बेंगलुरू : यदि कभी कोई विधायक अस्थिर निर्णय के दाएँ बाएँ डोलते राजनीति की घड़ी के पेंडुलम की भांति अस्थिर स्वभाव का उत्तम उदाहरण देता है तो यह कर्नाटक प्रग्न्यावंथा जनता पार्टी (केपीजेपी) के आर. शंकर होंगे।
कर्नाटक चुनाव परिणाम के दिन 15 मई को, अप्रसिद्ध दलों के मात्र तीन विजेताओं में से एक, शंकर ने कांग्रेस-जेडी(एस) को समर्थन दिया।
लेकिन ठीक अगले ही दिन, वह वरिष्ठ भाजपा नेता के.एस. ईश्वरप्पा के साथ एक बैठक में पाए गए, जिन्हें वह अपना गुरु मानते हैं। उन्होंने बी.एस.येदियुरप्पा को विधायक दल का नेता चुनने के लिए भाजपा की बैठक में भी हिस्सा लिया और वह भाजपा के उस प्रतिनिधिमंडल का भी हिस्सा थे जो सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राज्यपाल से मिलने गया था।
कुछ घंटों और कुछ फ़ोन कॉल्स के बाद, वह अपना पाला फिर से बदल लिए। वृहस्पतिवार की सुबह तक शंकर येदियुरप्पा को शपथ ग्रहण की अनुमति देने के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ कांग्रेस विधायकों के साथ विधान सुधा के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे।
वह अब हैदराबाद के एक होटल में कांग्रेस के विधायकों के साथ नज़रबंद हैं, जहाँ उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए रखा गया है कि वे भाजपा की सौदेबाजी से बचे रहें।
असाधारण क्षमता
उनके लगातार यू-टर्न के वजह से सुर्खियां बटोरने से पहले, शंकर इन कर्नाटक चुनावों में सबसे बड़े उलटफेरों में से एक का कारण बने क्योंकि उन्होंने निवर्तमान सभापति, कांग्रेस के के.बी. कोलीवाड़ को रानीबेन्नूर निर्वाचन क्षेत्र से 4338 मतों से हरा दिया। हार से तिलमलाये कोलीवाड़ ने पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर यह दोषारोपण करते हुए हमला किया कि उन्हीं ने उनको हरवाया है।
एक रियल एस्टेट डेवलपर, शंकर के पास इस चुनाव में विवादों का उचित हिस्सा रहा है। उन पर रानीबेन्नूर में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए साड़ियां वितरित करने का आरोप था।
17 साल का कैरियर
2001 में शंकर ने सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया जब वह तत्कालीन बैंगलोर महानगर पालिके के डिप्टी मेयर के रूप में चुने गए। हालांकि उस समय एक राजनीतिक नौसिखिया के रूप में वह अपने तेज राजनीतिक कौशल और रणनीति के लिए जाने जाते थे।
बेंगलुरु में प्रगति पाने में असमर्थ, वह 2013 में अपने राजनीतिक भाग्य का परीक्षण करने के लिए रानीबेन्नूर चले गए। के.एस. ईश्वरप्पा से उनकी निकटता के कारण वह भाजपा में शामिल हो रहे थे लेकिन जल्द ही चतुर रणनीतिकार और पार्टी के वरिष्ठ नेता डी.के. शिवकुमार द्वारा वह कांग्रेस में शामिल होने के लिए तैयार कर लिए गये।
जैसे ही वह कांग्रेस कार्यालय में पहुंचे, उन्होंने मीडिया से कहा, “मैं बीजेपी के साथ नहीं हूं, मैं केवल कांग्रेस को ही समर्थन दूंगा।”
Read in English: In a fractious hung assembly, meet Karnataka’s ‘revolving’ MLA-elect Shankar