scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेशयूपी में एकतरफ पक रही महागठबंधन की खिचड़ी, तो दूसरी तरफ घोटालों की जांच का तीखा स्वाद

यूपी में एकतरफ पक रही महागठबंधन की खिचड़ी, तो दूसरी तरफ घोटालों की जांच का तीखा स्वाद

अवैध खनन के अलावा पांच घोटालों में फंस सकते हैं सपा-बसपा के कई नेता. गठबंधन की धार कुंद करने के लिए क्या की जाएगी घोटालों की जांच?

Text Size:

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ सपा-बसपा का एक साथ मिलकर चुनाव लड़ना लगभग तय है. सूत्रों की मानें तो जल्द ही इसकी औपचारिक घोषणा भी हो जाएगी, लेकिन चुनाव से पहले इस महागठबंधन की राह आसान नहीं दिख रही है. हाल ही में सीबीआई ने अवैध रेत खनन मामले में ताबड़तोड़ छापेमारी की, जिसकी जांच की आंच समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सीएम अखिलेश यादव तक भी पहुंच सकती है. वहीं अखिलेश और मायावती के शासनकाल के दौरान हुए घोटालों की जांच तेज़ कर दी गई है. इससे जहां एक ओर दोनों दलों के कई प्रमुख नेता घिर सकते हैं तो वहीं कई ब्यूरोक्रेट्स पर भी कार्रवाई कर सरकार भ्रष्टाचार ज़ीरो टॉलरेंस की इमेज बनाने के प्रयास में है.


यह भी पढ़ेंः मायावती ने अखिलेश को फ़ोन कर कहा घबराओ मत, मिलकर बीजेपी से लड़ेंगे


अवैध रेत खनन मामले के अलावा भी कई ऐसे मामले हैं, जिनमें दोनों पूर्व मुख्यमंत्री जांच के घेरे में फंस सकते हैं. सियासी पंडितों की मानें तो आम चुनाव से ठीक पहले जांचों के बहाने गठबंधन को घेरने की तैयारी शुरू हो गई है. सीबीआई सूत्रों के अनुसार आने वाले दिनों में एनआरएचएम, यूपीपीएससी भर्ती, रिवर फ्रंट, यादव सिंह प्रकरण, स्मारक घोटाले जैसे तमाम मामलों में कई अहम खुलासे सामने आ सकते हैं. हम आपको बता रहे हैं कि किन मामलों में सपा-बसपा के कई नेता जांच में फंस सकते हैं-

स्मारक घोटाला

मायावती सरकार ने अपने शासनकाल में नोएडा और लखनऊ में कई स्मारकों, पार्कों का निर्माण कराया था और प्रतिमाएं स्थापित कराई थीं. इस दौरान हुए 1400 करोड़ रुपये के स्मारक घोटाले की जांच सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) जल्द पूरी करने जा रहा है. इसमें तत्कालीन बसपा सरकार के दौरान मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा समेत तीन दर्जन से ज़्यादा इंजीनियरों व कई अधिकारी फंस सकते हैं. विजिलेंस इस मामले में जल्द अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपने की तैयारी में है. हालांकि, इससे पहले वह इस पर विधिक राय भी लेगी, ताकि कोई भी आरोपी कानून के शिकंजे से बचने में कामयाब न हो सके. वहीं स्मारक घोटाले की जांच की जद में आए दोनों मंत्रियों बाबू सिंह कुशवाहा और नसीमुद्दीन सिद्दीकी अब बसपा से किनारा कर चुके हैं. ऐसे में दोनों मायावती की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं.

एनआरएचएम घोटाला

मायावती सरकार के दौरान हुए एनआरएचएम घोटाले में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्रियों पर दवा कारोबारियों से रुपये लेकर कई ज़िलों में मनमर्जी के अधिकारियों की तैनाती कराने का आरोप है. इसकी सुनवाई सीबीआई कोर्ट में चल भी रही है. बीते सोमवार इस घोटाले से जुड़े तीन केसों में सोमवार को सीबीआई कोर्ट ने सुनवाई की. इनमें दो केसों में गवाही हुई, जबकि एक में गवाह पेश नहीं हुआ. कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 4 फरवरी की तारीख तय की है. बसपा शासनकाल में 2007 से 2012 के बीच प्रदेश में एनआरएचएम घोटाला हुआ था. इस अवधि में बाबू सिंह कुशवाहा और अनंत मिश्रा प्रदेश में स्वास्थ्य मंत्री थे. पूर्व मंत्रियों पर पद का दुरुपयोग कर प्रदेश के करीब 72 ज़िलों में सीएमओ, डीपीओ परिवार कल्याण का पद सृजित किया गया.

चीनी मिल घोटाला

मायावती सरकार के दौरान 21 चीनी मिलों की बिक्री के मामले में सीबीआई ने बिक्री के दस्तावेज़ों की समीक्षा करनी शुरू कर दी है. उनके खिलाफ सीबीआई ने जांच भई शुरू कर दी है. मामला उनके शासन काल के दौरान 2010-11 में बेची गई 21 चीनी मिलों से जुड़ा है. बताया जा रहा है इन चीनी मिलों को बेचे जाने से प्रदेश सरकार को 1,179 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. राजनीतिक दल इसे सियासी दुश्मनी बताते हुए कार्रवाई की बात कर रहे हैं. मायावती के अलावा कभी उनके करीबी रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी भी इसमें फंस सकते हैं. अगर वह फंसते हैं तो भी माया के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं, क्योंकि वह बसपा से किनारा कर चुके हैं.

यूपीपीएससी भर्ती घोटाला

2012 से 2017 के बीच सपा सरकार में हुई तमाम भर्तियों की जांच सीबीआई कर रही है. जांच में सपा नेताओं के करीबी माने जाने वाले तत्कालीन यूपीपीएससी अध्यक्ष अनिल यादव पर शिकंजा कसा जा रहा है. हालांकि जांच से जुड़े एसपी राजीव रंजन का तबादला होने से इसकी रफ्तार थम गई है, लेकिन चुनावों से पहले जांच में फिर से तेज़ी आने के आसार हैं. बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया था कि अखिलेश यादव की सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग में जितनी भी नियुक्तियां हुई हैं उनकी सीबीआई जांच होगी.

रिवर फ्रंट घोटाला

अखिलेश सरकार के दौरान गोमती नदी को स्वच्छ करने और उसके तट को लंदन की थेम्स नदी की तर्ज पर विकसित करने के लिए योजना शुरू की थी. इसके लिए राजधानी लखनऊ में रिवरफ्रंट भी तैयार किया गया. करीब 1513 करोड़ रुपए की इस योजना में वित्तीय अनियमितता की शिकायत मिली, जिसको लेकर सीबीआई जांच कर रही है. सुस्त रफ्तार से चल रही जांच अब तेजी पकड़ सकती है. ईडी भी मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के तहत जांच कर रही है. इसमें तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव के कई करीबियों और निर्माण एजेंसियों के मालिकों से पूछताछ हो चुकी है. तत्कालीन अखिलेश सरकार के दौरान शीर्ष नेतृत्व के करीबी माने जाने वाले कई अधिकारी भी घिर सकते हैं.

जांच या राजनैतिक षड़यंत्र

सपा व बसपा के नेता इन तमाम जांचों को बीजेपी का राजनैतिक षड़यंत्र बता रहे हैं. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसको लेकर ट्वीट भी किया है, जिसमें एक तस्वीर में वह अपने परिवार के साथ कमरे में बैठे हैं. टीवी पर खनन घोटाले की खबर चल रही है. अखिलेश ने लिखा है – ‘दुनिया जानती है इस खबर में हुआ है मेरा जिक्र क्यों, बदनीयत है जिसकी बुनियाद उस खबर से फिक्र क्यों’.

वहीं माया ने भी अखिलेश से फोन कर कहा है कि मिलकर बीजेपी का सामना करेंगे.


यह भी पढ़ेंः अखिलेश मायावती से मिले, सीबीआई की अवैध खनन मामले में 14 जगह तलाशी


महागठबंधन की काट खोजने में जुटी बीजेपी

सूबे की राजनीति की समझ रखने वाले लोगों का कहना है कि महगठबंधन को कमज़ोर करने के लिए बीजेपी सारी कोशिशें करेगी, क्योंकि गोरखपुर-फूलपुर व कैराना उपचुनाव में विपक्षी दलों को मिली जीत ने इस महागठबंधन को मज़बूती दे दी है. ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी की राह इतनी आसान नहीं दिख रही है. यही कारण है कि चुनाव से पहले तेज़ी से हो रही घोटालों की जांच को ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ के तौर पर देखा जा रहा है.

share & View comments