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Sunday, 22 December, 2024
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लाउडस्पीकर और राजनीतिक पलटबाजी : कैसे ‘प्रवासी विरोधी’ MNS बन बैठी है हिंदुत्व की नई-नई हिमायती?

मनसे प्रमुख राज ठाकरे शिवसेना के गढ़ माने जाने वाले औरंगाबाद में ‘महाराष्ट्र दिवस रैली’ को संबोधित करेंगे. राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि मनसे 'हिंदू हितों के हिमायती' के तौर पर शिवसेना की जगह लेने की कोशिश कर रही है.

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मुंबई: इन दिनों महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के बूथ लेवल कार्यकर्ता निमंत्रण बांटने, टिकट बुक करने, बसों और ट्रेनों की व्यवस्था करने तथा जनता को जुटाने की कोशिश में लगे हुए हैं. उनका गंतव्य है औरंगाबाद, जहां उनके नेता राज ठाकरे 1 मई, जिसे महाराष्ट्र दिवस के रूप में मनाया जाता है, को एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करेंगे.

यह सार्वजनिक रैली एक ऐसे समय में हो रही है जब राज, जो काफी मुखर रूप से प्रवासी विरोधी बातों की वकालत करने वाले थे, ने एक नया भगवा अवतार धारण कर लिया है: वह महाराष्ट्र में मस्जिदों के बाहर लगे लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाने के वास्ते चल रहे अभियान में सबसे आगे रहे हैं.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दूसरे शब्दों में कहें तो वह जाहिरी तौर पर उस राजनैतिक जगह पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे शिवसेना ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के साथ अपने गठबंधन के बाद से खाली छोड़ रखा है.

यह बदलाव भारतीय जनता पार्टी के प्रति उनकी रवैये में भी परिलक्षित होता है: तीन साल पहले तक भाजपा के एक कड़े आलोचक होने के बावजूद उन्होंने अब अपना रुख नरम कर लिया है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस पार्टी (मनसे) की अब भाजपा, जो कभी सत्तारूढ़ शिवसेना के प्रमुख, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और राज ठाकरे के चचेरे भाई उद्धव ठाकरे की प्रमुख सहयोगी थी, के साथ एक मौन समझ बनती दिखती हैं .

राजनीतिक टिप्पणीकार प्रताप अस्बे ने दिप्रिंट को बताया, ‘शुरुआत में, उन्होंने बिना किसी चुनावी सफलता के विकास का मुद्दा आजमाया. उनके पास केजरीवाल, जो स्वास्थ्य या शिक्षा के बारे में बात करते हैं, के जैसा कोई माकूल रोड मैप नहीं था. और हिंदुत्व तो पहले शिवसेना का अहम् मुद्दा था. लेकिन, शिवसेना द्वारा एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के बाद से उसकी राजनीति बदल गई है.’

उनका कहना है कि एक अन्य कारक जो राज के विचारों में इस तरह से बदलाव आने में योगदान दे सकता है, वह है 2019 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से उन्हें मिला एक नोटिस.

अस्बे ने कहा, ‘चूंकि राज ठाकरे को भी ईडी की तरफ से नोटिस मिला था, इसलिए उन्होंने ऐसा रवैया अपनाने का फैसला किया होगा जो भाजपा को तो खुश करेगा ही और साथ ही उनकी पार्टी को भी आगे ले जाएगा.’

यह सारा घटनाक्रम 15 नगर निगमों और 27 जिला परिषदों के आगे होने वाले चुनावों – जिन्हें 2024 के आम और विधानसभा चुनावों के लिए एक लिटमस टेस्ट (कड़े परीक्षण) के रूप में देखा जा रहा है – से कुछ ही महीने पहले सामने आया है.


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‘शिवसेना की जगह पर टिकी है नजर’

यह गुड़ी पड़वा को हुई जनसभा थी जिसके दौरान उनमें सचमुच बदलाव दिखा और 2 अप्रैल दिए गए अपने सार्वजनिक भाषण में राज ने मांग की कि 3 मई तक सभी मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटा दिए जाएं.

इससे भी अहम बात यह है कि लाउडस्पीकर पर हो रही बहस की आलोचना के साथ, उन्होंने उस स्थान पर कब्जा कर लिया है जिस पर कभी उनके चाचा दिवंगत बाल ठाकरे का आधिपत्य था.

वास्तव में, मनसे का मतलब ही इसी बात से था: शिवसेना भवन – मुंबई के दादर स्थित शिवसेना मुख्यालय – के बाहर लगे अपने पोस्टरों में 6 अप्रैल को पार्टी ने राज को ही शिवसेना के संस्थापक का सच्चा उत्तराधिकारी बताया था.

1 मई की रैली के लिए जगह का चुनाव भी महत्वपूर्ण है: औरंगाबाद, मुंबई और ठाणे के बाहर शिवसेना का सबसे बड़ा गढ़ है. वह पार्टी मांग करती रही है कि मुगल सम्राट औरंगजेब के नाम पर रखे गए इस शहर का नाम मराठा राजा शिवाजी राजे के सबसे बड़े बेटे (संभाजी राजे) के नाम पर संभाजीनगर रखा जाना चाहिए. उसकी प्रतिद्वंद्वी मनसे, एक ऐसी पार्टी जो शिवसेना की ही एक बाहरी शाखा है, के नेता भी इस शहर को ‘संभाजीनगर’- वह नाम जिसे पहली बार 1988 में बाल ठाकरे द्वारा रखा गया था – के रूप में बुलाते है.

मनसे के एक नेता संदीप देशपांडे ने कहा कि पार्टी के पास औरंगाबाद रैली की अनुमति है और इसके लिए एक लाख से अधिक निमंत्रण छपवाए गए हैं. उन्होंने कहा ‘पुणे, नासिक, बीड, लातूर, बुलढाणा और अन्य शहरों से लोग इस रैली में भाग लेने के लिए आ रहे हैं.’

इस बीच, राज 5 जून को अयोध्या का भी दौरा करने वाले हैं – यह उनका एक और महत्वपूर्ण इशारा है, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हाल में उनके द्वारा की गयी प्रशंसा को देखते हुए.

अयोध्या यात्रा के लिए मनसे की तैयारी भी इतनी ही व्यापक प्रतीत होती है: देशपांडे ने बताया कि पार्टी ने भारतीय रेलवे से अपने कार्यकर्ताओं के लिए 12 विशेष ट्रेनों की व्यवस्था के लिए कहा है. उन्होंने कहा, ‘या वे ऐसा भी कर सकते हैं कि नियमित ट्रेनों में 2-3 अतिरिक्त कोच संलग्न करें ताकि हमारे कार्यकर्ता लखनऊ जा सकें. हमारी बातचीत अभी भी जारी है, और कुछ-न-कुछ रास्ता निकल ही आएगा.’

बीजेपी भी हो गई शामिल

जब से राज ने सबसे पहले लाउडस्पीकर विवाद वाला मुद्दा उठाया था, भाजपा भी खुशी-खुशी इसमें शामिल हो गई है.

राज और भाजपा दोनों ने इस विवाद पर चर्चा के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा हाल ही में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भाग न लेने का फैसला किया और अब वे शिवसेना पर ‘बाल ठाकरे के सिद्धांतों’ को भूलने का आरोप लगा रहे हैं.

पिछले ही हफ्ते ही भाजपा के आईटी सेल इंचार्ज अमित मालवीय ने शिवसेना पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया.

मालवीय का यह ट्वीट अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा को उद्धव ठाकरे के पारिवारिक घर और शिवसेना के सत्ता का सिंहासन माने जाने वाली ‘मातोश्री’ के सामने हनुमान चालीसा पढ़ने की धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के कुछ घंटों ही बाद आया था.

भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने उनका नाम न छापे जाने की शर्त पर स्वीकार किया कि मनसे के मकसद में शामिल होने से भाजपा को कुछ खास मदद नहीं मिली, लेकिन उन्होंने ऐसा करने का फैसला इसलिए किया क्योंकि ‘यह शिवसेना को असहज करता है.’

उन्होंने कहा, ‘इसके बजाए हम तो चाहते हैं कि शिवसेना का कट्टर हिंदुत्व वोट मनसे के बजाय भाजपा को मिले. भाजपा के लिए ज्यादा मददगार होगा अगर मनसे एक आक्रामक मराठी समर्थक एजेंडे पर ही टिकी रहे.’

तमाम अटकलों के बावजूद, भाजपा और मनसे दोनों ने अब तक इस बात से इनकार किया है कि वे एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं.


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मनसे-भाजपा समीकरण

केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी ने पिछले महीने ही राज से शिवाजी पार्क स्थित उनके आवास पर मुलाकात की थी. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उनकी पत्नी अमृता फडणवीस ने भी पिछले साल नवंबर में उनसे मुलाकात की थी.

इन दोनों मुलाकातों ने दोनों दलों के बीच संभावित गठबंधन की अटकलों को हवा दी थी .

जब भाजपा विधायक राम कदम से दिप्रिंट ने यह पूछा कि क्या ये दौरे किसी संभावित गठबंधन का संकेत देते हैं, तो उन्होंने कहा, एकदम नहीं. (ऐसा इसलिए) क्योंकि बीजेपी एक राष्ट्रीय पार्टी है और हम अपने दम पर लड़ने में सक्षम हैं. हमें किसी की जरूरत नहीं है.’

कदम ने कहा कि इसके अलावा मनसे के पास पर्याप्त जमीनी समर्थन भी नहीं हैं.

उन्होंने कहा, ‘एक अच्छा भाषण दे लेने का मतलब यह नहीं है कि उसके पास जमीन पर अच्छी ताकत है.’

हालांकि, हिंदुत्व के मुद्दे पर राज की प्रशंसा के प्रति कदम का रुख सावधानी भरा था.

उन्होंने कहा, ‘उन्होंने तो एक हफ्ते पहले ही हिंदुत्व का मुद्दा उठाया है, लेकिन भाजपा के लिए हिंदुत्व उसका मुख्य एजेंडा है और हमने इसे काफी समय से आगे बढ़ाया है. लेकिन जो भी हिंदुत्व के बारे में बात करेगा हम उसकी सराहना करते हैं.’

अपनी तरफ से, राज ने लाउडस्पीकर विवाद को लेकर आदित्यनाथ की खूब प्रशंसा की है. इसी गुरुवार को, राज ने एक ट्वीट में कहा: ‘धार्मिक स्थलों, विशेषकर मस्जिदों, से लाउडस्पीकर हटवाने के लिए मैं योगी सरकार को पूरे दिल से बधाई देता हूं और उनका आभारी हूं.‘

उन्होंने कहा, ‘दुर्भाग्य से महाराष्ट्र में हमारे पास कोई ‘योगी’ नहीं है; हमारे पास बस ‘भोगी’ (सुखवादी) हैं. आशा और प्रार्थना अच्छी यहां भी सुबुद्धि प्रबल होगी.’

यह घटनाक्रम 2019 के बाद से आया एक महत्वपूर्ण बदलाव है, जब मनसे प्रमुख साल 2014 में नरेंद्र मोदी के लिए प्रचार करने के बाद उनके एक कटु आलोचक बन गए थे और यहां तक कि उन्होंने कांग्रेस और राकांपा के लिए रैलियों को संबोधित करने का विकल्प भी चुना था.

देशपांडे ने कहा कि आगे चलकर पार्टी हिंदुत्व पर ही कायम रहेगी.

उन्होंने कहा, ‘सकारात्मक परिवर्तन हमेशा एक विकास होता है. हमें बदलती परिस्थितियों के अनुकूल बनना होगा. हम हिंदुत्व के एजेंडे का पालन करेंगे लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि हम ‘मराठी मानुष’ को भूल गए हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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