मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने मंगलवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वो डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ मराठा कोटा एक्टिविस्ट मनोज जारांगे-पाटिल के आरोपों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का आदेश दें.
जारांगे-पाटिल ने इस महीने की शुरुआत में एक बयान में आरोप लगाया था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता फडणवीस “सलाइन के जरिए ज़हर देकर उन्हें खत्म करने की साजिश रच रहे थे”.
भाजपा विधायक आशीष शेलार द्वारा सदन में इसकी मांग करने के बाद नार्वेकर ने जांच की मांग की.
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं ने आरोप लगाया है कि शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लिए मनोज जारांगे-पाटिल के मराठा आंदोलन को “उनके राजनीतिक सहयोगियों द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है” और उन्होंने अभियान के दौरान उत्तेजक बयान दिए.
बांद्रा पश्चिम के बीजेपी विधायक शेलार ने कहा, “आंदोलन के पीछे का मास्टरमाइंड कौन है? आंदोलन के बेकाबू होने का जिम्मेदार कौन? पथराव के लिए पत्थर कौन लाया? वे किस नेता से मिलते हैं? वे कहां रहते हैं? वे किस राजनीतिक दल का प्रचार कर रहे थे? हर चीज़ की जांच करने की ज़रूरत है और एक एसआईटी गठित करने की ज़रूरत है.”
जारांगे-पाटिल के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए फडणवीस ने सदन के पटल पर कहा: “मुझे मनोज जारांगे-पाटिल के बारे में बोलने में कोई दिलचस्पी नहीं है, लेकिन फिर मुझे अभद्र भाषा में गाली देना, यह सब क्या है? बीड़ हिंसा की भी जांच होनी चाहिए. संभाजीनगर और नवी मुंबई में वॉर रूम की शुरुआत किसने की? इन सब की जांच की जाएगी. एक बात स्पष्ट है: इस साजिश का खुलासा किया जाएगा.”
वे बीड़ जिले में एक विरोध प्रदर्शन का ज़िक्र कर रहे थे जो पिछले साल 29 अक्टूबर को जारांगे-पाटिल की जालना में अनिश्चितकालीन हड़ताल के दूसरे चरण की शुरुआत के कुछ दिनों बाद हिंसक हो गया था.
सीएम एकनाथ शिंदे ने भी फडणवीस के खिलाफ जारांगे-पाटिल की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, “मनोज जारांगे-पाटिल की भाषा राजनीतिक है. उन्होंने मुझे गालियां दीं और डिप्टी सीएम पर भी गंभीर आरोप लगाए. यह किसी कार्यकर्ता की नहीं बल्कि एक राजनीतिक व्यक्ति की भाषा है और इसके पीछे कौन है, इसकी जांच होनी चाहिए.”
अपनी ओर से जारांगे-पाटिल ने मंगलवार को मीडिया से कहा कि वे किसी भी जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं.
उन्होंने कहा, “मैं भी चुप नहीं बैठूंगा. मैं बताऊंगा कि हर बार आप ही मुझे कॉल करते रहे हैं और उन कॉल्स के दौरान हमने क्या-क्या बातें कीं, वो सब बताऊंगा.”
जारांगे-पाटिल के दावों की गंभीरता का हवाला देते हुए विपक्ष ने भी मांग की है कि उनके आरोपों की जांच की जाए.
महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) विजय वड्डेतिवार ने कहा, “पूरे मराठा आरक्षण मामले में कौन नायक बनना चाहता था? ये तो हम सभी जानते हैं. इसलिए जरांगे-पाटिल को किसने बड़ी जगह दी, इसकी भी जांच होनी चाहिए.”
इस बीच, महाराष्ट्र पुलिस ने मंगलवार को मराठा आरक्षण कार्यकर्ता के खिलाफ धारा 341 (गलत तरीके से रोकना), 143 (गैरकानूनी जमावड़ा), 145 (गैरकानूनी जमावड़ा में शामिल होना या जारी रखना), 149 (गैरकानूनी जमावड़ा, सामान्य उद्देश्य के लिए किए गए अपराध का दोषी), भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा) कथित तौर पर आम लोगों को बीड में सड़क अवरुद्ध करने के लिए उकसाने, जिससे भारी ट्रैफिक जाम हुआ और लोगों को असुविधा हुई के तहत मामला दर्ज किया.
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