नई दिल्ली: केरल में विपक्षी दल कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार की जन-विरोधी नीतियों और वाम सरकार की प्रशासनिक नाकामी के खिलाफ प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू किया.
इस दौरान सैकड़ों पार्टी कार्यकर्ताओं ने विरोध जुलूस में हिस्सा लिया और तीन चरण वाले आंदोलन ‘पौरा विचारना’ (जनता द्वारा सुनवाई) की शुरुआत की.
यह जुलूस तिरुवनंतपुरम स्थित सचिवालय के साथ-साथ विभिन्न जिलों के कलेक्टरेट पर निकाला गया. पार्टी सूत्रों ने यह जानकारी दी.
राज्यव्यापी अंदोलन की शुरुआत पर केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) प्रमुख के. सुधाकरन की अगुवाई में एक जुलूस सचिवालय तक गया. कोझिकोड जिला कलेक्टरेट में जुलूस का नेतृत्व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वी.डी सतीसन ने किया.
सतीसन ने कहा कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सरकार के खिलाफ जन आंदोलन की शुरुआत का फैसला कांग्रेस और इसकी अगुवाई वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) ने संयुक्त रूप से लिया.
यह आंदोलन उन मुद्दों को लेकिर किया गया जिनका आम जनता सामना कर रही है, लेकिन सरकार इनको नजरअंदाज कर रही है.
आवश्यक चीजों के दाम में बढ़ोतरी का जिक्र करते हुए सतीसन ने कहा कि राज्य में पिछले दशक के दौरान कीमतों में सर्वाधिक बढ़ोतरी हुई, लेकिन वाम सरकार इस पर काबू पाने के लिए कोई कदम उठाने में नाकाम रही.
उन्होंने कहा कि कीमतों में बढ़ोतरी के मुद्दे पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने अभी तक बैठक तक नहीं बुलाई है.
आंदोलन के दूसरे चरण के तहत केपीसीसी की योजना ब्लॉक कांग्रेस समिति के तहत विभिन्न जिलों में 20 से 30 नवंबर के बीच दो दिवसीय वाहन रैली निकालने की है.
विरोध के तीसरे और अंतिम चरण के तहत हजारों पार्टी कार्यकर्ता दिसंबर के दूसरे सप्ताह में सचिवालय का घेराव करेंगे.
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