन इलेक्शन’ जैसे संवेदनशील और गंभीर विषय पर प्रतिक्रिया देना उचित नहीं होगा.’
टीएमसी प्रमुख ने यह भी कहा था कि इस मामले को संवैधानिक विशेषज्ञों, चुनाव विशेषज्ञों और पार्टी के सभी सदस्यों के साथ परामर्श की आवश्यकता है. बनर्जी नीति अयोग बैठक से भी दूर रही हैं.