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Friday, 20 December, 2024
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क्या था ‘गेस्ट हाउस कांड’ जिसे भुलाकर अब आगे बढ़ना चाहती हैं बसपा प्रमुख मायावती

मायावती ने गेस्ट हाउस कांड में मुलायम सिंह यादव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा वापस लेने फैसला लिया है

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लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने 1995 में लखनऊ में हुए बहुचर्चित स्टेट गेस्ट हाउस कांड में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा वापस लेने का फैसला लिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने इस मामले को बंद करने के लिए शपथ पत्र दाखिल कर दिया है. बीएसपी राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने मीडिया में इसकी पुष्टि की है. हालांकि इसकी विस्तृत जानकारी कोई नहीं दे रहा लेकिन गेस्ट हाउस कांड की चर्चा फिर हो रही है.

बीते लोकसभा चुनाव के बाद बसपा ने सपा से अपना गठबंधन तोड़ लिया था लेकिन अब मायावती के इस फैसले से राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. मायावती पर हमले के विरोध में मुलायम सिंह यादव उनके छोटे भाई शिवपाल यादव, सपा के वरिष्ठ नेता धनीराम वर्मा, मो. आजम खान, बेनी प्रसाद वर्मा समेत कई नेताओं के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में तीन मुकदमे दर्ज हुए थे. इनमें से सिर्फ मुलायम सिंह यादव के खिलाफ मुकदमा वापस लेने के लिए शपथ पत्र दिया गया है.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, जनवरी में जब सपा-बसपा का गठबंधन हुआ था उस वक्त अखिलेश यादव ने बसपा सुप्रीमों से यह मुकदमा वापस लेने का अनुरोध किया था.

क्या है गेस्ट हाउस कांड

बता दें कि यूपी की राजनीति में 2 जून 1995 का दिन स्टेट गेस्ट हाउस कांड के रूप में जाना जाता है. दरअसल कांशीराम की अगुवाई वाली पार्टी बसपा से सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने 1993 में गठबंधन करके राजनीति की नई इबारत लिखी थी. दोनों पार्टियों ने विधानसभा चुनाव गठबंधन पर लड़कर सत्ता की सीढ़ियां तो चढ़ीं, लेकिन दो साल बाद ही इस रिश्ते में ऐसी दरार पड़ी कि जिसने यूपी की सियासत बदल दी.

आपसी खींचतान के चलते 2 जून 1995 को बसपा ने सरकार से समर्थन वापसी का ऐलान कर दिया. इससे मुलायम सरकार अल्पमत में आ गई. इससे नाराज सपा कार्यकर्ताओं ने सांसद, विधायकों के नेतृत्व में लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस का घेराव कर शुरू कर दिया, घंटों ड्रामा चला. बाद में भाजपा के कुछ नेताओं के हस्तक्षेप और मामला राजभवन पहुंचने पर पुलिस सक्रिय हुई और किसी तरह मायावती को बचाया.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बसपा सुप्रीमो मायावती गेस्ट हाउस के कमरा नंबर- 1 में रुकी हुईं थीं. उनके साथ बसपा विधायक और कार्यकर्ता भी मौजूद थे. इस दौरान सपा कार्यकर्ताओं ने बसपा के लोगों से मारपीट कर उन्हें बंधक बना लिया.


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मायावती ने खुद को बचाने के लिए कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. इस बीच सपा के दबंग विधायक एक-एक कर बसपा के विधायकों को उठाकर अगवा करने लगे. गेस्ट हाउस के बाहर खड़े फोटोग्राफरों ने इस पूरे हंगामे को सिलसिलेवार तरीके से कैमरे में कैद किया और बाद में सीबीसीआईडी ने इसे बतौर सुबूत इस्तेमाल किया इस कांड में हजरतगंज कोतवाली में तीन मुकदमे दर्ज हुए. इस मामले की तफ्तीश सीबीसीआईडी को दी गई और सीबीसीआईडी ने अरोपपत्र अदालत में दाखिल किया.सरकारें आती और जाती रहीं. स्टेट गेस्ट हाउस कांड का मुकदमा चलता रहा. मौजूदा वक्त में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है.

24 साल बाद फिर आए थे साथ

स्टेट गेस्ट हाउस कांड के बाद 2019 में सपा-बसपा करीब 24 साल बाद एक साथ आए. ‘महागठबंधन’ तैयार किया लेकिन चुनाव में बेहतर परिणाम न आने के बाद मायावती ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर 4 जून 2019 को सपा से गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया. इसके बाद दोनों पार्टियों के बीच राजनीतिक रिश्ते पूरी तरह से खत्म होते नजर आए.


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ठीक छह महीने बाद अचानक बसपा सुप्रीमो द्वारा सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ स्टेट गेस्ट हाउस कांड में मुकदमा वापस लेने के लिए शपथ पत्र देने के अब राजनीतिक मायने तलाशे जा रहे हैं.

हालांकि सूत्रों का कहना है, ‘बीती जनवरी में ही मायावती ने ये फैसला ले लिया था.’

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