नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ-साथ अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से लोहा लेने की ठानी है. इसके लिए उन्होंने अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांस्कृतिक संस्था जय हिंद बाहिनी को मज़बूत करने की ठानी है.
आरएसएस का हमेशा से ही दावा रहा है कि ये एक सांस्कृतिक संस्था है. हालांकि, राजनीति में इसका सीधा दख़ल नहीं रहा है. लेकिन संघ के नाम से भी जाने-जाने वाले आरएसएस का भाजपा को प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों ही तरह से समर्थन रहा है. 2019 आम चुनाव में भाजपा को बंगाल में जो अप्रत्याशित सफलता हासिल हुई उसके पीछे संघ की बड़ी भूमिका मानी जा रही है.
आम चुनाव में लगे झटके के बाद बृहस्पतिवार को ममता बनर्जी ने कहा, ‘अगर वो (भाजपा) आरएसएस से जुड़े हो सकते हैं तो मैं आरएसएस का मुक़ाबला करने के लिए जय हिंद बाहिनी का गठन करूंगी.’ इस पर जब दिप्रिंट ने टीएमसी ऑफिस में बात की तो जानकारी दी गई कि टीएमसी की सांस्कृतिक संस्था जय हिंद बाहिनी पहले से मौजूद है, पार्टी इसे मज़बूत करने का काम करेगी.
ममता बनर्जी की एक घोषणा के बाद जय हिंद बाहिनी का गठन 30 दिसंबर 2014 को हुआ था. तृणूमल की आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक ममता ने टीएमसी के सेवा दल का नाम बदलकर जय हिंद बाहिनी किया था. ये नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस के मशहूर नारे ‘जय हिंद’ पर आधारित है.
हालांकि, इसका आधिकारिक सफर स्वामी विवेकानंद की 153वीं जयंती पर 12 जनवरी 2015 को हुआ. इसके बारे में ये भी बताया गया है कि विवेकानंद के विचार पर चलते हुए जय हिंद बाहिनी सहिष्णुता पर आधारित और धार्मिक नस्लवाद से मुक्त समाज के निर्माण का काम करेगी.
संघ के ड्रेस का रंग सफेद और ख़ाकी है.जय हिंद बाहिनी के ड्रेस का रंग नीला और सफेद है. इससे जुड़ा एक फेसबुक पेज भी है जिसपर इसे लिखे जाने तक महज़ 115 लाइक्स हैं. आपको बता दें कि इस आम चुनाव में भाजपा ने बंगाल में भारी बढ़त हासिल की है और राज्य सरकार चला रही तृणमूल कांग्रेस की ज़मीन तेज़ी से खिसकी है.
42 सीटों वाले राज्य में तृणमूल महज़ 22 सीटें जीत पाई. राज्य में पहले बेहद कमज़ोर रही भाजपा ने इस बार 18 सीटें हासिल की. तृणमूल की ज़मीन कैसी खिसकी है इसका अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं 2014 के आम चुनाव में पार्टी ने यहां 34 सीटें जीती थीं. वहीं, भाजपा की बढ़त का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि पिछले चुनाव में पार्टी ने महज़ दो सीटें जीती थी.
ऐसे में संघ से मुकाबले के लिए अगर ममता जय हिंद बाहिनी को मज़बूत बनाने की बात कर रही हैं तो इसमें कोई अचरज की बात नहीं होनी चाहिए, क्योंकि मामला सिर्फ राजनीतिक ज़मीन खिसकने का नहीं है. दरअसल, पिछले कुछ दिनों से ममता के सामने जय श्री राम के नारे लगने लगे हैं. इन नारों से अक्सर ख़फा हो जाने वाली ममता से इन्हीं वजहों से ये तय किया है कि राजनीति तृणमूल करेगी और संघ से मुकाबले का काम पार्टी का सांस्कृतिक संगठन.