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Friday, 3 May, 2024
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महाराष्ट्र में मुस्लिम आरक्षण पर बोले अजित पवार- यह 3 पार्टियों की सरकार है, चर्चा करके हल निकालेंगे

2014 में, कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की सरकार ने मुस्लिम समुदाय को उनके पिछड़ेपन के आधार पर शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 5 प्रतिशत आरक्षण दिया था. हालांकि, बाद की सरकारों ने इस पर अमल नहीं किया. 

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पुणे (महाराष्ट्र): महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री (एनसीपी) अजित पवार ने सोमवार को कहा कि राज्य में तीन पार्टियों की सरकार है, इसलिए वह मुस्लिम आरक्षण का मामला मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के सामने रखेंगे.

पुणे में एक प्रेसवार्ता में उन्होंने कहा, “इससे पहले जब आरक्षण दिया गया था, तब कोर्ट ने शिक्षा में आरक्षण देने की इजाजत दी थी लेकिन रोजगार में नहीं. यह तीन पार्टियों की सरकार है. इसलिए हम इस मुद्दे को सीएम और डिप्टी सीएम के समक्ष रखेंगे, और इस बाबत समाधान निकालने की कोशिश करेंगे.”

2014 में, कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की सरकार ने मुस्लिम समुदाय को उनके पिछड़ेपन के आधार पर शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 5 प्रतिशत आरक्षण दिया था. हालांकि, इस आरक्षण पर बाद की सरकारों ने अमल नहीं किया.

उन्होंने कहा कि अगर जरूरी हुआ तो इस पर निर्णय के लिए वह अलाकमान के नेतृत्व से बात करेंगे.

पवार ने आगे कहा कि उन्होंने अल्पसंख्यक विभाग के साथ बैठक की जानकारी दी और वक्फ बोर्ड के कुछ अधिकारियों ने मौलाना आजाद बोर्ड और वक्फ बोर्ड की जमीनों पर भी चर्चा की.

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उन्होंने कहा, “राज्य के उपमुख्यमंत्री और वित्तमंत्री के तौर पर मैंने अल्पसंख्यक मामलों के विभाग के साथ एक बैठक की, जिसमें ग्रामीण विकास मंत्री हसन मुश्रीफ, ग्रामीण विकास राज्य मंत्री अब्दुल सत्तार और कुछ अधिकारी मौलाना आज़ाद बोर्ड और वक्फ बोर्ड की जमीनों के बारे में चर्चा के लिए उपस्थित थे.”

एनसीपी के चुनाव चिह्न को लेकर चुनाव आयोग की सुनवाई पर अजित पवार ने कहा कि वह अंतिम फैसले को स्वीकार करेंगे.

उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग अंतिम निर्णय देगा…इसके बाद तारीख मिलने पर दोनों तरफ के लोग चुनाव आयोग के समक्ष पेश होंगे…इसके बाद जो भी अंतिम फैसला होगा मैं उसे स्वीकार करूंगा.”

पार्टी के दो गुटों के बीच झगड़े के बीच अजित पवार ने जुलाई की शुरुआत में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और पार्टी के चुनाव चिन्ह पर अपना दावा पेश करते हुए चुनाव आयोग से संपर्क किया था.

बृहस्पतिवार को चुनाव आयोग ने पार्टी के दोनों गुटों को पत्र लिखकर स्वीकार किया कि पार्टी में टूट हुई है. आयोग ने विवाद पर पहली सुनवाई के लिए 6 अक्टूबर की तारीख तय की है.

जुलाई में आयोग ने अजित पवार के गुट की ओर से दायर एक याचिका पर शरद पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी ग्रुप को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. याचिका में दावा किया गया है कि अजित पवार को एनसीपी का अध्यक्ष घोषित किया जाना चाहिए.

प्रफुल्ल मारपकवार की रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव चिन्ह आदेश, 1968 के प्रावधानों के अनुसार पार्टी को घड़ी चिन्ह आवंटित किया गया है.

अजित पवार ने 30 जून को चुनाव आयोग के समक्ष याचिका दायर की थी, जब उन्होंने 2 जुलाई को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली, उनका नोटिस 5 जुलाई को चुनाव आयोग के कार्यालय पहुंचा.

अपने दावों के समर्थन में अजित पवार ने सांसदों, विधायकों और एमएलसी के साथ याचिका प्रस्तुत की थी.

सीएम बनने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने इससे इनकार करते हुए कहा कि इस खबर में कोई सच्चाई नहीं है. उन्होंने कहा, ”मैं सिर्फ विकास के बारे में सोचता हूं.”


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