नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता इल्तिजा मुफ्ती बिजबेहरा विधानसभा सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता बशीर वीरी से 9,770 वोटों से हार गई हैं.
इल्तिजा ने अपने पारिवारिक गढ़ श्रीगुफवारा-बिजबेहरा से हार स्वीकार कर ली है.
एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, “मैं लोगों के फैसले को स्वीकार करती हूं.”
I accept the verdict of the people. The love & affection I received from everyone in Bijbehara will always stay with me. Gratitude to my PDP workers who worked so hard throughout this campaign 💚
— Iltija Mufti (@IltijaMufti_) October 8, 2024
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा ने एक दशक में क्षेत्र में हुए पहले विधानसभा चुनावों में अपने पारिवारिक गढ़ बिजबेहरा से चुनावी शुरुआत की. बिजबेहरा को पीडीपी का गढ़ माना जाता है क्योंकि पार्टी ने 1996 के बाद से यहां कभी चुनाव नहीं हारा है.
वीरी 19,332 वोटों से आगे चल रहे हैं. इस सीट पर पीडीपी ने जीत के लिए हर संभव प्रयास किया, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में एनसी ने यहां पर लगातार बढ़त हासिल की है.
यह चुनाव मुफ्ती परिवार के प्रभाव की परीक्षा है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में अनंतनाग-राजौरी से महबूबा की हार हुई थी, हालांकि पीडीपी ने बिजबेहरा विधानसभा क्षेत्र में 20,792 वोट प्राप्त करके बढ़त बनाए रखी थी, जबकि एनसी को 17,698 वोट मिले थे.
इल्तिजा की मां और दादा मुफ़्ती मोहम्मद सईद दोनों ने ही बिजबेहरा सीट से चुनाव लड़ा था. सईद ने 1962 में दक्षिण कश्मीर की इस सीट से चुनाव जीता था, जबकि महबूबा ने 1996 में यह सीट जीती थी.
हालांकि, महबूबा ने विधानसभा चुनाव न लड़ने का फैसला किया और कहा कि जब तक जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा और उसका विशेष दर्जा बहाल नहीं हो जाता, तब तक वह चुनाव नहीं लड़ेंगी.
जम्मू-कश्मीर में 18 सितंबर से तीन चरणों में 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए मतदान हुआ और मंगलवार को नतीजे घोषित किए जाएंगे.
पांच साल पहले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने और क्षेत्र का “विशेष दर्जा” खत्म किए जाने के बाद ये पहला विधानसभा चुनाव हैं. 2019 में, केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया, जिसने क्षेत्र को महत्वपूर्ण स्वायत्तता दी थी, और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया.
अपने घोषणापत्र में पीडीपी ने अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली का वादा किया था, जो जम्मू और कश्मीर के स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार प्रदान करता है.
पीडीपी की स्थापना 1999 में एक मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टी के रूप में हुई थी और पिछले कुछ वर्षों में यह कश्मीर में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन गई, लेकिन हाल के वर्षों में इसकी किस्मत थोड़ी खराब चल रही है.
इंडिया ब्लॉक का हिस्सा होने के बावजूद पीडीपी ने अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ा. कांग्रेस पार्टी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा. विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले इल्तिजा को पिछले साल अपनी मां की मीडिया सलाहकार नियुक्त किया गया था. वह 2019 से अपनी मां के सोशल मीडिया हैंडल की प्रभारी हैं, जिस वक्त महबूबा समेत कई क्षेत्रीय हिरासत में थे.
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