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Wednesday, 24 July, 2024
होमराजनीतिसदन में विपक्ष के नेता अधीर बोले- ‘ओल्ड से गोल्ड की तरफ आ रहे हैं, लेकिन पुराने को भूलना नहीं चाहिए’

सदन में विपक्ष के नेता अधीर बोले- ‘ओल्ड से गोल्ड की तरफ आ रहे हैं, लेकिन पुराने को भूलना नहीं चाहिए’

कांग्रेस सांसद ने कहा, चंद्रयान को लेकर चर्चा चल रही थी, मैं कहना चाहता हूं कि 1946 में जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में परमाणु अनुसंधान समिति का गठन किया गया था. वहीं से हम आगे बढ़े और 1964 में इसरो का विकास किया.

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नई दिल्ली: संसद के विशेष सत्र के आगाज़ पर सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा को संबोधित किया और संसद के 75 सालों की यात्रा को याद करते हुए विपक्ष का भी ज़िक्र किया.

इसके बाद विपक्ष के नेता और कांग्रेस पार्टी के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने सदन को संबोधित किया.

उन्होंने कहा कि इस संसद भवन को छोड़कर जाना भावुक करने वाला पल है. हालांकि, उन्होंने केंद्र को नसीहत देते हुए कहा कि हमें पुरानी चीज़ों को नहीं भूलना चाहिए.

संसद के आगामी विशेष सत्र को ‘‘नियमित’’ करार देते हुए, कांग्रेस के लोकसभा नेता अधीर रंजन चौधरी ने रविवार को सरकार पर सदस्यों को शून्यकाल और प्रश्नकाल के दौरान बोलने के अवसर से वंचित करने का आरोप लगाया था.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा अधिकार हमें मिलना चाहिए. सदन की जो गरिमा है, वो बरकरार रहे और ये कोई विशेष सत्र नहीं है, ये आम सत्र है, हमें तो मीडिया वालों के हवाले से पता लगा कि ये विशेष सत्र है.’’

सोमवार को चौधरी ने कहा, ‘‘हम ओल्ड से गोल्ड की तरफ आ रहे हैं, लेकिन हमें ओल्ड को नहीं भूलना चाहिए. कहते हैं न कि पुराना घोड़ा दौड़ के सर्वाधिक उपयुक्त होता है.’’

कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘चंद्रयान को लेकर चर्चा चल रही थी, मैं कहना चाहता हूं कि 1946 में जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में परमाणु अनुसंधान समिति का गठन किया गया था. वहीं से हम आगे बढ़े और 1964 में इसरो का विकास किया.’’

उन्होंने कहा, ‘‘आज हम इसरो को क्या कहेंगे, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन नहीं तो क्या कहेंगे? ये भारत, इंडिया का मुद्दा कहां से उठ गया है?’’

संसद के इतिहास का जिक्र करते हुए अधीर रंजन चौधरी ने कहा,‘‘हमारी इस संसद में क्या क्या हुआ उसका छोटा सा ब्यौरा देना चाहता हूं.’’

उन्होंने कहा कि 1951 में रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट पारित हुआ था जिसने लोगों को वोट देने का अधिकार दिया. अगर वीटो देने का अधिकार न होता तो आज हमें बाकी बात करने की बात करने की गुंजाइश नहीं मिलती है.

चौधरी ने कहा, ‘‘इसके बाद कमोडिटी एक्ट आया, हरित क्रांति आई. 1974 में जब एटमॉकि विस्फोट हुआ था तो उस समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं. सूचना और प्रौद्योगिकी क्रांति राजीव गांधी लाए थे. अब तो हम डिजिटल इंडिया की बात करते हैं, राजीव गांधी ने इसकी शुरुआत की थी.’’

उन्होंने कहा कि हमें इतिहास को नहीं भूलना चाहिए, हिस्ट्री को हम कैंसल चैक नहीं बता सकते हैं. कश्मीर का जिक्र करते हुए कहा कि कश्मीर हमारे देश का अभिन्न अंग है. वहां सेना के जवान मारे जा रहे हैं और इससे पता चलता है कि कश्मीर की स्थिति को लेकर हमारा संदेह सही है.

उन्होंने कहा, ‘‘आधुनिक भारत के वास्तुकार – नेहरू ने कहा था कि संसदीय लोकतंत्र कई गुणों की मांग करता है जिनमें क्षमता, काम के प्रति निश्चित समर्पण और साथ ही बड़े पैमाने पर आत्म अनुशासन और संयम शामिल हैं.’’

उन्होंने सरकार पर कई बार तंज कसे और फिल्म ‘आनंद’ में राजेश खन्ना के एक डायलॉग ज़िंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं का ज़िक्र किया.

अपने भाषण के समापन में उन्होंने कहा,  ‘‘राजेश खन्ना बाबू मोशाय ने कहा था एक फिल्म में कि जिंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं. हम यहां आज जो कर रहे हैं वो हमारी आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी. तो जिदंगी बड़ी होनी चाहिए, लंबी नहीं, ये बात कहते हुए मैं अपनी बात खत्म करना चाहूंगा.’’


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