नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री आवास पर बैठक हुई. दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात एक साल के बाद हो रही है. इस दौरान ममता बनर्जी ने मोदी को पीले फूलों का गुलदस्ता भेंट किया.
नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने के बाद ममता बनर्जी ने कहा कि हमारे बीच काफी अच्छी बातचीत हुई है. यह एक अराजनैतिक बातचीत थी. उन्होंने कहा हमने राज्य का नाम बदलने के बारे में प्रधानमंत्री को बताया है. उन्होंने इस बारे में कुछ न कुछ करने का वादा किया है.
ममता ने कहा, ‘बंगाल का डजीडीपी 12.8 फासदी है जो देश में सबसे अच्छा है.’ उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से भी मिलने की इच्छा जताई है. उन्होंने कहा, ‘अगर गृह मंत्री मिलने का समय देंगे तो उनसे भी मिलूंगी.’
ममता ने कहा, ‘प्रधानमंत्री और मेरे बीत एनआरसी पर कोई बातचीत नहीं हुई है. हमारी बातचीत विकास योजनाओं से संबंधित विषय पर हुई है. एनआरसी असम का मुद्दा है. इस बारे में हम कुछ नहीं सोच रहे हैं.’
Delhi: West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee called on Prime Minister Narendra Modi, earlier today. pic.twitter.com/t0GXTaOvsw
— ANI (@ANI) September 18, 2019
लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और नरेंद्र मोदी के बीच बढ़े विवाद के बाद दोनों नेताओं ने बुधवार 18 सितंबर को मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान ममता बनर्जी प्रधानमंत्री से एयर इंडिया और बीएसएनएल की स्थिति पर बात करेंगी. ममता ने इस मुलाकात को लेकर कहा था, ‘मैं साल के 365 दिन बंगाल में ही रहती हूं लेकिन जब सरकारी काम होता है तो बाहर निकलना होता है. ममता बनर्जी अपने तीन दिवसीय दौरे पर दिल्ली आई हुई हैं. बता दें कि इन तल्खियों के बीच ममता बनर्जी ने दिल्ली निकलने से पहले पीएम मोदी की पत्नी जशोदाबेन से मुलाकात की और उन्हें एक साड़ी भी उपहार स्वरूप दी है.
प्रधानमंत्री मोदी से ममता बनर्जी आखिरी बार मई 2018 में मिली थीं. 25 मई 2018 को पश्चिम बंगाल में शांति निकेतन स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान दोनों नेताओं की आखिरी बार मुलाकात हुई थी.
ममता बनर्जी ने इस मुलाकात को सामान्य मुलाकात बताया है जिसमें वो राज्य से जुड़े मुद्दों को लेकर प्रधानमंत्री से मिलेंगी. यही नहीं इस मुलाकात में वह राज्य में चल रही योजनाओं के लिए फंड जुटाने और राज्य का नाम बदले जाने को लेकर भी बात करेंगी. पश्चिम बंगाल के नाम बदले जाने की बात पर बंगाल भाजपा के नेता रबिन चटर्जी कहते हैं, ‘बंगाल भाजपा नाम बदले जाने के खिलाफ है, हम राज्य का नाम बदलने के पक्ष में नहीं है.’
बुधवार शाम को होने वाली मुलाकात पर रबिन ने दिप्रिंट को बताया, ‘दीदी सिर्फ राजीव कुमार को बचाने में लगी हुई हैं. लेकिन इसका कोई फायदा होने वाला नहीं है.’ बता दें कि सारदा चिंट फंड मामले में सीबीआई राजीव कुमार से पूछताछ कर रही है. इस मामले में सीबीआई ने उन्हें अभियुक्त बनाया है. और वे अभी तक पूछताछ के लिए पेश नहीं हुए है.
उन्होंने यह भी कहा कि ‘राज्य में प्रशांत किशोर के आने के बाद और ममता बनर्जी के लिए प्रचार करने से कोई फायदा नहीं होने वाला है.’
‘प्रशांत हिंदी भाषी है, बंगाल में उनका कोई प्रभाव नहीं होने वाला है. ममता दीदी इस बार चली जाएंगी. उनका हारना तय है.’
बता दें कि लोकसभा चुनाव के बाद आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र ममता बनर्जी ने उन्हें अपना सिपहसालार बनाया है, जिसके बाद से ही ममता का सुर बदला-बदला नज़र आ रहा है. पिछले दिनों जिस तरह से दीदी के जय श्री राम पर भड़कने वाले वीडियो वायरल हो रहे थे वह भी अब नहीं आ रहे हैं. ममता बनर्जी चाय बनाते दिख रही है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 17 सितंबर को जन्मदिन था और दीदी ने उन्हें बधाई भी दी थी. पीएम और दीदी की तल्खी के बीच पीएम ने अपने भाषण में कहा था कि दीदी उन्हें साल में एक बार कुर्ता और रसगुल्ला ज़रूर भेजती रही हैं. जिसके जवाब में दीदी ने कहा था कि अगली बार कंकड़ भरे लड्डू भेजूंगी कि दांत सारे टूट जाएं.
दोनों नेताओं के बीच होने वाली इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि ममता बनर्जी मोदी सरकार पर लगातार निशाना साधती रही हैं.
विपक्ष के कई नेता ममता बनर्जी के मोदी के साथ होने वाली बैठक को अवसरवादी बता रहे हैं. सीपीआई का कहना है कि सीबीआई के चंगुल से बचने के लिए ममता मोदी के साथ मुलाकात कर रही हैं. सीपीआई (एम) नेता मोहम्मद सलीम की वीडियो पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल पर जारी कर कहा, ‘मोदी और ममता के बीच कोई फर्क नहीं है. जो काम ममता ने सीआईडी के ज़रिए किया वहीं काम मोदी सीबीआई के जरिए कर रही है. जो सीबीआई दीवार कूद कर किसी नेता को ढ़ूंढ सकती है तो वो राजीव कुमार को क्यों नहीं ढूंढ पा रही है.’
सलीम का आरोप था कि ममता बनर्जी राज्य में कुछ और बोलती हैं लेकिन राज्य से बाहर जाते ही कुछ और करती हैं.
Comrade @salimdotcomrade speaks on CM Mamata Banerjee's sudden visit to Delhi . #DidiBhaiModiBhaihttps://t.co/3nSyxImPrO
— CPI(M) WEST BENGAL (@CPIM_WESTBENGAL) September 18, 2019
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने कहा कि ‘हम सब जानते हैं कि ममता ने मोदी के खिलाफ चुनाव के दौरान किस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया था. वो कभी भी भारत के संघीय ढ़ाचे का सम्मान नहीं करती हैं. उनकी यह मुलाकात एक खुला रहस्य है और सभी जानते हैं कि वो ऐसा क्यों कर रही हैं.’
We all know the kind of language @MamataOfficial had used against Prime Minister @narendramodi during Lok Sabha elections and afterwards. She never had any regard for the federal structure and had even said she did not feel the need to respect Modiji as @PMOIndia .
— Rahul Sinha (@RahulSinhaBJP) September 18, 2019
पिछले कई सालों से प्रधानमंत्री मोदी और ममता बनर्जी के बीच रिश्ते काफी तल्ख़ी भरे रहे हैं. ममता बनर्जी मोदी की योजनाओं पर उन्हें घेरती रही हैं और उन्होंने केंद्र सरकार के काम करने के तरीकों को असंवैधानिक तक बताया है.
शपथ ग्रहण समारोह में नहीं हुई थी शामिल
लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने जीत हासिल की थी. दूसरी बार प्रधानमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह में नरेंद्र मोदी ने ममता बनर्जी को भी न्योता भेजा था लेकिन वो इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुईं थी.
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एक देश एक चुनाव पर हुई बैठक में भी नहीं हुई थी शामिल
जून महीने में ‘एक देश एक चुनाव’ पर प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बैठक हुई थी. इस बैठक में ममता बनर्जी ने शामिल होने से मना कर दिया था. संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद सिंह को खत लिखकर ममता बनर्जी ने इस बैठक में शामिल होने से इंकार कर दिया था. खत में उन्होंने लिखा था कि इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर इतने कम समय में उपस्थित होना मुश्किल है. इसी महीने हुई नीति आयोग की बैठक में भी ममता बनर्जी शामिल नहीं हुई थी.
ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति तोड़े जाने पर हुआ विवाद
पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव में इस बार भाजपा ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था. भाजपा ने राज्य की 42 सीटों में से 18 पर जीत दर्ज की थी. बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान सातों चरणों में पश्चिम बंगाल से खूनी संघर्ष की खबरें आती रही थीं, लेकिन अंतिम चरण के मतदान के दौरान बंगाल के कई जिलों में अशांति फैल चुकी थी. विद्यासागर कॉलेज में इसी दौरान ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति भी तोड़ दी गई थी. जिसके बाद राज्य की राजनीति काफी गरमा गई थी. भाजपा और तृणमूल कांग्रेस एक-दूसरे पर इसका आरोप लगा रहे थे.
इस दौरान ममता बनर्जी ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि वो बंगाल को गुजरात बनाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन वो ऐसा होने नहीं देंगी.
नेताओं के पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल होने का आरोप मोदी पर लगाया
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद तृणमूल कांग्रेस के कई नेता भाजपा में शामिल हो गए थे. लगभग 60 से ज्यादा पार्षद और विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे. जिसके बाद ममता बनर्जी ने मोदी पर आरोप लगाया था कि वो उनकी पार्टी को तोड़ रहे हैं. जो संविधान के खिलाफ हैं.
राज्य में हुए डॉक्टरों के हड़ताल को लेकर मोदी पर साधा निशाना
बंगाल में जून के महीने में डॉक्टरों के साथ हुई हाथा-पाई के बाद राज्य के सभी डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे. जिसके बाद ममता बनर्जी ने आदेश दिए थे कि सभी डॉक्टर हड़ताल से वापस आ जाए नहीं को उनपर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है. उनके इस बयान के बाद भाजपा ने काफी तीखा विरोध किया था. जिसके बाद ममता ने कहा था जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने एस्मा कानून का सहारा लिया था जबकि हमारी सरकार ने ऐसा कुछ भी नहीं किया है. बाद में ममता ने डॉक्टरों की सारी शर्तें मान ली थीं.
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राजीव कुमार को बचाने के लिए सीबीआई से भिड़ी ममता
सारदा चिट फंड घोटाले की जांच को लेकर फरवरी महीने में सीबीआई की टीम कोलकाता गई थीं. जिसमें सीबीआई की टीम ने कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के घर पर छापेमारी की कोशिश की थी लेकिन ममता बनर्जी के आदेश पर सीबीआई की टीम को कोलकाता में घुसने नहीं दिया गया. इसके बाद यह मामला काफी बढ़ गया.
कोलकाता पुलिस ने सीबीआई के पांच अधिकारियों के हिरासत में ले लिया था. इस घटना के बाद ममता बनर्जी सूबे की मुख्यमंत्री होते हुए धरने पर बैठ गई थीं और प्रेस कांफ्रेंस कर मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा था. उस दौरान उन्होंने कहा था ‘मोदी सरकार के दमनकारी नीतियों को वो बंगाल में लागू नहीं होने देंगी.’
मोदी को लगेगा लोकतंत्र का तमाचा
लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव प्रचार के दौरान ममता औऱ मोदी के बीच काफी तीखी बहस हो रही थी. ममता बनर्जी ने एक चुनावी सभी में कहा था कि मोदी को जनता लोकतंत्र का तमाचा मारेगी. इस बयान के बाद भाजपा और खुद नरेंद्र मोदी उनपर हमलावर हो गए थे. मोदी ने इसके जवाब में कहा था कि दीदी मैं आपका थप्पड़ खाने के लिए तैयार हूं. आपका थप्पड़ मेरे लिए आशीर्वाद ही होगा.