नई दिल्ली: एडप्पाडी के पलानीस्वामी (ईपीएस) और ओ पनीरसेल्वम (ओपीएस) के बीच विवाद खत्म होते नजर नहीं आ रहा है क्योंकि दोनों ने अब 11 जुलाई की आम परिषद की बैठक के बाद से एक-दूसरे के समर्थकों को ‘निष्कासित’ करने की होड़ शुरू कर दी है.
इसमें पलानीस्वामी को पार्टी के अंतरिम के रूप में चुना गया था. महासचिव ने पनीरसेल्वम को निष्कासित कर दिया जिन्होंने बदले में घोषणा की कि वह पूर्व को पार्टी से निकाल रहे हैं.
अन्नाद्रमुक का नियंत्रण अपने हाथ में लेने वाले पलानीस्वामी ने अब 21 पनीरसेल्वम के समर्थकों को पार्टी से निकाल दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री ने अब तक कथित ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ के लिए 39 पनीरसेल्वम समर्थकों को बर्खास्त कर दिया है क्योंकि पनीरसेल्वम को पार्टी कोर्डिनेटर के रूप में हटा दिया गया था और अन्नाद्रमुक से निकाल दिया गया था.
पूर्व मंत्री नटराजन, पूर्व विधायक सैयद खान, आर टी रामचंद्रन और सेल्वराज समेत ओपीएस के दो बेटों ओपी रविंद्रनाथ और वीपी जयप्रदीप को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है.
11 जुलाई को हुई अन्नाद्रमुक महापरिषद की अहम बैठक में कुल 16 प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें कोर्डिनेटर और जॉइंट कोर्डिनेटर के पदों को हटा कर पार्टी में दोहरे नेतृत्व वाले ढांचे को खत्म कर दिया गया. इस साल 14 जून को जिला सचिव की बैठक के बाद से पार्टी में एक नेतृत्व को लेकर कोहराम तेज हो गया है.
पनीरसेल्वम, जेसीडी प्रभाकर, वैथीलिंगम और मनोज पांडियन को बर्खास्त करने के लिए एक विशेष प्रस्ताव भी पारित किया गया. महासचिव का पद को रिवाइव किया गया है जिसके लिए पार्टी के प्राथमिक सदस्य चार महीने के भीतर होने वाले नए चुनावों में वोटिंग करेंगे.
हालांकि, पनीरसेल्वम ने भी प्रतिक्रिया देते हुए अब तक पलानीस्वामी, जयकुमार, उदयकुमार और मुनुसामी समेत पार्टी से 66 सदस्यों को बर्खास्त कर दिया है.
पनीरसेल्वम ने कहा, ‘मुझे निष्कासित करने का जनरल काउंसिल का फैसला मान्य नहीं है. हम कानूनी कार्रवाई करेंगे. उन्हें मुझे हटाने का अधिकार नहीं है.’
इससे पहले बुधवार को पलानीस्वामी के नेतृत्व वाली अन्नाद्रमुक ने केपी मुनुसामी और नाथम विश्वनाथन को उप महासचिव नियुक्त किया था. पार्टी ने पोन्नईयन को इंटरनेशनल एमजीआर फोरम का सचिव और एसपी वेलुमणि को मुख्यालय सचिव नियुक्त किया है.
इसके अलावा, सेलूर राजू, शनमुगम, धनपाल, राजेंद्र बालाजी, कदंबूर राजू और छह अन्य को पार्टी के लिए ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी के रूप में नियुक्त किया गया था.
यह भी पढ़ें: 1989 के अपहरण मामले में महबूबा मुफ्ती की बहन रुबैया सईद सीबीआई कोर्ट में पेश हुईं