भोपाल: चंबल इलाके की पहचान बागियों (डकैतों) की भूमि के तौर पर रही है. यही कारण है कि यहां बोली और गोली का बोलबाला होता है. मगर बोली और गोली वाले इस इलाके में विधानसभा चुनाव के दौरान तालियों की गूंज हावी हो चली है.
मुरैना जिले के अम्बाह विधानसभा क्षेत्र से नेहा किन्नर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरी हैं. उनकी ताली और उनके लिए शुभकामनाओं का शोर हर तरफ सुनाई दे रहा है.
अम्बाह क्षेत्र आरक्षित वर्ग के लिए है. यहां से भाजपा ने गब्बर संखबार, कांग्रेस ने कमलेश जाटव और सपा ने सत्यप्रकाश संखबार को मैदान में उतारा है. यहां के लोगों की मांग पर नेहा किन्नर बतौर निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं.
भारतीय सनातन काल से एक मान्यता रही है कि किन्नर की दुआ और बद्दुआ बड़ा असर करती है. नेहा किन्नर को इस मान्यता के चलते लोगों का भरपूर स्नेह और साथ मिल रहा है. यह बात अलग है कि नेहा हर किसी को दुआ तो दे रही हैं, पर बद्दुआ किसी को नहीं. उसके बाद भी हर वर्ग उनके प्रति न केवल आकर्षित हो रहा है, बल्कि राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के प्रति रोष भी जाहिर कर रहा है.
नेहा का नाता बेड़िया समाज से है. यहां इस वर्ग के मतदाता ज्यादा संख्या में हैं. नेहा ने वादा किया है कि ‘समाज में बंटवारे की राजनीति नहीं चलने दी जाएगी और सामाजिक समरसता का माहौल बनाया जाएगा. जनता को सुविधाएं उपलब्ध कराना पहली प्राथमिकता होगी.’
स्थानीय पत्रकार और समाज सेवी बृजेश शर्मा का कहना है कि ‘चंबल इलाके में नेहा किन्नर हर किसी के आकर्षण का केंद्र बन गई हैं. राजनेताओं और राजनीतिक दलों के प्रति लोगों में नाराजगी है. यह नाराजगी चुनाव में इस क्षेत्र में साफ देखी जा सकती है, अगर यहां से अप्रत्याशित नतीजे आ जाएं तो अचरज नहीं होना चाहिए.’
नेहा को भाजपा, कांग्रेस, सपा, बसपा आदि दलों के भितरघातियों का साथ मिल रहा है, जिससे एक तरफ यह मुकाबला रोचक हो गया है. दूसरे दलों के उम्मीदवारों के पास नेहा किन्नर की बातों और अंदाज का कोई जवाब नहीं है. तमाम उम्मीदवार भी नेहा पर सीधे हमला करने से बच रहे हैं.