नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने नंदीग्राम विधानसभा सटी से नामांकन दाखिल कर दिया है. ममता दोपहर में एसडीओ ऑफिस पहुंची और अपना पर्चा भरा. ममता बनर्जी पर्चा भरने से पहले नंदीग्राम के शिव मंदिर में पूजा अर्चना की.
इस सीट पर उनका मुकाबला अपने पूर्व सहयोगी और अब भाजपा के नेता शुभेंदु अधिकारी से होगा.
बनर्जी ने यहां हल्दिया सब डिविजनल कार्यालय में पार्टी में नामांकन दाखिल किया. इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत बक्शी भी उनके साथ थे. इससे पहले उन्होंने दो किलोमीटर लंबे रोडशो में हिस्सा लिया.
इससे पहले ममता बनर्जी ने नंदीग्राम में जनसभा को संबोधित करते हुए चंडी पाठ भी किया जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी उनपर शब्दों के बाण चला रही है.
ममता के पुराने सहयोगी और भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा, ‘ ममता बनर्जी नंदीग्राम की मतदाता नहीं हैं, वह यहां के लिए बाहरी शख्स हैं.’
नर्वस हैं ममता दीदी
वहीं भाजपा सांसद ने गिरिराज सिंह ने बुधवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस राज्य में दुर्गा पूजा विसर्जन के लिए लोगों को अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ता हो वहां की मुख्यमंत्री को चुनाव आने पर मंच से चंडी पाठ करना पड़ रहा है.
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ट्वीट कर कहा कि बंगाल में रोहिंग्या मुसलमानों के साथ-साथ ममता बनर्जी भी ‘नर्वस’ हैं और अब उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वह मंदिर जाएं या मस्जिद.
उन्होंने कहा, ‘बंगाल में मैंने दीदी को देखा. वहां के जिन हिन्दुओं को दुर्गा विसर्जन के लिए अदालत का सहारा लेना पड़ता था. जिनके मंत्री डॉन अखबार को कहते थे कि कलकत्ता में भी कराची है.आज दीदी चंडी पाठ कर रही हैं. चुनाव जो ना कराए.’
ज्ञात हो कि भाजपा ममता बनर्जी पर तुष्टिकरण का आरोप लगाती रही है.
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‘बदल गईं है दीदी’
ममता बनर्जी के लगातार पूजा पाठ किए जाने को लेकर कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘ममता बनर्जी पहली बार यह साबित करने की कोशिश कर रही हैं कि वह ब्राह्मण हैं. पहले वह कहती थी- ‘मैं हिजाब पहनती हूं, प्रार्थना करती हूं और मुसलमानों की रक्षा करती हूं.’ अब वह बदल गई है.’
चौधरी ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल में भाजपा के आने के बाद, वह यह साबित करने की कोशिश कर रही है कि वह भाजपा से कम ‘हिंदुत्ववादी’ नहीं है.’
यहां बता दें कि पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख कालीघाट में पार्टी का मैनिफेस्टो जारी करेंगी.
West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee visited and offered prayers at Shiv Temple in Nandigram pic.twitter.com/kfCkPtnOVE
— ANI (@ANI) March 10, 2021
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इससे पहले मंगलवार को यहां आरोप लगाया कि ‘जो बाहरी लोगों के आगे झुक गए’, वे सांप्रदायिक हथकंडों के जरिए नंदीग्राम आंदोलन को बदनाम कर रहे हैं. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने यह आरोप भी खारिज कर दिया कि वह नंदीग्राम में बाहरी हैं.
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख इस चर्चित सीट पर अपने पूर्व विश्वस्त शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरने जा रही हैं. अधिकारी कुछ समय पहले भाजपा में शामिल हो गये थे. राज्य में आठ चरणों में होने जा रहे चुनाव के तहत दूसरे चरण में एक अप्रैल को नंदीग्राम में मतदान होना है.
ममता ने शुभेंदु का एक बार भी नाम लिए बगैर कहा कि उन्होंने (ममता ने) सिंगूर या नंदीग्राम में से किसी एक सीट से चुनाव लड़ने का अपना मन बना लिया था. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि उन्होंने लोगों की जबरदस्त मांग को लेकर नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का फैसला किया.
#WATCH West Bengal CM Mamata Banerjee recites 'Chandi Path' during her public rally in Nandigram pic.twitter.com/7PC0eTwGwc
— ANI (@ANI) March 9, 2021
गौरतलब है कि ये दोनों ही स्थान भूमि अधिग्रहण के खिलाफ राज्य में हुए आंदोलन का मुख्य केंद्र रहे थे और इस आंदोलन ने ममता को 2011 में मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया था.
विधानसभा चुनाव में इस सीट से नामांकन दाखिल करने से एक दिन पहले बूथ स्तर के तृणमूल कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ममता ने कहा, ‘मैंने सुना है कि कुछ लोग मुझे नंदीग्राम में बाहरी कह रहे हैं. मैं हैरान हो गई. मैं पड़ोसी बीरभूम जिले में जन्मीं और पली-बढ़ी हूं. आज मैं बाहरी हो गई और जो गुजरात से आए हैं वे बंगाल में स्थानीय हो गये. ’
ममता ने ‘दीदी हम आपको चाहते हैं’ के नारे के बीच कहा, ‘इस तर्क के अनुसार तो मुझे 10 साल से राज्य का मुख्यमंत्री नहीं रहना चाहिए था. और अब बंगाल की बेटी बाहरी कुछ लोगों के लिए बाहरी हो गई है. क्या आपने कभी बाहरी मुख्यमंत्री सुना है? यदि स्थानीय लोग मुझसे चुनाव लड़ने को नही कहेंगे तो मैंन वापस चली जाऊंगी. ’
अधिकारी अक्सर की खुद को भूमिपुत्र बताते हुए तृणमूल कांग्रेस प्रमुख पर पलटवार करते रहे हैं. दरअसल, ममता भाजपा पर बाहरी होने का आरोप लगाती रही हैं.
तृणमूल कांग्रेस से पाला बदलने वाले नेता ने ऐलान किया है कि यदि वह टीएमसी प्रमुख को 50,000 वोटों के अंतर से नहीं हरा सकें, तो वह राजनीति से सन्यास ले लेंगे.
ममता ने कहा कि उन्होंने स्थानीय लोगों से मिल रहे प्रेम एवं स्नेह के चलते ही वह नंदीग्राम से चुनाव लड़ रही हैं.
उन्होंने कहा, ‘भूलते पारी सोबर नाम, भुलबो नको नंदीग्राम(मैं हर किसी का नाम भूल सकती हूं लेकिन नंदीग्राम को नहीं भूल सकती)…मैंने जब जनवरी में यहां आई थी तब यहां से कोई विधायक नहीं था क्योंकि मौजूदा विधायक ने इस्तीफा दे दिया था. मैंने आम आदमी के चेहरे को देखा और यहां से चुनाव लड़ने का फैसला किया.’
ममता ने कहा कि उनका अपना निर्वाचन क्षेत्र भवानीपुर पड़ता है, जहां से वह आसानी से जीत सकती हैं लेकिन उन्होंने लोगों के प्रेम एवं उत्साह को देख सकने के लिए नंदीग्राम से चुनाव लड़ना चुना.
ममता ने अधिकारी पर साम्पद्रायिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘जो बाहरी लोगों के आगे झुक गये, वे साम्प्रदायिक हथकंडों के जरिए नंदीग्राम भूमि अधिग्रहण आंदोलन को बदनाम कर रहे हैं. ’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘कुछ लोग 70:30 अनुपात (हिंदू-मुस्लिम आबादी) की बात कर रहे हैं. जो लोग ऐसा कर रहे हैं वे दोनों समुदायों के लोगों को आपस में लड़ा कर नंदीग्राम के पवित्र आंदोलन के बदनाम कर रहे हैं . नंदीग्राम के लोग मतदान के दिन एक अप्रैल को भाजपा को ‘अप्रैल फूल’ बनाएंगे.’
ममता ने कहा कि यदि पहले सिंगूर में भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन नहीं होता तो नंदीग्राम आंदोलन जोर नहीं पकड़ता.
ममता ने कहा, ‘सिंगूर आंदोलन नंदीग्राम आंदोलन से कुछ महीने पहले हुआ था. मैंने दिसंबर 2006 में सिंगूर भूमि अधिग्रहण के खिलाफ अपनी 26 दिनों की भूख हड़ताल पूरी की थी. इसके बाद 2007 में नंदीग्राम आंदोलन हुआ था. सिंगूर आंदोलन ने नंदीग्राम आंदोलन को जरूरी ऊर्जा प्रदान की थी.’
ममता ने उनके हिंदू विरोधी होने के भाजपा के आरोपों का जिक्र करते हुए कहा कि वह एक ब्राह्मण हैं और हिंदू रस्मों के बारे में भगवा पार्टी के फर्जी हिंदू नेताओं से कहीं ज्यादा जानती हैं.
ममता ने कहा, ‘यदि किसी को मेरे धर्म के बारे में शक है तो मैं उन्हें बहस करने और हिंदू श्लोकों का पाठ करने में प्रतिस्पर्धा करने की चुनौती देती हूं. खेला होबे (खेल जारी है) .’
(भाषा के इनपुट्स के साथ)
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