नई दिल्ली: बीजेपी की अगुवाई वाली नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार को वाहवाही मिली है क्योंकि इसी महीने सरकार अपनी सत्ता के चार साल पूरे होने का जश्न मनाने को तैयार है और इसके साथ ही वह चुनाव वर्ष में भी प्रवेश कर रही है।
लोकल सर्किल्स द्वारा किए गए एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में, 57 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा है कि एनडीए सरकार ने या तो उनकी अपेक्षाओं को पूरा कियाहै या फिर उससे भी अधिक कार्य किया है।
हालांकि, इसका अर्थ यह भी है कि अन्य 43 प्रतिशत लोग सरकार से असंतुष्ट हैं, जो आंकड़ा पिछले कुछ वर्षों में बढ़ा है। वर्ष 2016 और 2017 में यही आंकड़े क्रमश: 36 प्रतिशत और 39 प्रतिशत थे।
जिन लोगों को लगता है कि सरकार ने उनकी उम्मीदों से भी अधिक किया है, उन उत्तरदाताओं का प्रतिशत 17 से बढ़कर 28 हो गया है, जबकि ऐसे लोगों की संख्या 44 प्रतिशत से घटकर 29 प्रतिशत हो गई है जिनको लगता है कि सरकार ने उनकी उम्मीदों को जैसे तैसे पूरा किया है ।
मोदी द्वारा किए गए महत्वाकांक्षी वादों के बल पर 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने अकेले ही 282 सीटें जीती थीं।
नमूने का आकार
लोकल सर्किल्स 2013 में लॉन्च किया गया एक सोशल मीडिया मंच है,जहां एक क्षेत्र के नागरिक प्रशासन के मुद्दों को लेकर एक मत में आवाज़ उठा सकते हैं और साझा हितों के साथ-साथ सार्वजनिक मामलों को भी प्रशासन के सामने उठा सकते हैं।
लोकल सर्किल्स का सदस्य बनने के लिए इस मंच के उपयोगकर्ताओं को साइन अप करना होता है और उनके असली नामों के साथ बातचीत करनी होती है। इसी के साथ अपने स्थानीय क्षेत्र (लोकल सर्किल) का भी सदस्य बनना होता है।
नवीनतम ऑनलाइन सर्वेक्षण 23 विभिन्न क्षेत्रों या मानकों के अंतर्गत सरकार के प्रदर्शन की एक तस्वीर प्रदान करता है। सोशल मीडिया मंच ने बताया, “ये मानक सरकार द्वारा अपने घोषणापत्र में किए गये वादों या लोकल सर्किल्समंच पर नागरिकों द्वारा बताए गए मुद्दों पर आधारित हैं।”
“इस वर्ष के सर्वेक्षण में भारत के 250 जिलों में लगभग 62,000 नागरिकों से 1,75,000 से अधिक वोट प्राप्त हुए हैं और यह अपनी तरह का सबसे बड़ा अभ्यास है, जहां नागरिक सरकारी प्रदर्शन का आकलन करते हैं।”
मापदण्ड
बीजेपी सरकार की नवंबर 2016 में 500 रुपये और 1,000 रुपये के मुद्रा नोटों को बंद करने(विमुद्रीकरण) और फिर जुलाई 2017 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने के कारण होने वाली कठिनाई और आर्थिक संकट के लिए कड़ी आलोचना हुई है।अर्थव्यवस्था के विकास में मंदी और नौकरी पैदा करने की प्रक्रिया को एक समस्या के रूप में बार-बार उल्लेखित किया जाता रहा है।
फिर भी, 56 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि “सरकार चुनाव से पूर्वघोषणापत्र में किए गए वादों को पूरा करने की राह पर है”, जो पिछले साल के सर्वेक्षण में 59 प्रतिशत के मुकाबले थोड़ा कम है। बीजेपी द्वारा किए गए बड़े-बड़े वादों को देखते हुए, इस मानक पर प्राप्त 56 प्रतिशत सकारात्मक आंकड़ा उसके लिए बहुत निराशाजनक नहीं है।
कुछ अन्य प्रमुख मानकों के अंतर्गतमोदी सरकार के लिए मिलीजुली प्रतिक्रिया है। लगभग 32 प्रतिशत नागरिकों का मानना है कि पिछले चार सालों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध कम हो गया है, जबकि 58 प्रतिशत लोगों को लगता है कि ऐसा नहीं है (अन्य 10 प्रतिशत ने जवाब दिया,’कुछ कह नहीं सकते’)।
सर्वेक्षण में भाग लेने वाले लोगों में से लगभग 60 प्रतिशत ने बताया कि आवश्यक वस्तुओं की कीमतों और जीवन यापन की लागत में कमी नहीं आई है।
केवल 35 प्रतिशत लोगो का मानना है कि पिछले चार वर्षों में बेरोजगारी की दर में कमी आई है, जबकि 54 प्रतिशत लोगो कहते हैं कि ऐसा नहीं है।
इस सरकार की एक प्रमुख पहल- स्वच्छ भारत अभियान – की लोकप्रियता बढ़ रही है। पिछले साल, 35 प्रतिशत लोगो ने कहा था कि स्वच्छ भारत अभियान के कारण वे अपने शहर को स्वच्छ पाते हैं, इस साल, यह आंकड़ा बढ़कर 43 प्रतिशत तक हो गया है।
मोदी ने कांग्रेस पर अत्यधिक भ्रष्ट होने का आरोप लगाते हुए भ्रष्टाचार -विरोधी मंच पर 2014 का चुनाव लड़ा, और राज्य चुनावों में भी ऐसा करना जारी रखा|हालांकि, सार्वजनिक धारणा के अनुसार दिए गए आंकड़े काफी बराबरी पे हैं- 49 प्रतिशत लोगों का मानना है कि भ्रष्टाचार कम हो गया है जबकि 44 प्रतिशत लोग कहते हैं कि ऐसा नहीं है।
मोदी की विदेश नीति के तहत ऐसा लगता है कि पाकिस्तान के खिलाफ 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक और चीन के साथ डोकलाम विवाद के निपटारे को ले कर बीजेपी सरकार ने प्रसंशा हासिल की है।
अंतर्राष्ट्रीय परिद्रश्य पर भारत की छवि और उसके प्रभाव में वृद्धि को ले कर उठे सवाल पर82 प्रतिशत लोगो ने इसके पक्ष में सकारात्मक जवाब दिये जबकि 13 प्रतिशत ने इस पर महानी जताई।पिछले चार सालों में पाकिस्तान के साथ सीमा को ले कर होने वाले विवादों और पकिस्तान के साथ संबंधों पर सरकार के संचालन पर 74 प्रतिशत लोगों ने महसूस किया कि चीजों में सुधार हुआ है, जबकि 24 प्रतिशत लोगो ने इसे नकार दिया।
2016 में सरकार की पाकिस्तान पर नीति को ले कर समर्थित रेटिंग सिर्फ 34 प्रतिशत थी जो कि अब बढकर 64 तक हो गई है, यह सर्जिकल स्ट्राइक का नतीजा हो सकता है। जब पुछा गया कि पिछले चार वर्षों में आतंकी गतिविधियों में कमी आई है, तो 61 प्रतिशत नागरिकों ने हाँ कहा, जबकि 35 प्रतिशत ने नहीं में उत्तर दिया।
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