scorecardresearch
Friday, 3 May, 2024
होमराजनीतिमनीष तिवारी Vs हरिप्रसाद, सिंघवी, बघेल- कैसे CWC 50 फ़ीसदी आरक्षण सीमा हटाने पर बंट गया

मनीष तिवारी Vs हरिप्रसाद, सिंघवी, बघेल- कैसे CWC 50 फ़ीसदी आरक्षण सीमा हटाने पर बंट गया

वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी का कहना है कि ऐसी मांग लेकर अदालतों के पास जाना मुश्किल होगा. अन्य लोगों का तर्क है कि कोटा सीमा बढ़ाने की मांग को पहले डेटा की कमी के कारण खारिज कर दिया गया था.

Text Size:

नई दिल्ली: कांग्रेस ने सोमवार को राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना की अपनी मांग को बढ़ा दिया, लेकिन वरिष्ठ नेताओं ने आरक्षण पर एससी द्वारा अनिवार्य 50 प्रतिशत की सीमा में वृद्धि की मांग की व्यावहारिकता पर बहस की.

अपने ‘जितनी आबादी, उतना हक’ नारा पर, पार्टी ने अपने सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय की बैठक के बाद, ओबीसी, एससी और एसटी के आरक्षण पर उनकी “जनसंख्या में आनुपातिक हिस्सेदारी” के अनुरूप 50 प्रतिशत की सीमा को विधायी रूप से हटाने का वादा करते हुए एक प्रस्ताव को अपनाया. हालांकि, कांग्रेस वर्किंग कमिटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में वरिष्ठ नेताओं मनीष तिवारी, बी.के. हरिप्रसाद, भूपेश बघेल और अभिषेक मनु सिंघवी की मौजूदगी में बहस हुई.

दिप्रिंट को पता चला है कि तिवारी ने तर्क दिया कि आरक्षण सीमा में वृद्धि की मांग करना एक फिसलन भरा रास्ता हो सकता है क्योंकि अदालतों के सामने जाना मुश्किल होगा.

सीडब्ल्यूसी के एक सदस्य ने कहा, “मनीष तिवारी ने 50 प्रतिशत की सीमा बढ़ाने की मांग पर आपत्ति जताई क्योंकि उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसलों ने ऐसी मांग को खारिज कर दिया था.”

इस पर सीडब्ल्यूसी सदस्य ने कहा, कर्नाटक के वरिष्ठ नेता बी.के. हरिप्रसाद ने तर्क दिया कि अदालतों ने डेटा की कमी के कारण ऐसी याचिकाओं को खारिज किया था, जिससे जाति जनगणना अनिवार्य हो गई है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

सीडब्ल्यूसी सदस्य ने कहा, “हरिप्रसाद ने तर्क दिया कि अदालतों ने एक टिप्पणी की थी और कोई आदेश नहीं दिया था. उन्होंने कहा कि एक टिप्पणी को फैसले के तौर पर पढ़ा जा रहा है. जब अदालत ने ऐसी दलीलों को खारिज कर दिया, तो उन्होंने पूछा ‘डेटा कहां है?’ उन्होंने कहा कि यही कारण है कि (राहुल) गांधी के हर अंतिम व्यक्ति तक जन कल्याण के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए जाति जनगणना की आवश्यकता है.”

एक दूसरे नेता ने कहा कि हरिप्रसाद को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का समर्थन प्राप्त था जिन्होंने आरक्षण सीमा बढ़ाने के बारे में बात करने की आवश्यकता पर जोर दिया था. बघेल ने कहा कि राज्य चुनावों से पहले, यह मांग मतदाताओं के बीच गूंजेगी, जिसमें 45 प्रतिशत से अधिक ओबीसी आबादी है.

नेता ने कहा, “बघेल के बाद, पार्टी के भीतर एक और कानूनी दिग्गज सिंघवी ने अपने साथी वकील मनीष तिवारी का समर्थन नहीं किया और हरिप्रसाद का पक्ष लिया. सिंघवी ने भी इस बात पर सहमति व्यक्त की कि अगर अदालतें डेटा देखती हैं तो वे 50 प्रतिशत की सीमा पर पुनर्विचार कर सकती हैं.”

सीडब्ल्यूसी के प्रस्ताव में कहा गया है कि अगर कांग्रेस 2024 में सत्ता में आती है, तो वह सामान्य दशकीय जनगणना के साथ-साथ जाति जनगणना भी कराएगी, जो 2021 में होनी थी. बिहार जाति जनगणना का स्वागत करते हुए, इसमें आगे कहा गया कि कांग्रेस सरकार विधायी निकायों में महिला आरक्षण के कार्यान्वयन के लिए मोदी सरकार द्वारा लगाई गई जनगणना और परिसीमन की “बाधाओं” को दूर कर देगी.

बैठक के बाद, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने घोषणा की कि सभी चार कांग्रेस शासित राज्यों राजस्थान, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री अपने राज्यों में जाति जनगणना पर “कार्रवाई” कर रहे हैं.

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ेंः हमास के हमले पर मुस्लिम देश- निंदा और ‘संयम’ का आह्वान, कुछ ने इज़राइल को दोषी ठहराया 


 

share & View comments