नई दिल्ली: रामचरितमानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा की गयी टिप्पणी आये दिन राजनीति में चर्चा का विषय बनी हुई है. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने शुक्रवार को इसी विषय में समाजवादी पार्टी (सपा) पर निशाना साधते हुए कहा, देश में कमजोर एवं उपेक्षित वर्गों का ग्रंथ ‘रामचरितमानस या मनुस्मृति’ नहीं बल्कि ‘भारतीय संविधान’ है.
मायावती ने ट्वीट किया, ‘संविधान में बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने इन वंचित तबकों को ‘शूद्र’ नहीं बल्कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की संज्ञा दी है और सपा इन्हें ‘शूद्र’ कहकर उनका अपमान नहीं करे और न संविधान की अवहेलना करे.’
1. देश में कमजोर व उपेक्षित वर्गों का रामचरितमानस व मनुस्मृति आदि ग्रंथ नहीं बल्कि भारतीय संविधान है जिसमें बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने इनको शूद्रों की नहीं बल्कि एससी, एसटी व ओबीसी की संज्ञा दी है। अतः इन्हें शूद्र कहकर सपा इनका अपमान न करे तथा न ही संविधान की अवहेलना करे।
— Mayawati (@Mayawati) February 3, 2023
बता दें कि सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने गुरुवार को कहा था कि धर्म की आड़ में की जाने वाली अपमानजनक टिप्पणियों का दर्द केवल महिलाएं और ‘शूद्र’ ही समझ सकते हैं.
मायावती ने आगे कहा, ‘इतना ही नहीं, देश के अन्य राज्यों की तरह उप्र में भी दलितों, आदिवासियों व ओबीसी समाज के शोषण, अन्याय, नाइन्साफी तथा इन वर्गों में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों आदि की उपेक्षा एवं तिरस्कार के मामले में कांग्रेस, भाजपा व समाजवादी पार्टी भी कोई किसी से कम नहीं.’
उन्होंने एक और ट्वीट करके कहा कि सपा नेता को मौर्य का साथ देने से पहले लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस के दो जून, 1995 की घटना को भी याद कर लेना चाहिए, जब मुख्यमंत्री बनने जा रही एक दलित की बेटी पर सपा सरकार ने जानलेवा हमला कराया गया था.
मायावती ने आगे कहा कि ‘वैसे भी यह जगज़ाहिर है कि देश में एससी, एसटी, ओबीसी, मुस्लिम एवं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों आदि के आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान की क़द्र बसपा में ही हमेशा से निहित और सुरक्षित है, जबकि बाकी पार्टियां इनके वोट के स्वार्थ की खातिर किस्म-किस्म की नाटकबाजी ही ज्यादा करती रहती हैं.’
4. वैसे भी यह जगज़ाहिर है कि देश में एससी, एसटी, ओबीसी, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों आदि के आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान की क़द्र बीएसपी में ही हमेशा से निहित व सुरक्षित है, जबकि बाकी पार्टियाँ इनके वोटों के स्वार्थ की खातिर किस्म-किस्म की नाटकबाजी ही ज्यादा करती रहती हैं।
— Mayawati (@Mayawati) February 3, 2023
श्रीरामचरितमानस पर टिप्पणी के कारण चर्चा में आये मौर्य ने गुरुवार को महात्मा गांधी के साथ हुए अपमान की तुलना महिलाओं और ‘शूद्र’ के दर्द के साथ किया.
समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने पिछले महीने कहा था कि रामचरितमानस में ‘शूद्रों’ को संदर्भित करने वाले कुछ छंदों को हटा दिया जाना चाहिए, तो भाजपा नेताओं ने उन्हें हिंदू पाठ का ‘अपमान’ करने के लिए लताड़ लगाई, और उनकी अपनी पार्टी ने भी उनकी टिप्पणियों से जल्दबाजी में खुद को दूर कर लिया था.
मौर्य ने ट्वीट किया कि ‘इंडियंस आर डॉग्स’ कहकर अंग्रेजों ने जो अपमान व बदसलूकी ट्रेन में गांधी जी से की थी, वह दर्द गांधी जी ने ही समझा था. उसी प्रकार धर्म की आड़ में जो अपमानजनक टिप्पणियां महिलाओं एवं शूद्र समाज के लिए की जाती हैं उसका दर्द भी महिलाएं और शूद्र समाज ही समझता है.’
हिंदू पाठ में छंद पर स्वामी प्रसाद मौर्य की विवादित टिप्पणी से सपा ने खुद को अलग कर लिया था. अब लगता है कि लोकसभा चुनावों पर नजर रखते हुए यह बहस धर्म से जाति की ओर जा रही है.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सपा इस विवाद को 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले निचली जाति के वोटों को मजबूत करने के एक अवसर के रूप में देख रही है, अब यह रुख बदलता दिख रहा है.
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