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Thursday, 25 April, 2024
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महबूबा ने कहा- ‘जब तक जम्मू और कश्मीर में आर्टिकल 370 बहाल नहीं होगा, मैं चुनाव नहीं लडूंगी’

मंगलवार को इंडियन वीमेन प्रेस कॉर्प्स के एक कार्यक्रम के दौरान केंद्र सरकार पर हमला करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया.

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नई दिल्ली: मंगलवार को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर से जम्मू और कश्मीर में  आर्टिकल 370 बहाल करने की मांग की. उन्होंने कहा,’जब तक जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 बहाल नहीं किया जाता  है तब तक मैं वहां से चुनाव नहीं लडूंगी.’

मंगलवार को इंडियन वीमेन प्रेस कॉर्प्स के एक कार्यक्रम के दौरान केंद्र सरकार पर हमला करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया.

महबूबा ने कहा कि ‘मुझे अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ एक क्रिकेट मैच याद है जिसमें पाकिस्तान के नागरिक भारत को और भारत पाकिस्तान को प्रोत्साहत कर रहा था. पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने भी भारतीय कप्तान एमएस धोनी की सराहना की थी.’

उन्होंने आगे कहा कि ‘कुछ दिन पहले आगरा में जब कुछ नौजवानों ने भारत के साथ मैच के दौरान पाकिस्तान क्रिकट टीम को चीयर किया तो एक भी वकील उनका केस लड़ने के लिए तैयार नहीं हुआ तब लगा कि गांधी का भारत गोडसे का बनता जा रहा है.’

बता दें कि पिछले कुछ दिनों से महबूबा मुफ्ती दिल्ली में हैं और लगातार केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर है.

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इससे पहले सोमवार को महबूबा ने जंतर मंतर पर धरना दिया और मांग की कि केंद्र शासित प्रदेश में लोगों को कथित रूप से दबाना और बेगुनाह नागरिकों की हत्या फौरन बंद की जाए.

महबूबा ने कहा कि उन्होंने दिल्ली में धरना देने का फैसला इसलिए किया क्योंकि उन्हें कभी भी कश्मीर में अपना विरोध दर्ज कराने की अनुमति नहीं दी गई. उन्होंने कहा कि वह जब भी विरोध प्रदर्शन करना चाहती थीं या तो उन्हें घर में नज़रबंद कर दिया जाता था या पुलिस उन्हें ले जाती थी.

इससे पहले शनिवार को महबूबा मुफ्ती ने एक कार्यक्रम के दौरन आरोप लगाया था कि केंद्र ने जम्मू कश्मीर को ‘शांतिपूर्ण’ दिखाया है जबकि असलियत यह है कि सड़कों पर खून बहाया जा रहा है और अपने विचार रखने के लिए लोगों पर आतंकवाद रोधी कानून थोपे जा रहे हैं.

उन्होंने आगे कहा था कि ‘नया कश्मीर’ भूल जाइए और ‘नया हिंदुस्तान’ के बारे में बात करिए. नए हिंदुस्तान में, संविधान के बारे में बात करने वाले हर व्यक्ति को ‘टुकड़े टुकड़े गिरोह’ का तमगा दिया जाता है. अल्पसंख्यकों, चाहे वे सड़क किनारे का विक्रेता हो या कोई फिल्म स्टार उसे सामाजिक और आर्थिक रूप से बहिष्कृत कर दिया जाता है. कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे किसानों को खालिस्तानी कहा जाता है और उन पर यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है.’


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