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Sunday, 3 November, 2024
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2019 में कर्नाटक की राजनीतिक उठापटक के समय कुमारस्वामी, सिद्धारमैया के सचिव भी थे पेगासस के ‘टारगेट’

सूची में पूर्व डिप्टी सीएम जी. परमेश्वर का नाम भी है. इनके नंबरों को 2019 में कथित तौर पर उस समय निशाना बनाया गया जब राज्य में राजनीतिक उथल-पुथल चल रही थी.

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नई दिल्ली: पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल करके तमाम प्रमुख चर्चित हस्तियों और राजनेताओं के नंबर हैक किए जाने के मामले में आई तीसरी सूची से पता चला है कि इनमें कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी के सचिव, पूर्व उपमुख्यमंत्री जी. परमेश्वर और कांग्रेस नेता व एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के सचिव का नाम भी शामिल रहा है.

तत्कालीन मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी के निजी सचिव सतीश और कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के निजी सचिव रहे वेंकटेश का फोन नंबर इस सूची में शामिल है. पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस अध्यक्ष एच.डी. देवेगौड़ा के सुरक्षाकर्मियों में शामिल एक पुलिसकर्मी मंजूनाथ मुद्देगौड़ा का फोन नंबर भी इस लीक रिकॉर्ड में दिख रहा है.

मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, यह पता लगाना मुश्किल है कि क्या ये फोन नंबर वायरस की चपेट में आ गए थे या फिर डिजिटल फोरेंसिक के अभाव में जान बूझकर ऐसा किया गया था.

इन नंबरों को कथित तौर पर 2019 में निशाना बनाया गया था, उस समय राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का दौर चल रहा था. विश्वास मत के लिए दबाव के बीच सत्तारूढ़ गठबंधन के 17 विधायकों के इस्तीफे के बाद भाजपा ने अंततः राज्य में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार को गिरा दिया था.

2018 में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद भाजपा को कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन ने सत्ता से दूर कर दिया था.

तीसरी सूची सोमवार को जारी उस सूची के बाद आई है जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे दो मोबाइल फोनों के नंबर उन 300 सत्यापित भारतीय नंबरों में शामिल थे जिन्हें कथित तौर पर इजरायली सर्विलांस टेक्नॉलजी वेंडर एनएसओ समूह के निशाने पर रहे संभावित नंबरों के तौर पर सूचीबद्ध किया गया है.

राहुल गांधी के अलावा, नवनियुक्त केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव, राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी के नंबर भी इस सूची में थे.

यह मामला रविवार को उस समय सामने आया जब मीडिया संगठनों के एक वैश्विक संघ ने खुलासा किया कि पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल भारत में कथित तौर पर 300 मोबाइल फोन नंबरों की गुपचुप तरीके से निगरानी की जा रही थी. इनमें दो सेवारत केंद्रीय मंत्री, तीन विपक्षी नेता, एक संवैधानिक प्राधिकरण, सुरक्षा संगठनों से जुड़े मौजूदा और पूर्व प्रमुख, प्रशासक और 40 वरिष्ठ पत्रकार और कार्यकर्ता शामिल थे.


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सरकार ने आरोपों पर जोरदारी से किया बचाव

केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव, जो खुद इसके निशाने पर थे, ने सोमवार को कहा कि रिपोर्ट का कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है और यह ‘भारतीय लोकतंत्र और इसके स्थापित संस्थानों की छवि खराब करने’ का प्रयास नजर आता है.

सरकार के अलावा, भाजपा ने भी इसका पूरी जोरदारी से बचाव किया और कांग्रेस की तरफ से भाजपा के खिलाफ लगाए गए आरोपों को राजनीतिक किस्म की टिप्पणियां करार देते हुए निराधार बताया.

सूची सार्वजनिक होने के तुरंत बाद ही पूर्व आईटी मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया और कहा, ‘यह उस पार्टी की राजनीतिक टिप्पणियों का एक और निम्न स्तर है जिसने 50 वर्षों से अधिक समय तक भारत पर शासन किया है.’

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कथित जासूसी के बारे में रिपोर्ट को कुछ लोगों की तरफ से बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है जिनका एकमात्र उद्देश्य ही विश्व मंच पर भारत को अपमानित करने के हरसंभव प्रयास करना है.

उन्होने कहा, ‘यह अवरोधकों के लिए विघटनकारियों की एक रिपोर्ट है. विघटनकारी वैश्विक संगठन हैं जिन्हें यह पसंद नहीं है कि भारत प्रगति करे. अवरोधक भारत के राजनीतिक खिलाड़ी हैं जो नहीं चाहते कि भारत प्रगति करे. भारत के लोग इस क्रोनोलॉजी और संबंधों को अच्छी तरह समझते हैं.’

संसदीय कार्यवाही बाधित

पेगासस लीक के कारण इस समय चल रहे मानसून सत्र में संसदीय कार्यवाही के दौरान जबर्दस्त हंगामा मचा हुआ है. राज्यसभा की कार्यवाही जहां कई बार बाधित हुई, वहीं लोकसभा को गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है.

वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र ने मंगलवार को विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि वह ‘झूठ फैला रहा है’ और कोविड-19 महामारी का ‘राजनीतिकरण’ कर रहा है. मोदी ने अपनी पार्टी के सदस्यों से कहा कि कोविड-19 और सरकार की नीतियों को लेकर विपक्ष की तरफ से फैलाए जा रहे ‘झूठ’ का मुकाबला करें.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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