नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए अपना सबसे लंबा स्वतंत्रता दिवस भाषण दिया. प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) द्वारा हिंदी में जारी किए गए उनके भाषण के आधिकारिक अंग्रेज़ी संस्करण से पता चलता है कि इसमें लगभग 10,866 शब्द थे — जिससे यह शब्दों की संख्या के मामले में पांच अंकों के निशान को पार करने वाला उनका पहला स्वतंत्रता दिवस संबोधन बन गया.
दिप्रिंट ने भाषा प्रसंस्करण सॉफ्टवेयर का उपयोग करके प्रधानमंत्री के पूर्व स्वतंत्रता दिवस भाषणों को स्कैन किया और पाया कि मंगलवार को दिया गया उनका भाषण अतीत में दिए गए भाषणों से थोड़ा अलग था.
सबसे बड़ा अंतर उनके राष्ट्र को संबोधित करने के तरीके में था.
2023 से पहले, ‘देशवासी’ शब्द औसतन सबसे अधिक बार उपयोग में लाया जाता था. दिप्रिंट की गणना के अनुसार, 2014 और 2022 के बीच दिए गए भाषणों में मोदी ने कुल 247 बार, यानी हर साल औसतन लगभग 27 बार ‘देशवासियों’ शब्द का इस्तेमाल किया. इस साल इसका इस्तेमाल 29 बार किया गया. हालांकि, प्रधानमंत्री ने इस वर्ष अपने भाषण में 54 बार “परिवारजन” — शब्द का इस्तेमाल किया.
उन्होंने कहा, “मेरे परिवारजनों, मैं आप में से आता हूं, मैं आपके बीच से निकला हूं, मैं आपके लिए जीता हूं. अगर मुझे सपना भी आता है, तो आपके लिए आता है. अगर मैं पसीना भी बहाता हूं तो आपके लिए बहाता हूं, क्योंकि इसलिए नहीं कि आपने मुझे दायित्व दिया है, मैं इसलिए कर रहा हूं कि आप मेरे परिवाजन हैं और आपके परिवार के सदस्य के नाते मैं आपके किसी दु:ख को देख नहीं सकता हूं, मैं आपके सपनों को चूर-चूर होते नहीं देख सकता हूं.”
इस बीच, ‘दुनिया’ शब्द का इस साल के भाषण में कुल 104 बार उल्लेख हुआ. उदाहरण के लिए, एक प्रयोग दुनिया में भारत की भूमिका और महत्व को रेखांकित करने के लिए था, जबकि अन्य में भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश, खेल की दुनिया और स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र की दुनिया आदि के संदर्भ में बताया गया था.
एक अन्य प्रयोग उनके भाषण के अंत में भारत को एक विकसित देश बनाने के संकल्प के दौरान हुआ.
मोदी ने कहा, “हमें पल-पल देश के लिए जीना है, इसी संकल्प के साथ इस अमृत काल में 140 करोड़ देशवासियों के सपने संकल्प भी बनाने हैं. 140 करोड़ देशवासियों के संकल्प को सिद्धि में भी परिवर्तित करना है और 2047 का जब तिरंगा झंडा फहरेगा, तब विश्व एक विकसित भारत का गुणगान करता होगा.”
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मोदी के भाषणों में ‘शिक्षा, गरीब’ का प्रदर्शन कैसा रहा?
दूसरी ओर, इस वर्ष प्रधानमंत्री के भाषण में ‘शिक्षा’ शब्द का एक भी उल्लेख नहीं मिला. इस शब्द का पिछले साल तीन बार 2021 में 14 बार और 2020 में छह बार उल्लेख किया गया था. केवल वर्ष 2015 और 2018 में मोदी के स्वतंत्रता दिवस भाषणों में ‘शिक्षा’ शब्द का स्पष्ट उल्लेख नहीं मिला, हालांकि, ‘शिक्षा’ शब्द का एक या दो संदर्भ थे — ‘शैक्षिक’ या ‘शिक्षाशास्त्री’.
‘गरीब’ शब्द, जिसका उल्लेख भारत द्वारा अधिक गरीबी को कम करने के कारण किया गया था, इस वर्ष के भाषण में लगभग नौ बार इस्तेमाल किया गया था.
पिछले वर्षों की तुलना में यह अपेक्षाकृत कम था. 2014 और 2018 के बीच दिए गए स्वतंत्रता दिवस के भाषणों में मोदी ने लगभग 106 बार ‘गरीब’ शब्द का इस्तेमाल किया — जो 2019 में फिर से चुने जाने के बाद से उनके 15 अगस्त के संबोधनों में घटकर 41 रह गया.
‘किसान’ शब्द का भी कम उल्लेख हुआ. 2014 और 2018 के बीच लगभग 59 बार और उसके बाद के पांच भाषणों में 33 बार इस्तेमाल किया गया, इस साल के भाषण में इसका केवल पांच बार उल्लेख हुआ.
साथ ही, ‘शक्ति’, ‘युवा’ और ‘प्रौद्योगिकी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल पहले की तुलना में उनके दूसरे कार्यकाल में अधिक बार किया गया.
2014 और 2018 के बीच, मोदी के स्वतंत्रता दिवस के भाषणों में ‘शक्ति’ शब्द का इस्तेमाल 37 बार किया गया था — 2019 और 2023 के बीच उनके भाषणों में यह बढ़कर 75 बार हो गया. मंगलवार को लाल किले से अपने संबोधन में, उन्होंने इस शब्द का 30 बार इस्तेमाल किया।
इस वर्ष ‘प्रौद्योगिकी’ शब्द का 11 बार उल्लेख हुआ — जो अब तक सबसे अधिक है, यह देखते हुए कि उनके पहले कार्यकाल के दौरान इसका उपयोग 16 बार और दूसरे के दौरान 29 बार किया गया था. इसी तरह, ‘युवा’ शब्द का इस्तेमाल मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान 46 बार और दूसरे के दौरान 57 बार किया गया था. 2019 और 2023 के बीच 57 उल्लेखों में से, इस वर्ष के भाषण में उनमें से लगभग 25 थे.
इसके अलावा, अगले साल आम चुनाव से पहले अपने आखिरी स्वतंत्रता दिवस भाषण में प्रधानमंत्री ने ‘भाई-भतीजावाद’ शब्द का तीन बार, ‘तुष्टिकरण’ शब्द का नौ बार और ‘भ्रष्टाचार’ शब्द का 12 बार इस्तेमाल किया.
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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